एक अर्थी पर पति-पत्नी की लाशें; माता के जगराते में जा रहे थे, जानें कैसे बन गया जिंदगी का आखिरी सफर?
Rajasthan Chittorgarh Train Killed Three People: मौत कहीं से भी आ सकती है, किसी भी रूप में आ सकती है। अगर आपका वक्त आया होगा तो चाहे कुछ हो जाए, मौत का रास्ता कोई नहीं रोक पाएगा। इसका जीता जागता उदाहरण राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में देखने को मिला। निंबाहेड़ा में ट्रेन के नीचे आने से पति-पत्नी और एक और महिला की मौत हो गई। तीनों रिश्ते में दीदी-जीजा और साली थे। तीनों माता के जागरण में जा रहे थे, लेकिन यह सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर बन गया।
मौत भी ऐसे आई कि एक तरफ डीजे बज रहा था। दूसरी तरफ वे खुद मौत के रास्ते यानि रेलवे ट्रैक की पटरियों पर चल रह थे। लोगों ने आवाज भी लगाई, लेकिन न लोगों की आवाजें सुनाई दी और न ही ट्रेन का हॉर्न सुनाई दी। नतीजा, तीनों की जान चली गई। पति-पत्नी की लाशें एक अर्थी पर शमशान घाट ले जाई गईं। एक ही चिता पर दोनों का अंतिम संस्कार किया गया। पुलिस ने हादसे का केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी। वहीं जागरण की खुशियां मातम में पसर गईं। तीनों मृतकों को आखिरी विदाई देने के लिए पूरा गांव उमड़ा।
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बांद्रा-अजमेर एक्सप्रेस से हुआ हादसा
मिली जानकारी के अनुसार, हादसा शनिवार रात करीब 10 बजे हुआ, लेकिन रविवार को मृतकों के घरों के जो कोहराम मचा, उसने पूरे इलाके का माहौल गमगीन कर दिया। मृतकों की पहचान निंबाहेड़ा के मोची मोहल्ला निवासी मोहनलाल धोबी (50) पुत्र सूरजमल, मोहनलाल की पत्नी ललिता (45) और ललिता की बहन जयश्री (40) पत्नी सुरेश के रूप में हुई। तीनों मोहनलाल के बड़े भाई के यहां माता के जागरण में जा रहे थे। जागरण भैरूजी मंदिर में था, लेकिन तीनों सड़क का रास्ता लेने की बजाय जल्दी पहुंचने के चक्कर में रेलवे पटरी पर चलने लगे।
मंदिर में डीजे बज रहा था, जिसके शोर में ट्रेन का हॉर्न और लोगों की आवाजें सुनाई नहीं दी। ऐसे में ट्रेन तीनों को टक्कर मारते हुए निकल गई। तीनों के चिथड़े उड़ गए और मौके पर ही मौत हो गई। हादसा चित्तौड़गढ़ की ओर जा रही बांद्रा-अजमेर एक्सप्रेस (09653) से हुआ। वहीं ट्रेन से कटने के कारण ललिता के हाथ-पैर अलग हो गए थे। लोगों ने पुलिस को हादसे की जानकारी दी। हादसे की जानकारी मिलते ही मृतकों के परिजन भी मौके पर पहुंचे। मोहनलाल के 2 बच्चे हैं, जिनमें से एक की शादी हो चुकी है। जयश्री 2 दिन पहले घर आई थी।
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