होमखेलवीडियोधर्म मनोरंजन..गैजेट्सदेश
प्रदेश | हिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारदिल्लीपंजाबझारखंडछत्तीसगढ़गुजरातउत्तर प्रदेश / उत्तराखंड
ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थExplainerFact CheckOpinionनॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

Sankashti Chaturthi 2024: आज संकष्टी चतुर्थी पर पढ़ें ये कथा, दूर होंगी सभी परेशानियां!

Sankashti Chaturthi 2024: भगवान गणेश को समर्पित आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का सनातन धर्म के लोगों के लिए खास महत्व है, जिसे देश के कई राज्यों में विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्रत और पूजा के साथ-साथ कथा सुनना व पढ़ना भी जरूरी होता है। चलिए जानते हैं विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत की सही कथा के बारे में।
06:00 AM Sep 18, 2024 IST | Nidhi Jain
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2024
Advertisement

Sankashti Chaturthi 2024: सनातन धर्म के लोगों के लिए विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व है। जो आश्विन मास की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है। ये दिन भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ गणपति बप्पा की पूजा की जाती है। इससे घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। साथ ही बप्पा के आशीर्वाद से सभी दुख-दर्द का अंत होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन मास की चतुर्थी तिथि यानी विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत 21 सितंबर को रखा जाएगा।

Advertisement

चतुर्थी तिथि पर गणपति जी की पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: काल 07 बजकर 40 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर है। वहीं शाम में 06 बजकर 19 मिनट से लेकर रात 07 बजकर 47 मिनट तक भी पूजा का मुहूर्त है। हालांकि विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी की पूजा कथा के बिना अधूरी मानी जाती है। व्रत के साथ-साथ कथा सुनने व पढ़ने से ही पूजा का पूर्ण फल मिलता है। चलिए जानते हैं विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी की असली व्रत कथा के बारे में।

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, दानवीर दैत्यराज बलि के सौ प्रतापी पुत्र में से बाणासुर भी एक था, जिसने भगवान शिव की कठिन तपस्या की थी। बाणासुर की एक बेटी भी थी, जिसका नाम उषा था। एक दिन उषा को सपना आया कि वो अपने होने वाले पति अनिरुद्ध से दूर जा रही हैं। इस सपने के बाद से ही वो विचलित हो गई। उन्होंने अपनी सहेली चित्रलेखा से कहा कि, 'त्रिभुवन में रहने वाले सभी लोगों के चित्र बनवाए, जिसमें से वो अनिरुद्ध को पहचान पाए।'

ये भी पढ़ें- सालों बाद अब चंद्र ग्रहण पर 3 राशियों पर होगी पैसों की बारिश! 21 अद्भुत योग का बना महासंयोग

Advertisement

अनिरुद्ध कहां पर मिला?

चित्रलेखा ने चित्र को बनवाकर उषा को दे दिया। उषा ने एक चित्र को देखते हुए कहा, 'ये वो ही है, जिसके साथ सपने में मेरा पाणिग्रहण हुआ था।' इसके बाद उषा ने अपनी सहेली को उसे ढूंढने का आदेश दिया। अपनी सखी के कहने पर चित्रलेखा ने कई स्थानों पर अनिरुद्ध को ढूंढा। कई दिनों बाद द्वारकापुरी में अनिरुद्ध मिला, जिसके बाद उसे बाणासुर नगरी लाया गया।

श्रीकृष्ण ने लोमश मुनि की ली मदद

अनिरुद्ध के गुम होते ही राजा प्रद्युमन अपने पुत्र के शोक में चले गए। तब दुखी रुक्मिणी ने भगवान कृष्ण से कहा, 'हमारे पौत्र का किसी ने हरण किया है या वो अपनी इच्छा से गया है? कृपया बताइए। नहीं तो, मैं अपने प्राण त्याग दूंगी।' रुक्मिणी की बातें सुनकर श्रीकृष्ण जी ने यादवों की सभा बुलाई। जहां पर उन्होंने लोमश ऋषि के दर्शन करके उन्हें सारी घटना के बारे में बताया। तब लोमश मुनि ने कृष्ण जी को बताया कि, 'बाणासुर नगरी की उषा नामक एक कन्या की सहेली चित्रलेखा ने आपके पौत्र का अपहरण किया है, जो बाणासुर के महल में ही है।'

संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व

इसी के आगे उन्होंने कहा, 'आप आश्विन मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का अनुष्ठान कीजिए। इस व्रत को करने से आपका पौत्र वापस आ जाएगा।' श्रीकृष्ण ने विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा और विधिपूर्वक पूजा भी की। माना जाता है कि इस व्रत के शुभ प्रभाव से ही कृष्ण जी को उनका पौत्र वापस मिला था। धार्मिक मान्यता के अनुसार, विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से संपूर्ण विपत्तियों का नाश होता है। साथ ही जीवन में शांति और धन-धान्य का वास होता है। हालांकि बाद में कृष्ण जी ने बाणासुर की सहस्त्र भुजाओं को काटकर उसे युद्ध में पराजित कर दिया था।

ये भी पढ़ें- Pitru Paksha 2024: श्राद्ध का खाना घर पर नहीं बना पा रहे हैं तो क्या करें? जानें खाने से जुड़े जरूरी नियम

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App
Advertisement
Tags :
AstrologyGaneshji ki pujaSankashti Chaturthi 2024Spiritual StoryVrat Katha
Advertisement
Advertisement