राजस्थान उपचुनाव: कनिका बेनीवाल कौन? खींवसर से ठोकी ताल, त्रिकोणीय हुआ मुकाबला
Rajasthan By-Election Who is Kanika Beniwal: राजस्थान उपचुनाव काफी दिलचस्प हो गया है। यहां 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। जिसके लिए कांग्रेस-बीजेपी ने अपने-अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। सबसे दिलचस्प मुकाबला खींवसर सीट से होता नजर आ रहा है क्योंकि यहां से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) ने कनिका बेनीवाल को मैदान में उतार दिया है। आइए जानते हैं कनिका बेनीवाल कौन हैं और उनकी इस सीट पर दावेदारी से क्या समीकरण बनेंगे।
कौन हैं कनिका बेनीवाल?
कनिका बेनीवाल आरएलपी अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल की पत्नी हैं। हनुमान बेनीवाल सांसद बन चुके हैं, ऐसे में ये सीट खाली हो गई थी। कनिका बेनीवाल हाउसवाइफ हैं। ऐसे में वह घर और परिवार की ही जिम्मेदारी संभालती हैं। राजनीति में उनकी एंट्री पहली बार करवाई गई है। उन्होंने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है। वह सोशल मीडिया पर पार्टी के प्रचार-प्रसार की तस्वीरें शेयर करती रहती हैं।
श्रीमती कनिका बेनीवाल जी को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की तरफ से खींवसर विधानसभा उपचुनाव में उम्मीदवार बनाए जाने पर हार्दिक बधाई एवं जीत की मंगलकामनाएँ।#उपचुनाव_2024 #रालोपा_खींवसर #kanikabeniwal pic.twitter.com/cxiAqhOHlT
— Godara Jat (@GodaraJat5) October 24, 2024
कांग्रेस से रतन चौधरी को टिकट
खींवसर से कांग्रेस ने सेवानिवृत्त डीआईजी सवाईसिंह चौधरी की पत्नी रतन चौधरी को टिकट दिया है। सवाईसिंह 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन खींवसर से हनुमान बेनीवाल से हार गए। पिछले चुनाव (2023) में उन्हें टिकट नहीं दिया गया। कांग्रेस ने यहां से तेजपाल मिर्धा को टिकट दिया था, लेकिन वे भी चुनाव हार गए।
कनिका बेनीवाल के उतरने से दिलचस्प हुआ मुकाबला
अब कांग्रेस के महिला कार्ड के जवाब में कनिका बेनीवाल को उतारकर आरएलपी ने ये मुकाबला काफी दिलचस्प बना दिया है। गौरतलब है कि कांग्रेस ने राजस्थान उपचुनाव में गठबंधन न करके सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। आरएलपी की पहले कांग्रेस गठबंधन से बात चल रही थी, लेकिन बाद में तय हुआ कि खुद का प्रत्याशी उतारेंगे।
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वहीं बीजेपी की बात की जाए तो उसने रेवतराम डांगा को टिकट दिया है। डांगा पर बीजेपी ने दूसरी बार दांव खेला है। वह पिछले विधानसभा चुनाव में महज 2059 वोटों से हनुमान बेनीवाल से हार गए थे। ऐसे में एक से एक धाकड़ प्रत्याशियों के उतरने से खींवसर में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
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हनुमान बेनीवाल का गढ़
आपको बता दें कि खींवसर को जाट नेता हनुमान बेनीवाल का गढ़ माना जाता है। पिछले चुनाव में भी आरएलपी ने सिर्फ इसी सीट पर जीत हासिल की थी। इससे पहले वे तीन चुनाव जीतते आ रहे थे। ऐसे में इस सीट को बचाए रखना हनुमान बेनीवाल के लिए भी बड़ी चुनौती होगी। बात की जाए वोटरों की तो खींवसर में जाट वोटर जीत-हार तय करते हैं। मिर्धा परिवार का इस सीट पर पहले दबदबा माना जाता था। इस सीट से हनुमान बेनीवाल के छोटे भाई नारायण बेनीवाल 2019 के बाद हुए उपचुनाव में जीत हासिल कर चुके हैं।
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