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Bhuvaneshwari Jayanti 2024: भुवनेश्वरी जयंती के दिन पढ़ें ये व्रत कथा, सुख-समृद्धि और धन से भरा रहेगा घर!

Bhuvaneshwari Jayanti 2024: देवी भुवनेश्वरी माता दुर्गा का सौम्य अवतार हैं, जिनके प्रकाश से पूरी सृष्टि में उजाला होता है। देवी भुवनेश्वरी को प्रसन्न करने के लिए माता के भक्त भुवनेश्वरी जयंती के दिन व्रत रखते हैं। चलिए जानते हैं साल 2024 में भुवनेश्वरी जयंती का व्रत किस दिन रखा जाएगा।
09:17 AM Sep 13, 2024 IST | Nidhi Jain
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भुवनेश्वरी जयंती 2024

Bhuvaneshwari Jayanti 2024: मां भुवनेश्वरी को दस महाविद्याओं की देवी माना जाता है, जिनकी पूजा से विशेष सिद्धि प्राप्त की जा सकती है। हर साल मां भुवनेश्वरी को समर्पित भुवनेश्वरी जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ देवी भुवनेश्वरी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। देवी भुवनेश्वरी की 4 भुजाएं हैं। उनका एक हाथ वरदान मुद्रा में है। दूसरा हाथ अभय मुद्रा, तीसरे में अंकुश और शेष पाश मुद्रा में है। हालांकि मां भुवनेश्वरी की साधना करना सरल नहीं है। कठिन तप और त्याग करने के बाद ही मां भुवनेश्वरी को प्रसन्न किया जाता है। लेकिन एक बार मां भुवनेश्वरी जिस व्यक्ति पर अपना हाथ रख देती हैं, उसको जीवन में हर सुख की प्राप्ति होती है। इसी वजह से सनातन धर्म के लोगों के लिए भुवनेश्वरी जयंती का खास महत्व है।

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चलिए जानते हैं इस बार भुवनेश्वरी जयंती का व्रत किस दिन रखा जाएगा। इसी के साथ आपको इस व्रत की कथा के बारे में भी पता चलेगा, जिसे पढ़ने मात्र से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है।

2024 में भुवनेश्वरी जयंती कब है?

वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन भुवनेश्वरी जयंती का व्रत रखा जाता है। इस साल भाद्रो माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि का आरंभ 14 सितंबर 2024 को शाम 08:41 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 15 सितंबर 2024 को शाम 06:12 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर भुवनेश्वरी जयंती का व्रत 15 सितंबर 2024 को रखा जाएगा। इस दिन पूजा का विजय मुहूर्त दोपहर में 02:19 मिनट से लेकर 03:19 मिनट तक है।

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भुवनेश्वरी जयंती व्रत की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन समय में एक क्रूर दुर्गम नामक राक्षस था, जिसके अत्याचारों से आमजन के साथ-साथ सभी देवी-देवता गण परेशान हो गए थे। दुर्गम राक्षस के अधर्मों से बचने के लिए एक दिन देवता गण और ब्राह्मणों ने योजना बनाई कि वो हिमालय पर्वत पर जाकर माता भुवनेश्वरी की पूजा करेंगे।

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देवताओं और ब्राह्मणों की पूजा से प्रसन्न होकर देवी स्वयं हिमालय पर्वत पर प्रकट हुई थी। जैसे ही देवी ने अपनी आंखें खोली, तो उनकी आंखों से पानी की धाराएं बहने लगी, जिससे पृथ्वी के सभी प्राणी संतुष्ट हो गए। इसी के साथ पेड़-पौधे और जड़ी-बूटियां भी सिंचित हो गई। इसके बाद देवी भुवनेश्वरी ने दुर्गम राक्षस से युद्ध कर उसका वध किया।

भुवनेश्वरी जयंती की व्रत कथा का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, भुवनेश्वरी जयंती के दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से मां भुवनेश्वरी व्रत की कथा को सुनता है या पढ़ता है, तो उसके घर में सदा खुशहाली रहती है। इसके अलावा माता के आशीर्वाद से घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा भी समाप्त हो जाती है, जिससे खुशहाली और धन-धान्य का वास होता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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