पंजाब उपचुनाव से दूर रहा अकाली दल, कैसे आम आदमी पार्टी की जीत में निभाई अहम भूमिका?
Punjab By Election Result 2024 (विशाल अंग्रीश) : पंजाब उपचुनाव में बड़ा उटलफेर देखने को मिला। 4 विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया और आम आदमी पार्टी को जलवा कायम रहा। आप को 3 सीटों पर जीत मिली, जबकि कांग्रेस ने एक सीट पर कब्जा किया। उपचुनाव से दूर रहकर भी शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने आम आदमी पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाई।
इस उपचुनाव में तीन सीटों पर जीत हासिल करने के बाद पंजाब विधानसभा में आप के विधायकों की संख्या 94 हो गई, जबकि कांग्रेस के 17 विधायक हो गए। इस बार कांग्रेस ने बड़ी रणनीति के साथ उपचुनाव लड़ा था। गिद्दड़बाहा सीट से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग की पत्नी अमृता वारिंग और डेरा बाबा नानक से पूर्व डिप्टी सीएम एवं राजस्थान कांग्रेस के इंचार्ज सुखजिंदर सिंह रंधावा की पत्नी जतिंदर कौर रंधावा को टिकट मिला। कांग्रेस के दोनों दिग्गजों का यह गढ़ माना जाता है।
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अमरिंदर सिंह राजा वारिंग की पत्नी को मिली हार
पिछले विधानसभा चुनाव में सुखजिंदर रंधावा महज 466 वोट से डेरा बाबा नानक से जीते थे और अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने गिद्दड़बाहा सीट से जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव में दोनों नेता सांसद बन गए। राजा वारिंग को लेकर लोगों में चर्चा थी कि वे गिद्दड़बाहा छोड़कर लुधियाना चले गए, जिसका असर अमृता वारिंग की जीत पर पड़ा। इस बार अकाली दल ने इस चुनावी रण में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे।
गिद्दड़बाहा सीट पर अकाली दल ने किया खेल
2022 चुनाव में अकाली दल के उम्मीदवार रहे हरदीप डिंपी ढिल्लों उपचुनाव से पहले पार्टी छोड़कर आप में शामिल हो गए और आम आदमी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया। इस उपचुनाव में अकाली दल का वोट बैंक किस तरफ जाएगा, इसे लेकर गिद्दड़बाहा में काफी रस्साकशी चली। ऐसे में हरदीप डिंपी ढिल्लों को कई सालों तक अकाली दलों से जुड़े रहने का फायदा मिला और अकाली के वोटरों ने आम आदमी पार्टी को दिल खोलकर वोट दिया, जिससे हरदीप डिंपी ढिल्लों को जीत मिली।
आप के खाते में आई डेरा बाबा नानक सीट
साल 2022 चुनाव में सुखजिंदर रंधावा डेरा बाबा नानक से चुनाव जीते थे। सांसद बनने के बाद रंधावा ज्यादा समय दिल्ली और राजस्थान की राजनीति में दे रहे हैं, जिसका उनको यहां पर नुकसान झेलना पड़ा। इस बार कांग्रेस ने उनकी पत्नी जतिंदर कौर को टिकट दिया था। अकाली दल ने डेरा बाबा नानक सीट से कांग्रेस को हराने के लिए गिद्दड़बाहा वाली रणनीति अपनाई। मतदान से पहले अकाली दल के सुच्चा सिंह लंगाह ने ऐलान करवा दिया कि यहां से अकाली दल आम आदमी पार्टी के उमीदवार गुरदीप सिंह रंधावा को समर्थन करेगा, जिसका सारे प्रदेश में एक मैसेज चला गया। सुच्चा सिंह लंगाह की टीम ने पूरे जोरशोर से डेरा बाबा नानक में आम आदमी पार्टी की मदद करनी शुरू कर दी, जिसका सीधा नुकसान कांग्रेस को हुआ और कांग्रेस चुनाव हार गई।
कांग्रेस ने बरनाला सीट जीती
वहीं, बरनाला सीट पर भी इसी तरह के हालात बने हुए थे। बरनाला को आम आदमी पार्टी की राजधानी के तौर पर देखा जाता है। खासकर संगरूर और बरनाला जिलों में बरनाला आम आदमी पार्टी के सांसद मीत हेयर का विधानसभा हल्का था। वे दो बार यहां से विधायक बने और मंत्री भी बने। उनके संसद बनने पर यह सीट खाली हुई। उन्होंने यहां से अपने नजदीकी हरिंदर सिंह धालीवाल को टिकट दिलाया, जिससे पार्टी में फूट पड़ गई और बरनाला में कांग्रेस ने कुलदीप सिंह ढिल्लों को अपना उमीदवार बनाया और अपनी रणनीति के तहत काम किया। इस सीट पर अकाली दल के कैडर का ज्यादा असर नहीं देखने को मिला।
प्रताप सिंह बाजवा ने संभाली थी कमान
पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने इस सीट की कमान संभाली थी। उन्होंने कई दिनों तक बरनाला में डेरा डाल दिया। उनका साथ विजयेंद्र सिंगला ने दिया, जिससे नाराज पार्टी के कार्यकर्ता मान गए। वहीं आम आदमी पार्टी से बागी हुए गुरदीप बाठ ने खेल बिगाड़ दिया और 17 हजार वोट लेकर आप के उम्मीदवार को हरवा दिया। कांग्रेस के कुलदीप सिंह ढिल्लों ने 2147 वोट ज्यादा लेकर अपनी जीत दर्ज कर दी।
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अकाली ने अपनी ताकत को कराया एहसास
वहीं, चब्बेवाल विधासभा सीट दोआबा में आती है और यह रिजर्व सीट आप आदमी पार्टी के डॉ. राजकुमार के संसद बनने के बाद खाली हो गई। डॉ. राजकुमार जब कांग्रेस में थे तो वो दो बार चुनाव जीते और यह उनका गढ़ माना जाता है। कांग्रेस के पास डॉ. राजकुमार के सिवाय यहां पर कोई भी बड़ा नेता नहीं है। डॉ. राजकुमार ने इस सीट से आप से अपने बेटे इशांक चब्बेवाल को टिकट दिलाया। इसके बाद इस सीट पर कांग्रेस के समाने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई और कांग्रेस ने यहां से रणजीत सिंह को अपना उमीदवार बनाया। ऐसे में आम आदमी पार्टी का चब्बेवाल सीट पर भी कब्जा हो गया। फिलहाल, जो बात निकल कर समाने आ रही है, उसमें बेशक अकाली दल इस चुनाव से दूर रहा, लेकिन अकाली दल ने इस उपचुनाव में अपनी ताकत का एहसास करा दिया।