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अनजाने में हुआ था भगवान शिव की इन 5 बेटियों का जन्म, जानें इनके नाम और कहां-कहां हैं मंदिर?
Lord Shiva Daughters: त्रिदेवों में भगवान शिव संसार के संहारक हैं, लेकिन वे उतने ही कल्याणकारी भी हैं। उनका प्रिय महीना सावन 22 जुलाई से शुरू हो रहा है। आइए इस मौके पर जानते हैं, शिव परिवार से जुड़ी कुछ रोचक बातें। आध्यात्मिक रूप से यूं तो पूरी दुनिया को ही शिव परिवार बताया है, लेकिन हम पौराणिक कथाओं में वर्णित उनके परिवार और पुत्र और पुत्रियों की बात करेंगे।
शोक दूर करने वाली अशोक सुंदरी
ये तो आप जानते हैं कि भगवान शिव को भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय के पिता हैं और उनकी पहली पुत्री का नाम अशोक सुंदरी है। लेकिन ज्योति और मनसा उनकी दो और बेटियां हैं, जिनकी अपनी अलग-अलग विशेषताएं और कथाएं हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए कल्प वृक्ष से कन्या प्राप्ति का वरदान मांगा, जिससे अशोक सुंदरी की उत्पत्ति हुई थी। जो भगवान गणेश और कार्तिकेय की पहली बहन है। अशोक सुंदरी की पूजा गुजरात के अनेक क्षेत्रों में होती है।
आध्यात्मिक शक्ति की देवी ज्वालामुखी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती की दूसरी पुत्री का नाम ज्योति या ज्वालामुखी है। इसके जन्म से जुड़ी दो कथाएं हैं, जिसमें उसकी उत्पत्ति महादेव के शिव के तेज या मां पार्वती के माथे से निकले तेज से हुआ बताया गया है। ज्योति या ज्वालामुखी को प्रभा मंडल का स्वरूप माना जाता है, जिसमें आध्यात्मिक शक्तियां समाहित है। इस शिव पुत्री की पूजा तमिलनाडु के कई मंदिर में होती है।
नागों और सर्पों की देवी मनसा
धार्मिक कथाओं में मनसा देवी को नागों और सर्पों की देवी के रूप में वर्णित किया गया है। इनको भगवान शिव और माता पार्वती की सबसे छोटी पुत्री माना गया है, जिसका एक नाम वासुकी भी है। बता दें, शिव जी की तीसरी पुत्री वासुकी को देवी पार्वती की सौतेली बेटी माना जाता है, जिसे देवी पार्वती ने नष्ट कर देने का भी प्रयास किया था। इनका एक प्रसिद्ध मंदिर हरिद्वार में है, वहीं, बिहार, बंगाल, झारखंड, ओडिशा, असम आदि राज्यों में इनकी पूजा सर्प दंश के जहर और चिकन पॉक्स से बचाव के लिए किया जाता है।
अनजाने में हो गया इन 5 बेटियों का जन्म
लोक मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव और माता पार्वती की पांच और बेटियां है। कहते हैं, इनका जन्म अनजाने में ही हो गया था। लोककथाओं के अनुसार एक बार भगवान शिव और माता पार्वती एक सरोवर में जल-क्रीड़ा कर रहे थे। संयोग वश उसी समय भगवान शिव का वीर्य स्खलन हो गया। महादेव का वीर्य बेकार कैसे हो सकता था? उन्होंने अपने वीर्य को एक पत्ते पर रख दिया। समय के साथ इस वीर्य से 5 कन्याओं का जन्म हुआ, जो मनुष्य नहीं बल्कि नाग कन्याओं के रूप में जन्मीं थीं। जया, विषहरी, शामिलबारी, देवी और दोतलि प्रसिद्ध नाग कन्याएं भगवान शिव की ही पुत्रियां हैं। मान्यता है, इनकी पूजा से मनुष्य को सांप नहीं काटते हैं।
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