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क्या है श्रीमद्भागवत और भगवद गीता में अंतर? जानें दोनों के उद्देश्य

भगवत गीता और श्रीमद्भगवद के दोनों ही ग्रंथ भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से हैं, लेकिन इनका उद्देश्य और संदर्भ अलग-अलग है। श्रीमद्भगवद एक विशाल महाकाव्य है, जबकि भगवत गीता एक छोटा सा उपदेश है। आइए जानें इनके अंतर के बारे में...
06:23 PM Dec 11, 2024 IST | Ashutosh Ojha
Bhagavata Purana Bhagavad Gita
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हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में श्रीमद्भगवत पुराण और भगवत गीता का बहुत महत्व है। लोग अक्सर इन्हें एक जैसा समझते हैं, लेकिन दोनों अलग हैं। श्रीमद्भगवत पुराण में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और उनकी लीलाओं की कहानियां हैं। इसमें उनके अद्भुत कामों और भक्तों के साथ उनके रिश्तों का वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ भगवान के जीवन को समझाने के लिए है। वहीं, भगवत गीता एक छोटा ग्रंथ है, जो अर्जुन और श्रीकृष्ण के बीच बातचीत पर आधारित है। इसमें श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन के सही रास्ते, धर्म, कर्म, भक्ति और योग के बारे में सिखाया है। सरल भाषा में, श्रीमद्भगवत पुराण भगवान की कहानियों पर आधारित है, जबकि भगवत गीता जीवन के सही सिद्धांतों को समझाने के लिए है। दोनों का उद्देश्य अलग है, लेकिन दोनों ही बहुत खास हैं।

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श्रीमद्भगवत का विवरण और महत्व

श्रीमद्भगवत को हिंदू धर्म के 18 पुराणों में से एक माना जाता है। इसे भगवत पुराण भी कहा जाता है। यह एक विस्तृत ग्रंथ है, जिसमें 12 स्कंध (खंड) और लगभग 18000 श्लोक होते हैं। इस ग्रंथ में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन, उनके अद्भुत कर्मों, भक्तों के प्रति उनकी कृपा और ब्रह्मा, विष्णु, महेश के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है। यह ग्रंथ भगवान की उपासना, भक्ति और उनके दिव्य गुणों को समझाने का एक अद्भुत स्रोत है। इसमें भक्तों के लिए कई उपदेश और मार्गदर्शन दिए गए हैं, जिससे वे आत्मा की उन्नति कर सकते हैं।

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भगवत गीता का उद्देश्य और संदेश

भगवत गीता महाभारत के भीष्म पर्व का हिस्सा है और इसमें भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुए संवाद का वर्णन है। यह संक्षिप्त ग्रंथ 700 श्लोकों में समाहित है और इसका मुख्य उद्देश्य जीवन के नैतिक और दार्शनिक पहलुओं को समझाना है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म, कर्म, भक्ति, ज्ञान, और योग के कई मार्गों के बारे में बताया है। इसमें विशेष रूप से धर्म और भक्ति को एक प्रमुख मार्ग के रूप में दिखाया गया है, जिससे व्यक्ति जीवन के हर संकट का सामना कर सकता है और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता है। भगवत गीता को जीवन की कठिनाइयों से उबरने और सही मार्ग पर चलने के लिए एक सबसे परफेक्ट मार्गदर्शन माना जाता है। इन दोनों ग्रंथों का मुख्य अंतर यह है कि श्रीमद्भगवत में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और उनकी लीलाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है, जबकि भगवत गीता जीवन की आध्यात्मिक और दार्शनिक समस्याओं का समाधान देती है।

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Tags :
Bhagavad Gita SandeshQuoting the Bhagavad GitaShrimad Bhagwat Katha
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