करंट लगा..काटना पड़ा हाथ..नहीं हारी हिम्मत, अब चूरू में BJP के तारणहार बनेंगे देवेंद्र झाझड़िया!
Churu Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के प्रथम चरण का मतदान 19 अप्रैल यानी कल होगा। इसके लिए चुनाव आयेाग की ओर से तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। पहले चरण में राजस्थान की 12 सीटों पर भी मतदान होगा। जिनमें चूरू लोकसभा सीट भी शामिल है। भाजपा ने यहां से 3 बार के पैरालंपियन देवेंद्र झाझड़िया और कांग्रेस ने भाजपा से दो बार के सांसद रहे राहुल कस्वां को प्रत्याशी बनाया है। राहुल कस्वां भाजपा से टिकट कटने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
पद्मभूषण, राजीव गांधी खेल रत्न जैसे अनेक सम्मानों से सम्मानित चूरू से लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी के प्रत्याशी देवेंद्र झाझड़िया किसी परिचय के मोहताज नहीं है। देवेंद्र झाझड़िया का जन्म 10 जून 1981 को राजस्थान के चूरू में हुआ। पिता राम सिंह झाझड़िया बचपन से ही चाहते थे कि बेटा पढ़ लिखकर एक बड़ा आदमी बने। इसके लिए उन्होंने उनका दाखिला एक अच्छे स्कूल में करवाया, लेकिन झाझड़िया जब 8 साल के थे तब उनके साथ एक ऐसी घटना घटी जिसने उनका पूरा जीवन ही बदल गया।
जानें क्यों काटना पड़ा हाथ?
दरअसल झाझड़िया बचपन में फल तोड़ने के लिए पेड़ पर चढे़ इस दौरान उनका हाथ पेड़ की शाखाओं के बीच से गुजर रही बिजली के तार से छू गया। इसके बाद झाझड़िया की जान बचाने के लिए उनका एक हाथ काटना पड़ा। इसके बावजूद झाझड़िया ने हार नहीं मानी। उन्हें बचपन से ही भाला फेंक का खेल पसंद था। ऐसे में उनके पास भाला नहीं था तो वे लकड़ी का भाला बनाकर अभ्यास करने लगे। इस दौरान उन्होंने जिला स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। झाझड़िया ने 1995 में पहली बार पैरा एथलेटिक्स में हिस्सा लिया। इस दौरान उनको द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित आरडी सिंह ने भाला फेंक की कोचिंग दी। यहां पढ़ाई के साथ-साथ देवेंद्र को भाला फेंक की प्रेक्टिस कराई गई। हालांकि काॅलेज में दाखिले के बाद भी उनके पास अच्छा भाला नहीं था, ऐसे में एक खेल प्रेमी ने उनको 75 हजार रुपए दिए। उनकी मदद से देवेंद्र झाझड़िया ने भाले से प्रेक्टिस करनी शुरू कर दी।
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कुछ ऐसा है चुनावी समीकरण
भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए इस बार चूरू लोकसभा क्षेत्र से देवेंद्र झाझड़िया को प्रत्याशी बनाया है। वहीं पार्टी से टिकट कटने से नाराज राहुल कस्वां कांग्रेस में चले गए। ऐसे में कांग्रेस को सबसे ज्यादा उम्मीद इसी सीट से है। कांग्रेस यह मानकर चल रही है पिछले 2 लोकसभा चुनाव से हार रही इस सीट पर खाता खोल सकती है। इसके साथ ही प्रदेश में भी उसका खाता खुल जाएगा। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने जाट चेहरों को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में जाट वोट बैंक का बंटना तय है। कस्वां का टिकट कटने से जाट समाज का एक धड़ा नाराज है। वहीं राजपूत वोट बैंक भाजपा के पक्ष में आने से फिलहाल वे इस राइवलरी में आगे दिख रहे हैं लेकिन कस्वां से उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है।
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