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ज्येष्ठ माह में एकदंत संकष्टी चतुर्थी कब, जानें चांद निकलने का शुभ समय

Ekdant Sankashti Chaturthi 2024: वैदिक पंचांग के अनुसार, एकदंत चतुर्थी ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा विधि-विधान से की जाती है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि एकदंत चतुर्थी कब है, शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और चांद निकलने का समय क्या है।
02:32 PM May 21, 2024 IST | Raghvendra Tiwari
ज्येष्ठ माह में एकदंत संकष्टी चतुर्थी कब  जानें चांद निकलने का शुभ समय

Ekdant Sankashti Chaturthi 2024: वैदिक पंचांग के अनुसार, दो दिन बाद यानी 24 मई से ज्येष्ठ माह की शुरुआत हो रही है। हिंदू धर्म में ज्येष्ठ माह का विशेष महत्व है। इस माह में पड़ने वाला हर एक पर्व का अपना-अपना महत्व होता है। ज्येष्ठ माह की शुरुआत होते ही कुछ दिन बाद चतुर्थी के दिन एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाएगी। साथ ही व्रत भी रखा जाएगा। तो आज इस खबर में जानेंगे कि एकदंत संकष्टी चतुर्थी कब है, शुभ मुहूर्त क्या, पूजा विधि, महत्व और चांद निकलने का समय क्या है।

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कब है एकदंत संकष्टी चतुर्थी

वैदिक पंचांग के अनुसार, एकदंत संकष्टी चतुर्थी ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 26 मई को दोपहर 06 बजकर 06 मिनट पर हो रही है और समाप्ति अगले दिन यानी 27 मई को दोपहर 3 बजकर 23 मिनट पर होगी। दृक पंचांग के अनुसार, एकदंत चतुर्थी 26 मई दिन रविवार को है।

क्या है चांद निकलने का शुभ समय

वैदिक पंचांग के अनुसार, एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन चांद निकलने का शुभ समय रात्रि के 10 बजकर 12 मिनट पर है। मान्यता है कि इस समय चांद की भी पूजा विधि-विधान से की जाती है। साथ ही अर्घ्य भी दिया जाता है।

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भगवान गणेश की पूजा विधि

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह उठकर स्नान-ध्यान करें। साथ ही मन में गणेश का ध्यान करते रहें। उसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें। मन में भगवान गणेश का ध्यान करते हुए संकल्प लें। उसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करें। साथ ही एक चौकी पर हरे रंग का कपड़ा बिछाकर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। उसके बाद भगवान गणेश पर फूल के माध्यम से जल का छिड़काव करें। उसके बाद दीपक जलाएं। दीपक जलाने के बाद 11 या 21 दूर्वा का गांठ भगवान गणेश पर अर्पित करें। उसके बाद भगवान की विधिवत पूजा करें।

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एकदंत संकष्टी चतुर्थी का महत्व

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। जो लोग विधि-विधान से पूजा-पाठ के साथ व्रत रखते हैं उन पर भगवान गणेश की कृपा रहती है। साथ ही उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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