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मुख्यमंत्री भगवंत मान की पहल पर केंद्र ने जताई सहमति, पंजाब में आढ़तियों-चावल मिल मालिकों को मिली राहत

CM Bhagwant Mann Meet Prahlad Joshi: पंजाब के आढ़तियों और चावल मिल मालिकों को बड़ी राहत मिली है।
03:36 PM Oct 15, 2024 IST | Deepti Sharma
मुख्यमंत्री भगवंत मान की पहल पर केंद्र ने जताई सहमति  पंजाब में आढ़तियों चावल मिल मालिकों को मिली राहत
CM Bhagwant Mann Meet Prahlad Joshi

CM Bhagwant Mann Meet Prahlad Joshi: पंजाब की भगवंत मान सरकार लगातार विकास कार्यों को करने में जुटी हुई है। इसी के तहत केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रह्लाद जोशी से मुलाकात के लिए पहुंचे मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब में धान की खरीद एक त्यौहार की तरह होती है।

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उन्होंने बताया कि पंजाब की अर्थव्यवस्था इस खरीद सीजन पर निर्भर करती है और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह सीजन बहुत महत्वपूर्ण है। भगवंत सिंह मान ने बताया कि मौजूदा खरीफ खरीद सीजन 2024-25 के दौरान पंजाब में 185 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की संभावना है और मिलिंग के बाद 125 लाख मीट्रिक टन चावल की डिलीवरी का अनुमान है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा सीजन के दौरान स्टोरेज की कमी लगातार हो रही है और अब तक सिर्फ सात लाख मीट्रिक टन क्षमता ही उपलब्ध है, जिससे राज्य के मिल मालिकों में व्यापक असंतोष है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इससे मंडियों में धान की खरीद/उठान पर बुरा असर पड़ रहा है, जिससे किसानों के बीच भी नाराजगी बढ़ रही है।

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मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी से अपील की कि खरीद प्रोसेस को सुचारू बनाए रखने के लिए 31 मार्च 2025 तक राज्य से कम से कम 20% अनाज की उठान सुनिश्चित की जाए।इसके लिए ओएमएसएस/इथेनॉल के लिए निर्धारित/निर्यात/कल्याण योजनाओं और अन्य श्रेणियों के तहत चावल की उठान बढ़ाई जाए।

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परिवहन खर्च की अदायगी का मुद्दा

चावल की डिलीवरी के लिए मिल मालिकों को परिवहन खर्च की पेमेंट का मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि कई बार मिलिंग केंद्रों में स्टोरेज की जगह न होने के कारण एफसीआई मिल मालिकों को अपने डिपो पर चावल पहुंचाने के लिए कहता है, जो अधिकांश मामलों में 50 से 100 किलोमीटर के दायरे में होते हैं।

भगवंत सिंह मान ने कहा कि कई मामलों में ये डिपो राज्य के बाहर भी स्थित होते हैं, जिससे मिल मालिकों पर परिवहन लागत के रूप में अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की लागत चावल मिल मालिकों और राज्य की खरीद एजेंसियों के बीच हुए द्विपक्षीय समझौतों में शामिल नहीं होती।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए एफसीआई के डिपो तक चावल की डिलीवरी के लिए आने वाले अतिरिक्त परिवहन खर्च की पूर्ति करने की मांग जायज है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से अपील की कि मिल मालिकों की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाए और उन्हें प्रोत्साहित किया जाए।

उन्होंने कहा कि चावल की डिलीवरी के लिए परिवहन खर्च की अदायगी वास्तविक दूरी के अनुसार की जानी चाहिए और इसमें बैकवर्ड चार्ज और अन्य खर्चों की कटौती न हो। इस मुद्दे के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने भगवंत सिंह मान को आश्वासन दिया कि इस संबंध में मिल मालिकों को आने वाले परिवहन खर्च को केंद्र सरकार वहन करेगी।

धान की ड्राइएज का मुद्दा उठाते हुए भगवंत सिंह मान ने कहा कि दशकों से एमएसपी पर खरीद के लिए 1% ड्राइएज की परमिशन थी, जिसे बिना किसी विचार-विमर्श और बिना वैज्ञानिक सर्वेक्षण के 2023-24 के खरीफ सीजन में डीएफपीडी द्वारा एकतरफा घटाकर 0.5 % कर दिया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे चावल मिल मालिकों को अनावश्यक वित्तीय नुकसान हुआ है, जो पहले से ही भंडारण के लिए जगह की कमी के कारण वित्तीय दबाव में थे और इससे उनके बीच असंतोष और बढ़ गया है।

