होमखेलवीडियोधर्म मनोरंजन..गैजेट्सदेश
प्रदेश | हिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारदिल्लीपंजाबझारखंडछत्तीसगढ़गुजरातउत्तर प्रदेश / उत्तराखंड
ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थExplainerFact CheckOpinionनॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

Chhath Puja Vrat Katha: छठ पूजा के दिन जरूर सुनें ये पौराणिक कथा, पूरी होंगी मनोकामनाएं

Chhath Puja Vrat Katha: छठ पूजा में देवी षष्ठी की पूजा की जाती है। छठ पूजा के दौरान उंगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। ये पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड़ और उत्तरप्रदेश के पूर्वी हिस्सों में मनाया जाता है। आइए जानते हैं छठ पूजा क्यों की जाती है ?
01:53 PM Oct 23, 2024 IST | News24 हिंदी
Advertisement

Chhath Puja Vrat Katha: छठी मैया की पूजा कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को की जाती है। ऐसा माना जाता है कि देवी षष्ठी की पूजा जो कोई भी सच्चे मन से करता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। देवी षष्ठी को संतान सुख देने के लिए भी जाना जाता है। चलिए जानते हैं कि छठ से जुडी पौराणिक कथा कौन सी जिसे सुनने मात्र से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

Advertisement

राजा प्रियव्रत की कथा

कथा के अनुसार पौराणिक काल में प्रियव्रत नाम के एक राजा हुआ करते थे। उनकी पत्नी का नाम मालिनी था। शादी के काफी सालों बाद तक राजा संतान सुख से वंचित थे। संतानहीन होने के कारण राजा प्रियव्रत और उनकी पत्नी मालिनी दुखी रहने लगे। राजा का मन व्याकुल रहता था कि उनके बाद वंश कैसे आगे बढ़ेगा। फिर एक दिन दोनों पति-पत्नी महर्षि कश्यप के पास गए। महर्षि कश्यप के आश्रम पहुंचकर राजा प्रियव्रत ने अपनी चिंता उनसे बतलाई। फिर उन्होने महर्षि कश्यप से पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने को कहा। राजा को दुखी देख महर्षि पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने को तैयार हो गए।

कौन थी देवी षष्ठी?

कुछ दिनों के बाद महर्षि कश्यप राजा के महल आए और उन्होंने पुत्र कामना पूर्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। यज्ञ के बाद महर्षि कश्यप ने, रानी मालिनी को खीर खाने को दिया।  खीर खाने के कुछ दिन बाद रानी मालिनी गर्भवती ही गई। फिर नौ महीने के बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया। लेकिन वह मृत पैदा हुआ था। मृत शिशु को देखकर राजा-रानी अत्यंत दुखी हो गए। रानी जोर-जोर से रोने लगी. रानी को रोता हुआ देखा, राजा प्रियव्रत आत्महत्या करने को आगे बढ़े।

जैसे ही राजा आत्महत्या करने लगे, उसी समय देवी मानस की पुत्री देवसेना वहां प्रकट हुई। देवसेना ने राजा को रोकते हुए कहा, राजन मैं देवसेना  हूं। मुझे लोग षष्टी देवी भी कहते हैं। मैं मनुष्यों को पुत्र सुख देनेवाली देवी हूं। जो भी व्यक्ति मेरी पूजा सच्चे मन से करता है, उसकी मैं सारी मनोकामनाएं पूर्ण कर देती हूं। राजन यदि तुम भी सच्चे मन से विधि-विधान पूर्वक मेरी पूजा करोगे तो तुम्हें भी पुत्र प्राप्ति का वरदान दूंगी। राजा प्रियव्रत से इतना कहकर देवसेना लौट गई।

Advertisement

छठ पर्व की शुरुआत 

उसके बाद राजा प्रियव्रत ने देवी के कहे अनुसार, कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को देवी षष्ठी की पूजा पूरे विधि-विधान से की। इसके बाद देवी षष्ठी के आशीर्वाद से रानी मालिनी गर्भवती हुई। फिर नौ महीने बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया। ऐसा माना जाता है तभी से कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाने लगा।

महाभारत की कथा 

दूसरी कथा के अनुसार, जब धर्मराज युधिष्ठिर जुए में अपना सब कुछ हार गए तो द्रौपदी ने कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को देवी षष्ठी की पूजा की थी। द्रौपदी की पूजा से प्रसन्न होकर देवी षष्ठी ने उन्हें वरदान दिया कि जल्द ही पांडवों को उसका राजपाठ वापस मिल जाएगा।

ये भी पढ़ें: Chhath Puja 2024: इन 9 चीजों के बिना अधूरी रहती है छठ पूजा, 5वां आइटम है बेहद महत्वपूर्ण!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App
Advertisement
Tags :
chath puja
Advertisement
Advertisement