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Vat Savitri Purnima 2024: वट पूर्णिमा व्रत पर भूल से भी न करें ये काम, वरना टूट पड़ेगा दुखों का पहाड़

Vat Savitri Purnima 2024: हिन्दू पंचांग में अमांत और पूर्णिमांत का अंतर होने के कारण वट पूर्णिमा व्रत 21 जून, 2024 को रखा जाएगा। इस व्रत के फल भी फल वट सावित्री व्रत के समान हैं। आइए जानते हैं, इस व्रत में कौन-सी गलतियां नहीं करनी चाहिए, अन्यथा बहुत बुरे परिणाम हो सकते हैं?
07:04 AM Jun 20, 2024 IST | Shyam Nandan
vat savitri purnima 2024  वट पूर्णिमा व्रत पर भूल से भी न करें ये काम  वरना टूट पड़ेगा दुखों का पहाड़

Vat Savitri Purnima 2024: वट पूर्णिमा व्रत 21 जून, 2024 को रखा जाएगा। इस व्रत के रीति-रिवाज और फल वट सावित्री व्रत के समान हैं। विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु, सौभाग्य और कुशलता के लिए इस व्रत को करती हैं। अमांत और पूर्णिमांत कैलेंडर में अंतर होने के कारण सावित्री और सत्यवान की कथा से जुड़ा यह वट पूर्णिमा व्रत 15 दिन बाद किया जाता है।

वट पूर्णिमा व्रत महत्व

वट पूर्णिमा व्रत में देवी सावित्री और वट वृक्ष की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सावित्री जहां महासती के रूप में पूजी जाती हैं, वहीं वट वृक्ष को मृत्यु के देवता यमराज का प्रतीक माना जाता है। महासती सावित्री ने अपनी निष्ठा, पति-भक्ति और चतुराई से अपने पति सत्यवान के प्राण लौटाने पर यमराज को विवश कर दिया था।

वट पूर्णिमा व्रत पूजा मुहूर्त

वट पूर्णिमा व्रत के दिन यानी 21 जून को पूर्णिमा तिथि का आरम्भ सुबह 7 बजकर 31 मिनट पर होगा, जो 22 जून को 6 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगा। यूं तो इस वट पूर्णिमा व्रत की पूजा पूरे दिन में कभी भी की जा सकती है, लेकिन प्रचलित परंपरा के अनुसार, इस व्रत की पूजा दोपहर तक संपन्न कर लेनी चाहिए, क्योंकि यमराज ने सत्यवान का प्राण दोपहर के समय ही लिया था।

भूल से भी न करें ये गलतियां

वट परिक्रमा की दिशा

वट पूर्णिमा व्रत की पूजा में वट वृक्ष की पूजा और परिक्रमा का विधान सबसे महत्वपूर्ण है। इस वृक्ष की परिक्रमा दाईं से बाईं ओर की जाती है। भूल से भी यह परिक्रमा बाईं से दाईं ओर नहीं करनी चाहिए। मान्यता है कि इससे पति की आयु कम हो जाती है, वे गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं।

सफेद सूत का इस्तेमाल

वट वृक्ष की परिक्रमा करते समय इस वृक्ष के इर्द-गिर्द लाल-पीली मौली या कलावा लपेटी जाती है। भूल से भी वट वृक्ष में बांधने वाली सूत या मौली का रंग सफेद यानी उजली नहीं होनी चाहिए। यदि आपके पास लाल-पीली मौली उपलब्ध नहीं हो पा रही है, तो उजले धागे को ही हल्दी और कुमकुम से रंग देना चाहिए। ऐसा नहीं करने से आप पर दुखों का पहाड़ टूट सकता है, पति की असमय मृत्यु हो सकती है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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