ड्राइएज के मुद्दे पर केंद्र का जवाब

उन्होंने आगे कहा कि जैसे स्थान की कमी के कारण पिछले मिलिंग सीजन को 31 मार्च से आगे बढ़ाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप गर्मी के मौसम के कारण अप्रैल से 24 जुलाई तक धान के सूखने/वजन घटने/रंग बदलने के कारण अधिक नुकसान हुआ था।

भगवंत सिंह मान ने कहा कि खरीफ सीजन 2023-24 से पहले की तरह ड्राइएज को एमएसपी के एक प्रतिशत तक बहाल किया जा सकता है और जहां एफसीआई को दिए गए सीएमआर/एफआर में नमी की मात्रा 14 प्रतिशत से कम हो, वहां 31 मार्च के बाद डिलीवरी के लिए मिलरों को उचित मुआवजा दिया जा सकता है।

ड्राइएज के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने कहा कि इस संबंध में उसने आईआईटी खड़गपुर से पहले ही एक सर्वेक्षण करवाया है। उन्होंने कहा कि इस सर्वेक्षण में पंजाब के दृष्टिकोण को भी शामिल किया जाएगा। धान की हाइब्रिड किस्मों के आउट-टर्न अनुपात का मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार द्वारा ग्रेड-ए धान के लिए आउट-टर्न अनुपात 67 प्रतिशत तय किया गया है।

उन्होंने कहा कि ग्रेड-ए धान की पारंपरिक किस्मों के लिए अधिक पानी की खपत को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने राज्य में कुछ हाइब्रिड किस्मों की खेती को प्रोत्साहित किया है। भगवंत सिंह मान ने केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया कि कम समय में पकने वाली इन किस्मों में पानी की कम खपत होती है और अधिक उपज देती हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि स्वाभाविक है।

आउट-टर्न अनुपात का अध्ययन

मुख्यमंत्री ने बताया कि मिल मालिकों ने जानकारी दी है कि इन किस्मों का आउट-टर्न अनुपात 67 प्रतिशत से कम है, जिसका पुनर्मूल्यांकन किए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने केंद्रीय मंत्री से अपील की कि वह धान की इन किस्मों के आउट-टर्न अनुपात का अध्ययन करने के लिए केंद्रीय टीमों को नियुक्त करें।

इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने धान की कम पानी की खपत वाली किस्मों को लाने की पंजाब सरकार की अनूठी पहल की सराहना की. उन्होंने ऐसी और किस्मों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार को पूरी मदद और सहयोग देने का आश्वासन दिया।

एक और मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री ने पंजाब एपीएमसी अधिनियम के तहत आढ़तियों को कमीशन भत्ता देने की जोरदार अपील की. भगवंत सिंह मान ने कहा कि पिछले पांच वर्षों/2019-20 से आढ़तियों को दिए जा रहे कमीशन में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है, जबकि इन वर्षों के दौरान उनके खर्चे कई गुना बढ़ गए हैं।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य हर साल बढ़ाया जाता है जबकि 2019-20 से ही आढ़तियों को 45.38 से 46 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से कमीशन दिया जा रहा है. हालांकि पंजाब राज्य कृषि उत्पादन बाजार समिति अधिनियम के नियम और उप-नियमों के तहत आढ़तियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 2.5% कमीशन देने का प्रावधान है, जो मौजूदा खरीफ सीजन में 58 रुपए प्रति क्विंटल बनता है।

खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले चार वर्षों के दौरान खरीद में कोविड-19 महामारी जैसी चुनौतियों के बावजूद, श्रमिकों की कमी, मौसम की गड़बड़ी और मशीनों द्वारा कटाई के कारण मंडियों में तेजी से आवक को सुनिश्चित करने के बावजूद आढ़तियों ने केंद्रीय पूल के तहत अनाज की निर्बाध खरीद सुनिश्चित की।

भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य द्वारा पिछले तीन वर्षों से हर साल केंद्रीय पूल में 45-50% गेहूं का योगदान देकर देश की खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि इससे गेहूं के बफर स्टॉक को बनाए रखने, खुले बाजार में गेहूं और आटे की कीमतों को कंट्रोल करने और महंगाई को रोकने में मदद मिली है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले कई सालों से आढ़तियों के कमीशन में कोई वृद्धि न होने के कारण आढ़तियों में भारी असंतोष है। भगवंत सिंह मान ने केंद्रीय मंत्री से अपील की कि आढ़तियों के कमीशन को न्यूनतम समर्थन मूल्य के 2.5 करने की परमिशन दी जाए। केंद्रीय मंत्री ने भगवंत सिंह मान को आश्वासन दिया कि राज्य सरकार और आढ़तियों की इस मांग पर अगली बैठक में सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।

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