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Chhath Puja 2024: खरना पूजा के दौरान भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां, वरना टूट जाएगा व्रत!

Chhath Puja: चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत नहाय-खाय के साथ 5 नवंबर 2024 से हो गई है, जिसके दूसरे दिन खरना पूजा की जाएगी। चलिए जानते हैं खरना पूजा के महत्व और उससे जुड़े नियमों के बारे में।
12:57 PM Nov 05, 2024 IST | Nidhi Jain
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जानें खरना पूजा के नियम...

Chhath Puja 2024: हिंदूओं के प्रमुख त्योहारों में से एक छठ पर्व का आरंभ हो गया है। ये त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है, जिस दौरान भगवना सूर्य और छठी मैया की पूजा की जाती है। बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, नेपाल और झारखंड आदि क्षेत्रों में छठ का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। छठ के पहले दिन नहाय-खाय का उत्सव मनाया जाता है, जिसके बाद खरना, संध्या सूर्य अर्घ्य और अतं में प्रातः काल सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।

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साल 2024 में 5 नवंबर को नहाय-खाय और 6 नवंबर को खरना की पूजा की जाएगी। ये दिन व्रती महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। खरना के दिन से ही 36 घंटे के निर्जला उपवास का आरंभ होता है, जिसका समापन सूर्य को अर्घ्य देने के बाद होता है। चलिए विस्तार से जानते हैं खरना के महत्व और उससे जुड़े नियमों के बारे में।

खरना का महत्व 

छठ पर्व के दूसरे दिन उपवास रखा जाता है। इस दिन रात में खीर का महाप्रसाद खाया जाता है, जिसे खरना कहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, खरना का अर्थ है तन और मन को शुद्धि करना। खरना का प्रसाद खाने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत का आरंभ होता है। माना जाता है कि जो लोग सच्चे मन से छठ का व्रत करते हैं, उनके संतान की आयु बढ़ती है। साथ ही बच्चों का जीवन सदा खुशहाली से भरा रहता है।

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खरना पूजा के नियम

  • खरना का प्रसाद गुड़ में बने हुए चावल की खीर से बनाया जाता है, जिसमें चीनी और नमक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। खीर के अलावा खरना के दिन चावल या आटे की रोटी का भोग भी बनाना चाहिए। खरना का प्रसाद खाने के बाद व्रती को न तो अन्न और न ही जल ग्रहण करना चाहिए। नहीं तो व्रत खंडित हो जाता है।
  • खरना का प्रसाद केवल मिट्टी के चूल्हे पर साफ बर्तन में बनाना चाहिए।
  • खरना का प्रसाद ग्रहण करने से पहले देवी-देवताओं को गुड़ की खीर, केले और रोटी का भोग जरूर लगाएं। साथ ही भगवान की पूजा करना शुभ माना जाता है।
  • खरना का प्रसाद केवल व्रती को अपने हाथों से बनाना चाहिए। प्रसाद को सबसे पहले व्रती को खाना चाहिए। उसके बाद परिवार के अन्य सदस्य प्रसाद खा सकते हैं।
  • छठ व्रत के दौरान व्रती को जमीन पर सोना चाहिए और चार दिनों तक ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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