होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियास्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

देवी गंगा का धरती पर कैसे हुआ अवतरण? जानें, राजा सगर के 60 हजार पुत्रों की उद्धार की कहानी

Ganga Dussehra 2024: गंगा दशहरा पर्व के मौके पर आइए जानते हैं, भगीरथ प्रयास से देवी गंगा के धरती पर अवतरण की कथा। पढ़ें किस प्रकार से राजा सगर के 60 हजार पुत्रों का उद्धार हुआ और पतित पावनी गंगा किस प्रकार हिन्दू धर्म में एक मोक्षदायिनी पवित्र नदी बनीं?
09:51 AM Jun 16, 2024 IST | Shyam Nandan
Advertisement

Ganga Dussehra 2024: पौराणिक कथाओं के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को देवी गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। इसलिए इस तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। साल 2024 में यह पर्व 16 जून को यानी आज पड़ रहा है। आइए इस मौके पर जानते हैं, धरती पर देवी गंगा के अवतरण का कारण और उससे जुड़ी पौराणिक कथा।

Advertisement

जब स्वर्ग में बहती थीं गंगा

धर्म ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि धरती पर आने से पहले देवी गंगा ब्रह्माजी के कमंडल में निवास करती थी और वहीं से प्रवाहित होकर स्वर्ग में देवताओं की बीच बहती थीं। तब इनका नाम 'सुरसरि' था, जिसका अर्थ होता है- 'देवताओं की नदी'। यहां प्रवाहित होते हुए वे भगवान विष्णु के चरणों को पखारती थी। इसलिए वे 'विष्णुपदी' भी कहलाती थीं।

राजा सगर के 60 हजार पुत्र हुए भस्म

भगवान राम के पूर्वजों में सगर नाम के एक प्रतापी राजा हुए थे। जिनकी दो रानियां थी, जिसमें एक रानी से 60 हजार पुत्र हुए और दूसरी रानी से केवल एक पुत्र हुआ था। राजा सागर ने पृथ्वी पर अपना एकछत्र राज्य स्थापित करने के लिए अश्वमेध यज्ञ किया। इससे देवराज इंद्र को भय हो गया कि यदि सगर के अश्वमेध यज्ञ का अश्व (घोड़ा) स्वर्ग आ गया, तो स्वर्ग उनसे छिन जाएगा। इसलिए उन्होंने यज्ञ के घोड़े को चुराकर चुपचाप कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। घोड़े की रक्षा कर रहे सगर के 60 हजार पुत्रों ने जब घोड़े को कपिल मुनि आश्रम में बंधा देखा, तो वे कपिल मुनि को भला-बुरा कहने लगे। इससे कपिल मुनि क्रोधित हो उठे और राजा सगर के सभी 60 हजार पुत्रों को अपने तपबल से अग्नि में भस्म कर दिया। इससे सभी सगर-पुत्र प्रेत योनि में भटकने लगे, क्योंकि बिना अंतिम संस्कार के राख में बदल जाने से उनको मुक्ति नहीं मिल पा रही थी।

Advertisement

भगीरथ प्रयास से प्रसन्न हुई देवी गंगा

राजा सगर ने अपने पुत्रों को बहुत दिनों तक लौटता न देख अपने पौत्र अंशुमन को उनकी खोज में भेजा। उनके पौत्र अंशुमन उनकी दूसरी रानी से हुए पुत्र पंचजन्य के पुत्र थे। जब अंशुमन को अपने चाचाओं की दुर्गति का पता चला तो उन्होंने कपिल मुनि से क्षमा याचना की और उनके 60 हजार चाचाओं की मुक्ति का रास्ता दिखाने की विनती भी की। कपिल मुनि उनके व्यवहार से प्रसन्न हुए और कहा कि स्वर्गवाहिनी विष्णुपदी गंगा के धरती पर आने के बाद उनके पवित्र जल से ही तुम्हारे 60 हजार पितरों का उद्धार होगा। अंशुमन ने वर्षों तक गंगा को धरती पर लाने की तपस्या की, लेकिन वे उनकी तपस्या सफल नहीं हुई। उनके बाद उनके प्रतापी पुत्र राजा दिलीप ने भी पृथ्वी पर गंगा अवतरण के लिए घोर तपस्या की, लेकिन देवी गंगा मृत्युलोक में आने को राजी नहीं हुईं और उनसे भी यह कार्य संभव न हो पाया। उनके बाद उनके पुत्र भगीरथ ने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मां गंगा को धरती पर लाने की कठिन से कठिन तपस्या की। अंततः देवी गंगा प्रसन्न हुईं और धरती पर आने को तैयार हुईं। लेकिन अब समस्या कुछ और थी।

इस तरह धरती पर आयीं गंगा

मां गंगा ने भगीरथ ने कहा कि वे स्वर्ग से अति तीव्र वेग से धरती पर उतरेंगी तो इससे धरती उनका वेग सहन नहीं कर पाएंगी, उनके रास्ते में जो चीजें आएंगी, वे नष्ट हो जाएंगी। तब भगीरथ ने भगवान विष्णु से इस समस्या का हल सुझाने की विनती की। भगवान विष्णु ने बताया कि इसका समाधान भगवान भोलेनाथ ही कर सकते हैं। भगीरथ ने अपनी तपस्या से शिवजी को भी प्रसन्न किया। महादेव शिव ने कहा कि वह गंगा को अपनी जटाओं में समाहित कर लेंगे, जिससे धरती पर विनाश नहीं होगा। इस तरह से गंगा जब अतिवेग से धरती पर उतरीं, तब देवाधिदेव शंकर ने उन्हें अपनी जटाओं बांध लिया और उसकी कम वेग वाली धारा को भारत भूमि पर प्रवाहित किया। इस तरह भगीरथ प्रयास से गंगा नदी धरती पर प्रकट हुईं और राजा सगर के प्रेत योनि में भटकते पुत्रों का तर्पण पूरा हुआ और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई। तभी से हिन्दू धर्म में गंगा नदी पतित पावनी और मोक्षदायिनी मानी गई हैं।

ये भी पढ़ें: भगवान शिव और पांडवों से जुड़ा है गढ़मुक्तेश्वर, गंगा दशहरा पर होते हैं पितृ दोष से मुक्ति के अनुष्ठान

ये भी पढ़ें: निर्जला एकादशी पर करिए ये 3 उपाय, व्रत रखने का मिलेगा दोगुना फल

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App
Advertisement
Advertisement
Advertisement