whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.
Advertisement

आषाढ़ नवरात्रि आज से आरंभ, घट स्थापना के साथ होगी मां शैलपुत्री की पूजा

Ashadha Gupt Navratri 2024: आषाढ़ नवरात्रि की शुरुआत कल यानी शनिवार 6 जुलाई, 2024 को घट स्थापना के साथ होगी। आइए जानते है, नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाने वाली देवी शैलपुत्री का महत्व, उनकी स्तुति और मंत्र।
08:28 AM Jul 06, 2024 IST | Shyam Nandan
आषाढ़ नवरात्रि आज से आरंभ  घट स्थापना के साथ होगी मां शैलपुत्री की पूजा

Ashadha Gupt Navratri 2024: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि आज शनिवार 6 जुलाई, 2024 से शुरू हो रही है। यह इस साल की 4 नवरात्रियों में से दूसरी नवरात्रि है, जो 15 जुलाई तक आयोजित होगी। तांत्रिक सिद्धि के लिए तंत्र-मंत्र के साधक आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की आराधना भी करते हैं। कल इस पर्व की शुरुआत घट स्थापना के साथ शुरू होगी। नवरात्रि की परंपरा के अनुसार, इस पर्व के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। आइए जानते हैं, घट स्थापना का मुहूर्त और नवदुर्गाओं में प्रथम देवी शैलपुत्री का महत्व, उनकी स्तुति और मंत्र।

Advertisement

घट स्थापना मुहुर्त

घट स्थापना या कलश स्थापना का नवरात्रि पूजन में विशेष महत्व है, क्योंकि इसके माध्यम से देवी दुर्गा सहित सभी देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है। आषाढ़ नवरात्रि 2024 की कलश स्थापना का पहला शुभ मुहूर्त 6 जुलाई की सुबह 5 बजकर 56 मिनट से लेकर 10 बजकर 5 मिनट तक है। वहीं, इस पर्व की घट स्थापना अभिजित मुहूर्त में दोपहर में 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक भी की जा सकती है।

मां शैलपुत्री का महत्व

शैलपुत्री देवी पार्वती का दूसरा नाम है। मान्यता है कि आत्मदाह करने के बाद माता सती का पुनर्जन्म पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप हुआ। हिमालय एक नाम शैलराज भी है। इसलिए देवी पार्वती को शैलपुत्री भी कहते हैं। नवरात्रि के प्रथम दिवस पर देवी शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शैलपुत्री रूप की पूजा करने से चन्द्र ग्रह से संबंधित दोष से मुक्ति मिलती है। देवी सती इस जन्म में भी विवाह भगवान शंकर से ही हुआ। उनकी शक्तियां अनंत हैं।

Advertisement

ऐसा है मां शैलपुत्री का रूप

मां शैलपुत्री का रूप बहुत सौम्य और शांत है। उनकी दो भुजाओं में से दाहिनी भुजा में त्रिशूल एवं बायीं भुजा में कमल पुष्प सुशोभित है। उनका वाहन यानी सवारी बैल है। चूंकि वे बैल यानी वृषभ पर सवार हैं, इसलिए उनका एक नाम वृषारूढ़ा भी हैं।

Advertisement

मां शैलपुत्री की स्तुति और प्रार्थना मंत्र

नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा "ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः" मंत्र से की जाती है। इस मंत्र का 1, 3, 5, 7, 11 या 21 माला जाप करने से साधक या साधिका को लाभ होता है। वहीं, मां शैलपुत्री का प्रार्थना और स्तुति मंत्र इस प्रकार है:

प्रार्थना मंत्र: वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥ (Vande Vaanchhitalaabhaya Chandrardhakritashekharam.
Vrisharudham Shuladharam Shailaputrim Yashasvinim.)

स्तुति मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ (Ya Devi Sarvabhuteshu Maa Shailaputri Rupena Sansthita. Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Namah.)

ये भी पढ़ें: विराट कोहली के मोबाइल में दिखी जिन बाबा की तस्वीर, जानें उनसे जुड़ी 5 खास बातें

ये भी पढ़ें: Kawad Yatra 2024: कांवड़ यात्रा कब शुरू होगी? जानें सावन मास में इस यात्रा का महत्व

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App Tags :
Advertisement
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो