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वसुंधरा राजे की सक्रियता के सियासी मायने, क्या गंगा से बहकर आई बयार से खुश हैं महारानी?

Rajasthan Politics: यूपी में हुई सियासी हलचल से कोई परिणाम निकलेगा या नहीं ये तो आने वाल समय बताएगा। लेकिन लखनऊ से कई किलोमीटर दूर झालावाड़ में बैठी बीजेपी की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को संजीवन मिल गई है।
01:42 PM Jul 21, 2024 IST | Rakesh Choudhary
वसुंधरा राजे की सक्रियता के सियासी मायने  क्या गंगा से बहकर आई बयार से खुश हैं महारानी
Vasundhara Raje

Vasudhara Raje in Rajasthan Politics: राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे अचानक फिर से सक्रिय हो गई है। उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र झालरापाटन में स्थानीय पार्षद के साथ सवार होकर पूरे क्षेत्र का भ्रमण किया और साफ-सफाई को लेकर स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिया। राजस्थान की राजनीति में हाशिए पर जा चुकी पूर्व सीएम अचानक सक्रिय हुई तो सियासी गलियारों में चर्चा उठी कि क्या वसुंधरा फिर से सक्रिय राजनीति में वापसी करने वाली है अगर ऐसा होता है तो राजस्थान में नेतृत्व के संकट से जूझ रही बीजेपी को संजीवन मिल सकती है। ऐसे में आइये जानते हैं वसुंधरा राजे की सक्रियता के असल मायने।

राजस्थान में नवंबर 2023 में विधानसभा के चुनाव हुए। विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 115 सीटों पर जीत मिली और पार्टी ने प्रदेश में सरकार बनाई। प्रदेश में चुनाव से पहले ही नेताओं के बयानों से सुगबुगाहट आ रही थी कि इस बार राजस्थान में सत्ता परिवर्तन होना तय है। हालांकि वसुंधरा राजे के शक्ति प्रदर्शन और समय-समय पर दिए गए बयानों से माहौल दोतरफा होने लगा था।

तस्वीर 15 दिसंबर 2023 की है। भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद वसुंधरा ने उन्हें आशीर्वाद दिया था।

सीएम फेस डिक्लेयर नहीं हुआ तो हुईं नाराज

वसुंधरा समर्थक नेताओं को लग रहा था कि हाईकमान उन्हें एक बार फिर कुर्सी सौंपेगा। इस बीच वसुंधरा भी लगातार चुनावों के चलते सक्रिय नजर आने लगी। चुनाव से पूर्व संगठन के स्तर पर होने वाली सभी बैठकों में वे हिस्सा लेती थीं। हालांकि चुनाव परिणाम के बाद हुआ वहीं जिसका अंदेशा पहले से था। वसुंधरा चुनाव से पहले खुद को सीएम फेस डिक्लेयर करने पर अड़ी हुई थीं लेकिन हाईकमान ने उनको सीएम फेस डिक्लेयर नहीं किया।

तस्वीर 12 दिसंबर 2023 की है। भजनलाल शर्मा को विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद वसुंधरा और भजनलाल एक साथ बैठे थे।

लोकसभा में पूरी तरह निष्क्रिय थीं वसुंधरा

चुनाव के बाद वसुंधरा ने ही दिल्ली से आई पर्ची से नाम पढ़ा। पर्ची में लिखा नाम पढ़ने के बाद तो वे भी हैरान हो गई। हाईकमान ने कम अनुभवी, शांत और पहली बार चुनाव जीतकर आए भजनलाल शर्मा को प्रदेश की कमान सौंप दी। इसके बाद वसुंधरा सियासी गलियारे से गायब सी हो गईं। लोकसभा चुनाव में उनकी उपस्थिति न के बराबर थी। उनकी निष्क्रियता से पार्टी को नुकसान हुआ और पूर्वी राजस्थान की अधिकांश सीटों पर उसे हार का मुंह देखना पड़ा। 2 चुनावों में 25 सीटें जीतने वाली पार्टी इस चुनाव में 14 सीटों पर सिमट गई। सवाल उठे लेकिन दब गए।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यूपी में लोकसभा चुनाव के बाद सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के बीच तकरार देखने को मिल रही है। केशव मौर्या का दिल्ली जाकर बैठना और उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष की पीएम मोदी से मुलाकात को लेकर जो बयार यूपी से आई थी वो जयपुर और सुदूर दक्षिण में झाालवाड़ तक भी पहुंची। ऐसे में वसुंधरा की सक्रियता सियासी गलियारों में कुछ तो होने का इशारा कर रही है।

वसुंधरा जी हमारी पथ प्रदर्शक

हालांकि वसुंधरा की सक्रियता को लेकर बीजेपी की सोच कुछ और है। बीजेपी के नेता जीएल यादव ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता राजनीति में सदैव सक्रिय रहते हैं। यही बात हमें कांग्रेसियों से अलग बनाती है। इसको अलग आईने से न देखें। त्याग और तपस्या हमारे संस्कारों का दर्पण है। सम्मानित वसुंधरा जी हमारी पथ प्रदर्शक हैं।

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