Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी पर अष्टविनायक यात्रा है बेहद खास, 8 अलग रूपों में विराजमान गणपति दर्शन से पूरी होती है हर मुराद
Ganesh Chaturthi Ashtavinayaka Yatra: जिस प्रकार भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग मंदिर में उनके दिव्यरूप के दर्शन का महत्व है, उसी प्रकार भगवान गणेश के 8 स्वरूप में 8 स्वयंभू मंदिर है, जिसके दर्शन मात्र से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है। ये सभी मंदिर महाराष्ट्र में पुणे और अहमदनगर के आसपास स्थित हैं। इन्हें सम्मिलित रूप से अष्टविनायक मंदिर कहा जाता है। मान्यता है कि जिस तरह से सावन के महीने में शिव ज्योतिर्लिंग के दर्शन से विशेष लाभ होता है, उसी प्रकार गणेश चतुर्थी उत्सव के 10 दिनों में इन अष्टविनायक मंदिर में स्थापित गणपति के 8 रूपों के दर्शन मात्र से हर मुराद पूरी हो जाती है।
अष्टविनायक: आठ गणेश, एक यात्रा
अष्टविनायक शब्द का अर्थ है 8 गणेश, जो ऋद्धि-सिद्धि के स्वामी भगवान गणपति के 8 मंदिरों के यात्रा के लिए प्रयोग किया जाता है। महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के दौरान अष्टविनायक यात्रा का विशेष महत्व है। अष्टविनायक गणेश की सभी मूर्तियों में भिन्नता है, जो उनके रूप और उनकी सूंड में स्पष्ट देखी जा सकती है। हाल के वर्षों में अष्टविनायक यात्रा की प्रसिद्धि बढ़ी है। अब दूसरे राज्यों से भी गणेश भक्त काफी संख्या में पुणे उसके आसपास के नगरों और कस्बों में स्थापित 8 गणेश मंदिरों की यात्रा में पहुंचने लगे हैं। ये मंदिर हैं:
1. श्री मयूरेश्वर मंदिर, 2. सिद्धिविनायक मंदिर, 3. बल्लालेश्वर पाली मंदिर, 4. वरदविनायक मंदिर, 5. चिन्तामणि मंदिर, 6. गिरिजात्मज मंदिर, 7. विघ्नेश्वर मंदिर और 8. महागणपति मंदिर।
अष्टविनायक यात्रा की एक सबसे खास बात यह है कि जिस मंदिर में गणपति दर्शन से इन पवित्र और फलदायी यात्रा की शुरुआत होती है, यात्रा का समापन भी उसी मंदिर से करना पड़ता है। आइए जानते हैं, अष्टविनायक यात्रा के ये 8 प्रसिद्ध और सिद्ध मंदिर कहां हैं?
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अष्टविनायक यात्रा
1. श्री मयूरेश्वर मंदिर
अष्टविनायक यात्रा के तहत भगवान गणेश प्रतिष्ठित 8 मंदिरों की तीर्थयात्रा का आरंभ और समापन श्री मयूरेश्वर मंदिर में भगवान गणेश के मयूरेश्वर या मोरेश्वर स्वरूप से होता है। यह मंदिर पुणे शहर से लगभग 65 किलोमीटर दूर मोरेगांव में स्थित है। मान्यता है कि जब भगवान गणेश ने सिंधुरा राक्षस का वध किया था, उसके बाद इस मंदिर को स्थापित किया गया था। यहां चतुर्भुजी और त्रिनेत्रधारी भगवान गणेश की सूंड़ बाएं हाथ की ओर है।
2. सिद्धिविनायक मंदिर
भगवान सिद्धिविनायक अष्टविनायक में दूसरे गणेश हैं। पुणे से लगभग 48 किमी दूरी भीमा नदी के किनारे इस गणेश तीर्थ के बारे में मान्यता है कि इसे स्वयं भगवान विष्णु ने स्थापित किया था और सिद्धियां हासिल की थी। यहां भगवान गणेश की सूंड़ सीधे हाथ की ओर है।
3. बल्लालेश्वर पाली मंदिर
बल्लालेश्वर विनायक मंदिर एकमात्र मंदिर है, जो उनके भक्त बल्लाल के नाम पर रखा गया है। यह महाराष्ट्र के रायगढ़ से 28 किलोमीटर दूर पाली गांव में स्थित है।
4. वरदविनायक मंदिर
अष्टविनायक यात्रा में श्री वरदविनायक चौथे गणपति हैं। इस मंदिर की पौराणिक कथा ऋषि विश्वामित्र से जुड़ी हुई है। इस मंदिर में नंददीप नाम का एक दीपक कई वर्षों से जलता आ रहा है। मान्यता है कि वरदविनायक भक्तों की सभी कामना को पूरा करते हैं।
5. चिन्तामणि मंदिर
अष्टविनायक यात्रा में श्री चिंतामणि पांचवें गणपति हैं। यहां के बारे में मान्यता है कि जब मन बहुत विचलित होता है, जीवन में दुख ही दुख मिल रहे होते हैं, तो यहां गणपति के दर्शन से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
6. गिरिजात्मज मंदिर
गिरजात्मज का अर्थ है गिरिजा यानी माता पार्वती के पुत्र गणेश। यह गणपति मंदिर अष्टविनायक में छठें स्थान पर है। यह मंदिर पुणे से करीब 90 किलोमीटर दूरी पर लेण्याद्री पहाड़ पर एक गुफा में स्थित है।
7. विघ्नेश्वर मंदिर
अष्टविनायक यात्रा के सातवें क्रम के मंदिर का संबंध भगवान गणेश द्वारा विघ्नासुर के वध से जुड़ा है। इसलिए यहां पूजे जाने वाले गणेश जी को विघ्नेश्वर कहते हैं, जिसका अर्थ है- बाधाओं को दूर करने वाले भगवान।
8. महागणपति मंदिर
महागणपति मंदिर अष्टविनायक यात्रा का अंतिम प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर पुणे के रांजणगांव में स्थित है, लेकिन यात्रा यहां समाप्त नहीं होती है, बल्कि फिर से पहले मंदिर यानी मोरेश्वर गणपति के दर्शन से होती है।
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