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18 जुलाई से अगले 118 दिन तक भूल से भी न करें ये 5 काम; धन संकट से रुक जाएगी तरक्की

Chaturmas 2024: 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी के अगले दिन से शुरू होने वाला चातुर्मास 12 नवंबर तक चलेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अवधि में भगवान विष्णु के सो जाने के कारण कुछ काम भूल से भी नहीं करने चाहिए, अन्यथा जीवन में तरक्की रुक सकती है।
07:35 PM Jul 17, 2024 IST | Shyam Nandan
18 जुलाई से अगले 118 दिन तक भूल से भी न करें ये 5 काम  धन संकट से रुक जाएगी तरक्की

Chaturmas 2024: हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार, देवशयनी एकादशी को भक्तों और श्रद्धालुओं की पूजा स्वीकार करने के बाद भगवान विष्णु धरती से चले जाएंगे और क्षीर सागर में शेषनाग की शैय्या पर योगनिद्रा में लीन हो जाएंगे। इस साल यह एकादशी 17 जुलाई को पड़ रही है, जिसके अगले दिन से चातुर्मास की शुरुआत हो रही है, जो सावन, भादो, आश्विन और कार्तिक मास में 118 दिन तक चलेगी। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, दौरान लगभग सभी मांगलिक कार्य करने के मनाही है। आइए जानते हैं, इस अवधि में कौन-से 5 काम करने पर घर, परिवार और व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पर बेहद नकारात्मक असर होता है, जिससे जीवन के अनेक पहलुओं पर प्रभाव पड़ता है?

चातुर्मास है संयम के 4 माह

हिन्दू धर्म में चातुर्मास धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद महत्व रखता है। इस अवधि को संयमित जीवन जीने का समय माना गया है। चातुर्मास के चार महीनों में जगतपालक भगवान विष्णु के सो जाने से यह समय स्व-साधना और आत्मसंयम के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। इस अवधि में विशेष रूप से जाप, पाठ, ध्यान और आत्म-चिंतन करना चाहिए। इस अवधि में गरीबों और जरुरतमंदों को छतरी, जूते-चप्पल, धन और अन्न का दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

चातुर्मास में न करें ये काम

मांगलिक कार्य: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, चातुर्मास में रोका, सगाई, विवाह, उपनयन, मुंडन, बच्चे का नामकरण, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। कहते हैं, इस समय इन कामों को शुरू करने से या तो वे पूरे नहीं होते हैं या जबरदस्त हानि हो सकती है।

तामसिक भोजन: मान्यता है कि इस दौरान तामसिक भोजन, जैसे- मांस, मछली, अंडा, लहसुन-प्याज, शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से कुंडली में दोष उत्पन्न होता है और ग्रहों की दृष्टि नकारात्मक हो जाती हैं।

सामान्य खानपान में वर्जित वस्तुएं: मान्यता है कि इन चार महीनों में कुछ चीजों, जैसे- दही, अचार और अन्य खटाई, साग, हरी पत्तेदार सब्जियां, बैंगन, मूली आदि खाने से परहेज करना चाहिए। प्राचीन कहावत भी है कि सावन में साग, भादों में दही और छाछ, आश्विन में अचार और कार्तिक में करेला नहीं खाना चाहिए। इन्हें खाने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है, जिसके इलाज पर काफी व्यय हो सकता है।

भूमि खोदना: चातुर्मास में भूमि खोदना या निर्माण कार्य करना वर्जित माना जाता है। यही कारण है कि चातुर्मास के दौरान भूमि पूजन और भवन की नींव नहीं खोदी जाती है। कहते हैं, इससे घर में जल्द ही धन संकट आ जाता है।

नया व्यापार प्रारंभ करना: नया व्यापार शुरू करना भी चातुर्मास में टाल देना चाहिए। दूर की यात्राएं भी इस दौरान करने से मना किया जाता है। कहते हैं, यह आदमी को कर्ज में डूबा देता है।

इसके अलावा इन 4 महीनों में वस्त्र धारण में भी कुछ वर्जनाएं है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, रेशमी और ऊनी वस्त्रों को धारण करना भी इस अवधि में वर्जित माना गया है। इस नियम का उल्लंघन से करने से आया हुआ धन जल्द ही विलीन हो जाता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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