Akal Takht: पंजाब के महाराजा को पड़े थे 100 कोड़े, हीरामंडी की मुस्लिम डांसर से शादी करने की मिली सजा
Akal Takht Maharaja Ranjit Singh: सिख समुदाय में अकाल तख्त सर्वोच्च संस्था मानी जाती है। इसका निर्माण गुरु हरगोबिंद ने न्याय के लिए किया था। सिख धर्म को मानने वाले लोगों को इसके बनाए नियमों का पालन करना होता है। सख्त नियमों के तहत ही पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल को हाल ही में सजा सुनाई गई। जिसमें उन्हें स्वर्ण मंदिर के टॉयलेट की सफाई करने और जूठे बर्तन साफ करने की सजा मिली। बादल को ये सजा गुरमीत राम रहीम पर केस वापस लेने की वजह से दी गई।
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है, जब अकाल तख्त के सख्त नियमों की वजह से किसी बड़े नेता या शख्सियत को सजा मिली हो। अकाल तख्त की सजा का इतिहास काफी पुराना है। आइए आपको आज से 223 साल पुराने उस किस्से के बारे में बताते हैं, जब एक ताकतवर राजा को भी अपनी 'एक गलती' की वजह से कोड़े खाने पड़े।
महाराजा रणजीत सिंह को मिली सजा
हम बात कर रहे हैं पंजाब के शेर महाराजा रणजीत सिंह की। अकाल तख्त के जत्थेदार अकाली फूला सिंह ने 223 साल पहले महाराजा रणजीत सिंह को 100 कोड़े मारने का आदेश दिया था। खास बात यह है कि रणजीत सिंह बेहद ताकतवर राजा माने जाते थे, लेकिन अकाल तख्त की सर्वोच्चता के सामने उन्हें भी आत्मसमर्पण करना पड़ा।
क्या था आरोप?
दरअसल, रणजीत सिंह पर हीरामंडी की 12 साल की मुस्लिम नर्तकी मोरन सरकार से शादी करने का आरोप था। रणजीत सिंह को उनकी प्रसिद्धि के चलते शेर-ए-पंजाब कहा जाता था। महाराजा रणजीत सिंह के नेतृत्व में सिखों ने 1799 में लाहौर पर विजय हासिल की। उन्होंने अपने साम्राज्य की राजधानी गुजरांवाला बनाई थी। हालांकि अब लाहौर और गुजरांवाला दोनों पाकिस्तान में हैं। माना जाता है कि रणजीत सिंह ने अपनी राजधानी लाहौर बनाने के लिए रणनीतिक कारण बताए थे, लेकिन इसकी एक बड़ी वजह मोरन के प्रति उनका प्यार भी था। वे अपनी मृत्यु तक वहीं रहे।
सिर्फ 17 साल में जीत लिया लाहौर
जब वह 21 साल के थे, तो उन्हें हीरामंडी की डांसर मोरन सरकार से प्यार हो गया था। महाराजा उसकी सुंदरता से काफी प्रभावित थे। उन्होंने इसके बारे में काफी सुना था। ये वो समय था, जब भारत पर 18वीं सदी की शुरुआत में मुगल साम्राज्य का प्रभाव कम होने लगा था। औरंगजेब की भी मौत हो चुकी थी। फिर अहमद शाह दुर्रानी और अफगान सेना के लाहौर पहुंचने के बाद हीरामंडी वेश्यावृत्ति का एक प्रमुख केंद्र बन गया। इसके बाद शुकरचकिया सिख समूह के युवा नेता रणजीत सिंह ने महज 17 साल की उम्र में लाहौर पर कब्जा कर लिया। उन्होंने इसके बाद 1801 में खुद को पंजाब का महाराजा घोषित कर दिया था।
मोरन से की शादी
रणजीत सिंह सौंदर्यप्रेमी थे। मार्च 1802 को रणजीत सिंह को मोरन सरकार के बारे में पता चला। ये होली से कुछ समय पहले का वक्त था। रणजीत सिंह ने मोरन के घर संदेश भेजा। फिर जब वे वहां पहुंचे तो बेहद सुंदर लड़की उनका स्वागत करने आई। उसने छह अन्य संगीतकारों के साथ गाना गाया और बेहतरीन नृत्य कर रणजीत सिंह का दिल जीत लिया। इसके बाद धीरे-धीरे दोनों करीब आए और प्यार परवान चढ़ने लगा। आखिरकार रणजीत सिंह ने मोरन से शादी कर ली।
सरेआम मारे गए 100 कोड़े
हालांकि अकाल तख्त को जैसे ही इसके बारे में पता चला तो जत्थेदार अकाली फूला सिंह ने एक आदेश जारी किया। जिसमें उन्होंने रणजीत सिंह को सिख समुदाय के बाहर शादी करने की वजह से सिख संगत के सामने पेश होने का हुक्म सुनाया। राजा आदेश का पालन करते हुए वे अमृतसर गए और अपनी गलती स्वीकार की। फिर उन्हें पीठ पर कोड़े मारने का आदेश दिया गया। राजा को इमली के पेड़ से बांधा गया और उनकी नंगी पीठ पर जमकर कोड़े बरसाए गए। हालांकि अपने राजा को पिटता देख लोग रोने लगे। इसके बाद रणजीत सिंह को केवल एक पट्टा पीठ पर बांधकर जाने दिया गया।