Buddha Purnima 2024: सिद्धार्थ गौतम के जीवन की 10 महत्वपूर्ण घटनाएं, जिसने उन्हें बनाया भगवान बुद्ध
Buddha Purnima 2024: न केवल भगवान बुद्ध की शिक्षाएं बल्कि उनके जीवन से जुड़ी प्रत्येक घटना का विशेष महत्व है। कहते हैं, यदि के घटनाएं न होती, तो लुम्बिनी के एक शाक्य राजकुमार सिद्धार्थ गौतम से वे भगवान बुद्ध नहीं बन पाते। आइए जानते हैं, भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़ी ये 10 महत्वपूर्ण घटनाएं कौन-सी हैं?
घायल हंस की सेवा
भगवान बुद्ध के चचेरे भाई देवदत्त के तीर से घायल एक हंस की सेवा से उसे स्वस्ठ करना, बुद्ध के जीवन की वह पहली घटना थी, जिसने उनमें दया, करुणा और सेवा की भावना को स्थापित किया।
नलगिरि हाथी को वश में करना
सिद्धार्थ गौतम के चचेरे भाई देवदत्त ने एकबार नलगिरी नामक एक हाथी को मदमस्त कर बुद्ध को मारने के लिए भेजा था। जब नलगिरी भगवान बुद्ध के सामने आया तो, वह हाथी बुद्ध की शांत और अभयमुद्रा के आगे स्वयमेव अपने घुटनों पर बैठ गया और बुद्ध के वश में हो गया। यह घटना पशुओं पर भी बुद्ध के व्यक्तित्व को प्रतिष्ठित करती है।
चार महान दृश्य
कपिलवस्तु में एक वृद्ध व्यक्ति, रोगी, अर्थी और एक संन्यासी से साक्षात्कार होने की घटना को बुद्ध के जीवन का 'चार महान दृश्य' कहा जाता है। कहते हैं, यही वो चार घटनाएं थीं, जिसने बुद्ध के जीवन को गहराई से प्रभावित किया और वे ज्ञान प्राप्ति कर संसार को दुःख से निजात दिलाने के लिए तत्पर हुए थे।
महाभिनिष्क्रमण
अपनी सुंदर पत्नी यशोधरा, पुत्र राहुल और राजसुख को ठुकरा कर ज्ञान प्राप्त करने के लिए बुद्ध के घर से निकलने की घटना को 'महाभिनिष्क्रमण' कहा गया है। इस घटना के बाद से बुद्ध ने तपस्वी जीवन में प्रवेश किया था।
बोध गया में तपस्या
भगवान बुद्ध ने बिहार के बोध गया में 6 वर्षों तक तपस्या की थी, जिसके बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इस ज्ञान का उपयोग उन्होंने लोगों के जीवन से दुख, पीड़ा और निराशा को दूर करने के लिए किया।
सुजाता की खीर
बोध गया में बिना अन्न-जल के तपस्या के दौरान बुद्ध इतने कमजोर हो गए थे कि वे चिंतन-मनन करने में भी असमर्थ हो गए थे। तब सुजाता नामक एक युवती ने उन्हें खीर भेंट की और ग्रहण करने का आग्रह किया था। इस खीर को ग्रहण करने के बाद बुद्ध समझ गए कि जीवन में कभी कोई भी 'अति' (Extreme) नहीं होनी चाहिए। इस घटना ने बुद्ध को मध्यमार्गी बनाया।
धर्मचक्र प्रवर्तन
भगवान बुद्ध के पहले उपदेश को 'धर्मचक्र प्रवर्तन' कहते हैं, जो उन्होंने सारनाथ में दिया था। बोध गया में उनके साथ तपस्या कर रहे 5 ब्राह्मणों को उन्होंने यहीं अपना शिष्य बनाया था।
आम्रपाली का आतिथ्य
वैशाली की राजनर्तकी आम्रपाली का आतिथ्य ग्रहण करना एक बड़ी घटना मानी जाती है। कहते हैं, आम्रपाली के आग्रह पर भगवान बुद्ध ने बौद्ध संघ में महिलाओं को प्रवेश दिया, जो मानवता के इतिहास में एक महान ऐतिहासिक घटना है।
जुड़वां चमत्कार
आकाश में रत्न-जड़ित मार्ग पर बुद्ध का हवा उड़ना और फिर शरीर के ऊपरी भाग से अग्नि और निचले हिस्से से पानी का प्रवाह बुद्ध का 'जुड़वां चमत्कार' (ट्विन मिरैकल) कहलाता है। इससे बुद्ध को महान दिव्य पुरुष के रूप में स्थापित किया।
ये भी पढ़ें: Buddha Purnima 2024: असफलता से न हों निराश, पढ़ें भगवान बुद्ध के 10 बेस्ट कोट्स
अप्प दीपो भव
भगवान बुद्ध ने अपने अंतिम उपदेश में अपने शिष्यों और अनुयायियों से कहा था, 'अप्प दीपो भव' यानी आप अपना मार्गदर्शक प्रकाश खुद बनिए। इस अंतिम उपदेश ने उनके शिष्यों को अपने और संघ के उत्थान के लिए विवेक और दिशा तय करने में सहायता की।
ये भी पढ़ें: Buddha Purmima 2024: ‘ट्विन मिरैकल’ की घटना क्या है? जानें बौद्ध धर्म में इसका क्या महत्व