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Chanakya Niti: ऐसी संतानें कर देती हैं कुल का विनाश, समय रहते ध्यान दें माता-पिता, वरना पछताने से भी कुछ नहीं होगा

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य एक राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ दूरदर्शी भी थे। उन्होंने अपने नीतिशास्त्र में बताया है कि कुछ संतानें ऐसी होती हैं जो कुल का विनाश कर देती हैं। आइए जानते हैं कि कैसी संतानें कुल का विनाश कर देती हैं।
07:18 PM Oct 19, 2024 IST | Nishit Mishra
chanakya niti  ऐसी संतानें कर देती हैं कुल का विनाश  समय रहते ध्यान दें माता पिता  वरना पछताने से भी कुछ नहीं होगा

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में जीवन को कैसे सफल बनाया जाए, इसके बारे में विस्तार से बताया है। चाणक्य के नीतियों का आज भी अनुसरण किया जाता है और सफलता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण माना जाता है। चाणक्य के मुताबिक यदि संतान संस्कारी हो तो वह कुल को आगे बढ़ने का काम करती है। जबकि संतान में यदि अधर्म के लक्षण हो तो वह कुल का विनाश कर देती हैं।

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पहला

चाणक्य कहते हैं कि माता-पिता को चाहिए कि वो अपने बच्चों को हमेशा अच्छे संस्कार दें। यदि कोई बच्चा गलत संगत में पड़ जाए तो, उसे समय रहते सुधारने की भरपूर कोशिश करें। हमेशा बच्चों को सही और गलत का पाठ अवश्य पढ़ाएं। यदि संतान संस्कारी और आज्ञाकारी होती है तो वह कुल का नाम रोशन करती है। जबकि इसके विपरीत संस्कारहीन और आज्ञा न मानने वाली संतान कुल का विनाश कर देती है। यदि विश्वास न हो तो आप महाभारत को पढ़ सकते हैं।

दूसरा

एकेन शुष्कवृक्षेण दह्यमानेन वह्निना ।

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दह्यते तद्वनं सर्वं कुपुत्रेण कुलं यथा ॥

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इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस तरह एक सुखी लकड़ी में आग लगने से पूरा वन जलकर नष्ट हो जाता है, उसी तरह यदि संतान नालायक हो तो वह पूरे कुल नष्ट कर देती है। आपने भी देखा होगा जब एक सूखे हुए वृक्ष में आग लगती है तो, उस अग्नि की चपेट में आकर पूरा वन जल कर राख हो जाता है। उसी तरह यदि कुल में कोई एक संस्कारहीन हो जाए तो वह पूरे कुल को कलंकित कर देता है। ऐसी संतान पूरे कुल के सम्मान को भी नष्ट करने का काम करती है।

तीसरा

चाणक्य कहते हैं यदि किसी कुल में दुष्ट संतान जन्म लेता है तो उस कुल का भी विनाश निश्चित है। दुष्ट संतान के कारण माता-पिता के साथ-पूरे कुल को उसकी सजा भुगतनी पड़ती है। आपने भी देखा होगा यदि किसी परिवार में एक व्यक्ति अपराधी हो जाता है तो, कई पीढ़ियों तक उस कुल के लोगों को समाज में इज्जत नहीं मिलती,भले ही दूसरे लोग अच्छे ही क्यों न हों। एक व्यक्ति की गलती के कारण पूरा परिवार, समाज की दृष्टि में अपराधी बन जाता है।

चौथा

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि कोई संतान अधर्मी हो जाए या आज्ञा का पालन न करें तो, माता-पिता को चाहिए कि वह उसे तुरंत त्याग दें। अगर समय रहते माता-पिता उसका त्याग नहीं करते हैं तो उस कुल को नष्ट होने से कोई भी नहीं बचा सकता।

महाभारत में भी आपने देखा होगा कि महात्मा विदुर के कहने के बाद भी, पिता धृतराष्ट्र नेअपने ज्येष्ठ पुत्र दुर्योधन का त्याग नहीं किया। महात्मा विदुर ने दुर्योधन के जन्म के समय ही बता दिया था कि यह कुल का विनाश करेगा। फिर जो हुआ वह एक इतिहास बन गया, जिसके बारे में हम सभी जानते ही हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है

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