whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.

गंगा दशहरा पर बन रहे हैं ये शुभ संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Ganga Dussehra 2024: पौराणिक कथाओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा नदी का स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। इसलिए इस तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है, जो इस साल 16 जून को पड़ रही है। आइए जानते हैं, इस पर्व का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
11:04 AM Jun 15, 2024 IST | Shyam Nandan
गंगा दशहरा पर बन रहे हैं ये शुभ संयोग  जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Ganga Dussehra 2024: सनातन धर्म में गंगा नदी को पतित पावनी कहा गया है, जिसका अर्थ है पाप से युक्त नीच व्यक्ति को पवित्र करने वाली नदी। हिन्दू धर्म में गंगा नदी के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण हर साल ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है। इस तिथि को धरती पर गंगा नदी का अवतरण हुआ था। इस साल यह मोक्षदायिनी पर्व 16 जून, 2024 को पड़ रही है। आइए जानते हैं, इस तिथि को क्या शुभ संयोग और मुहूर्त बन रहे हैं और पूजा विधि क्या है?

गंगा दशहरा पर बन रहे हैं ये शुभ संयोग

साल 2024 की गंगा दशहरा पर एक साथ कई शुभ संयोगों के बनने से यह बहुत खास हो गई है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल यह पर्व हस्त नक्षत्र में मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्र में इस नक्षत्र को बहुत शुभ माना गया है। साथ ही इस तिथि को एक साथ सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और रवि योग का महासंयोग हो रहा है। इस कारण से इस दिन हर प्रकार के शुभ कार्य आरंभ किए जा सकते हैं।

गंगा दशहरा शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, गंगाा दशहरा पर हस्त नक्षत्र का प्रभाव सुबह के 11 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। यह नक्षत्र अवधि शुभ मुहूर्त में स्वीकृति है, जिसमें अधिकांश शुभ कार्य शुरू किए जा सकते हैं। हस्त के बाद चित्रा नक्षत्र की शुरुआत हो जाएगी, जो हस्त नक्षत्र के समान ही पुण्य फलदायी है। इसके साथ ही, इस तिथि को वरीयान योग भी पड़ रहा है। वैदिक पंचांग में यह योग भी शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ मुहूर्त में पूजा-पाठ और दान-पुण्य करने से मनोकामनाओं और अभीष्ट फलों की प्राप्ति होती है।

गंगा दशहरा पूजा विधि

धार्मिक मान्यता और परंपराओं के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन सुबह में गंगा नदी में स्नान कर दान-पुण्य करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं, तो पास की किसी नदी या तालाब में या घर पर ही स्नान के जल में गंगाजल डालकर भी स्नान कर सकते हैं। स्नान के बाद सफेद वस्त्र धारण कर गंगाजल मिश्रित स्वच्छ जल, अक्षत और फूल से शिवलिंग का अभिषेक करें।

शापित आत्माओं की शुद्धि के लिए धरती पर आयीं गंगा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्वर्ग से धरती पर गंगा का अवतरण शापित आत्माओं की शुद्धि के लिए हुआ था। धरती पर आने से पहले वे भगवान ब्रह्मा के कमंडल में रहती थीं। भागीरथ मुनि ने अपने शापित पूर्वजों उद्धार के लिए कठिन तपस्या से धरती पर उतारने का वरदान पाया था।

ये भी पढ़ें: शनिदेव की कृपा रुकी है तो करें ये 5 उपाय, जिंदगी में बनी रहेगी सुख-शांति

ये भी पढ़ें: शुक्र ग्रह चमकाएंगे इन 3 राशियों का सितारा, जानें कौन-सा रत्न पहनने से तुरंत मिलेगा लाभ

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Tags :
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो