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'पंक्चर हो जाए तो स्टेपनी लगाते ही हैं', राजस्थान उपचुनाव से पहले बीजेपी-कांग्रेस में 'बड़े' नेताओं पर गाज

Rajasthan Assembly By Election : राजस्थान उपचुनाव से पहले कांग्रेस और भाजपा संगठन में बड़े फेरबदल होने वाले हैं। पार्टियों ने कुछ बड़े नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया है और कुछ को निकालने की तैयारी कर रही है।
07:41 PM Sep 20, 2024 IST | Deepak Pandey
 पंक्चर हो जाए तो स्टेपनी लगाते ही हैं   राजस्थान उपचुनाव से पहले बीजेपी कांग्रेस में  बड़े  नेताओं पर गाज
राजस्थान उपचुनाव से पहले बीजेपी-कांग्रेस में 'बड़े' नेताओं पर गाज।

(केजे श्रीवत्सन, जयपुर)

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Rajasthan Assembly By Election : राजस्थान में जल्द ही 7 सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। इससे पहले सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस ने अपने निष्क्रिय नेताओं पर गाज गिरानी शुरू कर दी है। चौंकाने वाली बात तो यह भी है कि दोनों ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष खुद ऐसे नेताओं को लेकर आए दिन बयान देकर सबकी धड़कनें बढ़ा रहे हैं। जहां कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जिन्हें बीजेपी में जाने का मन है वे आज और अभी चले जाए तो वहीं बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष कह रहे हैं कि अगर टायर पंक्चर हो जाए तो स्टेपनी लगानी पड़ती है। आइए समझते हैं कि क्या है राजनीतिक समीकरण?

यूं तो राजनीतिक पार्टियां चाहती हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग उसके साथ जुड़े, ताकि उनका कुनबा बढ़ें, लेकिन राजस्थान में इन दिनों इसके ठीक उलटा काम हो रहा है। सत्तारूढ़ भाजपा इन दिनों सदस्यता अभियान चला रखी है और उसे 1 करोड़ सदस्य बनाने का टार्गेट मिला है। मुश्किल इस बात को लेकर भी है कि विश्व की सबसे बड़ी कार्यकर्ताओं की पार्टी का दम भरने वाली भाजपा को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कई ऐसे बूथ भी थे, जहां बीजेपी प्रत्याशी को एक भी वोट नहीं मिले।

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करौली जिलाध्यक्ष को हटाया

बावजूद इसके बीजेपी संगठन में बड़े फेरबदल के साथ मानों आने वाली उपचुनावी दीपावली से पहले ही सफाई अभियान में लगी है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने करौली जिलाध्यक्ष को हटाकर शिवकुमार सैनी को नया अध्यक्ष बनाने और भवानी शंकर के साथ रजनीश चचानी को प्रदेश कार्यालय सह प्रभारी बनाने पर कहा कि कहीं कोई बड़ा टायर पंक्चर हो जाए तो स्टेपनी तो लगानी ही पड़ेगी, कुछ तो करना ही पड़ेगा। गाड़ी में भी कहीं आवाज आती है तो उस पर ध्यान देकर चेंज करना ही पड़ता है। ऐसा कोई प्रतिबंध भी नहीं है कोई छूट भी नहीं है। जब जरूरत है तो चलाएंगे और बाद में जरूरत पड़ेगी तो चेंज भी करेंगे।

कांग्रेस में नए चेहरों को मिला मौका

उधर, कांग्रेस में भी यही कवायद नजर आ रही है। राजस्थान कांग्रेस में निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाकर नए चेहरों को मौका देने के बयान आ रहे हैं। राजस्थान से दिव्या मदेरणा सहित कुछ नए चेहरे को एआईसीसी में मौका मिला है। प्रदेश कांग्रेस के अग्रिम संगठन महिला कांग्रेस और सेवादल प्रदेश अध्यक्ष बदलने को लेकर चर्चा तेज है। हालांकि, युवा कांग्रेस और एनएसयूआई में बदलाव नहीं होगा। राजस्थान विधानसभा और लोकसभा चुनाव में निष्क्रिय रहने और पार्टी लाइन से हटकर काम करने वाले नेताओं पर अनुशासन का डंडा चलाने के नाम पर कांग्रेस ने 32 ब्लॉक और मंडल कार्यकारिणी को भंग कर दिया। कहा जा रहा है कि प्रदेश कार्यकारिणी के 115 सचिवों में से निष्क्रियता के नाम पर इनमें से करीब एक तिहाई सचिवों की सूची तैयार कर ली गई है।

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भाजपा से आरपार की लड़ाई करने के मूड में कांग्रेस

इसे लेकर पीसीसी अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि यह छोटी बात नहीं है। नेताओं को कार्यकर्ताओं के बीच जाना पड़ेगा। कोई डरने की जरूरत नहीं है। जो डर रहा है और जो कल जाने वाला है तो वह आज ही बीजेपी में जाने के लिए छुट्टी ले सकता है। आपको बता दें कि विधानसभा चुनावों के बाद से ही वसुंधरा युग से बाहर आ चुकी राजस्थान बीजेपी नए प्रदेशाध्यक्ष के साथ अब संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी में जुट गई है। वहीं, लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस भी अब भाजपा सरकार से आरपार की लड़ाई के मोड में है। शायद यही कारण है कि दोनों ही पार्टियां अब राजनीतिक और जातिगत समीकरणों के आधार पर अपने संगठन को और मजबूत बनाने पर खासा ध्यान दे रही है।

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