whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.

देवी-देवताओं को क्यों नहीं लगाना चाहिए प्याज-लहसुन का भोग? समुद्र मंथन की कहानी में है उल्लेख

Aniruddhacharya Ji Maharaj Viral Video: सोशल मीडिया पर इस समय आचार्य अनिरुद्ध का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वो देवी-देवताओं के भोग और व्रत के खाने में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल न करने के पीछे के धार्मिक कारण के बारे में बता रहे हैं। चलिए जानते हैं भोग में किन-किन चीजों का इस्तेमाल करने की मनाही होती है।
11:02 AM Aug 10, 2024 IST | Nidhi Jain
देवी देवताओं को क्यों नहीं लगाना चाहिए प्याज लहसुन का भोग  समुद्र मंथन की कहानी में है उल्लेख
मंगल कार्यों में प्याज-लहसुन वर्जित क्यों?

Aniruddhacharya Ji Maharaj Viral Video: सनातन धर्म के लोगों के लिए देवी-देवताओं की पूजा-पाठ और व्रत का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, खास तिथि और त्योहार के दिन व्रत रखने से साधक को भगवान का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। देवी-देवताओं को खुश करने के लिए जहां कुछ लोग व्रत रखते हैं। वहीं कुछ लोग देवी-देवताओं को उनकी मनपसंद चीजों का भोग भी लगाते हैं। हालांकि व्रत का खाना बनाते समय साधक को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होता है।

व्रत के खाने में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यहां तक कि ब्राह्मण के खाने में भी प्याज-लहसुन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। लेकिन क्या आपको ये पता है कि भोग के खाने में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाता है? अगर नहीं, तो चलिए जानते हैं इसी सवाल का जवाब आचार्य अनिरुद्ध महाराज से।

समुद्र मंथन से हुई थी अमृत की उत्पत्ति

आचार्य अनिरुद्ध बताते हैं कि समुद्र मंथन के दौरान धन की देवी मां लक्ष्मी के साथ-साथ कई रत्नों की उत्पत्ति हुई थी, जिसमें से एक अमृत कलश भी है। हालांकि अमृत कलश को पाने के लिए देवताओं और असुरों के बीच विवाद भी हुआ था। दोनों पक्ष अमृत पीना चाहते थे, ताकी वो अमर हो सके। लेकिन अंत में अमृत कलश देवताओं को मिला, जिसे भगवान विष्णु मोहिनी का रूप धारण करके देवताओं के बीच बांट रहे थे।

ये भी पढ़ें- सावन में शहद से इस तरह करें रुद्राभिषेक, शिव जी होंगे प्रसन्न, घर में गूंजेगी किलकारी!

राहु-केतु से है प्याज-लहसुन का संबंध

जैसे ही मोहिनी जी ने देवताओं को अमृत पिलाना शुरू किया, तभी वहां पर एक राक्षस देवता का रूप धारण करके देवताओं के बीच आकर बैठ गया। मोहिनी जी ने राक्षस को दो बूंद ही अमृत पिलाया था कि इसी बीच उन्हें अपनी गलती का ज्ञात हुआ और उन्होंने अपने चक्र से उसी समय राक्षस का सिर काट दिया। लेकिन उस समय तक राक्षस ने थोड़ा अमृत पी लिया था, जो उनके मुख में था। ऐसे में वो अमर हो गए।

जिस राक्षस का सिर भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर अलग किया था, आज उनके सिर को राहु और धड़ को केतु कहा जाता है। वहीं इस दौरान अमृत की दो बूंदें धरती पर गिर गई थी, जिससे प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई। प्याज और लहसुन की उत्पत्ति राक्षस के द्वारा हुई थी। केवल इसी वजह से देवी-देवताओं के भोग और व्रत के खाने में लहसुन और प्याज का उपयोग नहीं किया जाता है।

अनिरुद्ध आचार्य जी महाराज कौन हैं?

आचार्य अनिरुद्ध महाराज एक प्रसिद्ध कथावाचक हैं, जिनकी कथा का आयोजन देश के कोन-कोने में किया जाता है। आचार्य अनिरुद्ध कथा के दौरान सनातन धर्म से जुड़े नियम और उपायों के बारे में बताते हैं। इसी के साथ कथा सुनने आए लोगों के प्रश्नों का जवाब भी देते हैं।

ये भी पढ़ें- 2 शुभ योग से 3 राशियों की किस्मत बुलंदियों पर, शनि प्रदोष व्रत के दिन बना महासंयोग

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App Tags :
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो