'कई लोग पीतल की लौंग मिलने पर खुद को सराफ समझने लग जाते हैं', वसुंधरा राजे का नया तंज; क्या हैं मायने?
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इन दिनों बातों ही बातों में बीजेपी के कई बड़े नेताओं पर कटाक्ष करने से नहीं चूक रही हैं। मंगलवार को जयपुर के बिरला ऑडिटोरियम में सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर के अभिनंदन समारोह के दौरान भी उन्होंने कुछ ऐसी ही बात कही जिससे ऑडिटोरियम में मौजूद कई नेताओं के चेहरे की हवाईयां उड़ने लगीं।
दरअसल अपनी ही सरकार में अपने और अपने कार्यकर्ताओं की अनदेखी से परेशान वसुंधरा राजे ने एक नया तंज करते हुए कहा कि कई लोगों को पीतल की लौंग क्या मिल जाती है, वह अपने आप को सराफ समझ बैठते हैं। लेकिन ऐसे लोगों को ओम माथुर से कुछ सीखना चाहिए जिनके पांव हमेशा जमीन पर रहते हैं। वह कार्यकर्ताओं से हमेशा जुड़े रहते हैं।
चाहत बेशक आसमां छूने की रखो,
लेकिन पाँव हमेशा ज़मीं पर रखो!आज जयपुर में सिक्किम के माननीय राज्यपाल श्री ओम प्रकाश माथुर जी के सम्मान में आयोजित नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम में सम्मिलित होकर उनके सफ़लतम कार्यकाल की शुभकामनाएं प्रेषित की।#Rajasthan pic.twitter.com/icHSxPKVcZ
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) September 3, 2024
अनदेखी के अपने दर्द को ओम माथुर के नाम के साथ जोड़ते हुए वसुंधरा राजे ने कहा कि माथुर साहब कुशल घुड़सवार हैं, जिन्हें लगाम खींचना और चाबुक चलाना अच्छे से आता है।
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पूर्व सीएम ने आगे कहा कि ओम माथुर चाहे कितनी ही बुलंदियों पर पहुंच गए हों, लेकिन इनके पैर हमेशा जमीन पर रहे हैं। इसीलिए इनके चाहने वाले भी असंख्य हैं। वरना कई लोगों को पीतल की लौंग क्या मिल जाती है, वह खुद को सराफ समझ बैठते हैं। माथुर से ऐसे लोगों को ये सीख लेनी चाहिये कि चाहत बेशक आसमां छूने की हो, पांव जमीन पर ही रखो।
"ऐसे लोग बहुत हैं जो पीतल की लोंग मिलते ही खुद को सुनार समझने लगते हैं"
- Vasundhara Raje Again 🔥#Rajasthan pic.twitter.com/Oh5tQIagYW
— Avdhesh Pareek (@Zinda_Avdhesh) September 3, 2024
राज्यपाल के अधिकारों पर भी बोलीं राजे
राजे ने राज्यपाल पद और उससे जुड़े अधिकार पर भी लेक्चर दिया। राजे ने कहा कि गवर्नर रबर स्टांप नहीं होता। जैसा सवार होगा घोड़ा वैसे ही दौड़ेगा। माथुर कुशल घुड़सवार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि राज्यपाल किसी भी विधेयक को रोक सकता है। वह मंत्रियों की सलाह से काम तो करता है,लेकिन अनुच्छेद 166(2) के तहत उसका निर्णय ही अंतिम है।
अनुच्छेद 356 में राज्यपाल की सिफारिश पर किसी भी बहुमत की सरकार को हटा कर उस प्रदेश में सरकार के सारे अधिकार राज्यपाल को मिल जाते हैं। इसलिए राज्यपाल शक्ति रहित नहीं, शक्ति सहित होता है। संविधान बनाते वक्त यह तय हुआ था कि देश में जैसे राष्ट्रपति हैं, वैसे ही राज्य में गवर्नर होंगे। इसलिए राज्य में गवर्नर ही सबसे शक्तिशाली होता है।
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