होमखेलवीडियोधर्म मनोरंजन..गैजेट्सदेश
प्रदेश | हिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारदिल्लीपंजाबझारखंडछत्तीसगढ़गुजरातउत्तर प्रदेश / उत्तराखंड
ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थExplainerFact CheckOpinionनॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

Garud Puran Story: मांस खाना पाप है या पुण्य? श्रीकृष्ण की कथा के माध्यम से समझें

Garud Puran Story: मनुष्य हो या जानवर सभी अपने रूचि के अनुसार भोजन करते हैं। कुछ जानवर तो केवल मांस ही खाते हैं जबकि कुछ जानवर घास खाकर ही जीवित रहते हैं। मनुष्य ही ऐसा एक मात्र प्राणी है जो शाकाहार और मांसाहार दोनों ही खाता है। लेकिन मांसाहार खाना कितना सही है ये आप जानते हैं। आइए जानते हैं मांसाहार के बारे में श्री कृष्ण क्या कहते हैं?
02:24 PM Oct 05, 2024 IST | Nishit Mishra
Advertisement

Garud Puran Story: हमारे धर्मशास्त्रों में मांसाहार को तामसिक भोजन कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि मांसाहार से बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। आज कल मनुष्य अज्ञानतावश मांसाहार का सेवन अधिक पसंद करता है। शाकाहारी लोगों को मांसाहार वाले घास-फूस खाने वाले बताते हैं। लेकिन श्री कृष्ण कहते हैं कि मांसाहार कभी भी उचित नहीं हो सकता। चलिए जानते हैं श्री कृष्ण ऐसा क्यों कहते हैं?

Advertisement

पौराणिक कथा

बचपन में एक दिन श्री कृष्ण यमुना किनारे बैठकर बांसुरी बजा रहे थे। उसी समय एक हिरण दौड़ता हुआ वहां आया और श्री कृष्ण के पीछे जाकर छुप गया। हिरण को डरा हुआ देख श्री कृष्ण ने उस से पूछा तुम इतने डरे हुए क्यों हो? तभी एक शिकारी भी वहां आ पहुंचा। फिर उस शिकारी ने श्री कृष्ण से कहा यह हिरण मेरा शिकार है, इसे मुझे दे दो। तब श्री कृष्ण ने कहा यह हिरण तुम्हारा कैसे हो सकता है? किसी भी जीव पर सबसे पहले उसका स्वयं का अधिकार होता है। शिकारी फिर बोला इस हिरण को मैं पकाकर खाउंगा, तुम ज्ञान मत दो और चुपचाप हिरण को मेरे हवाले कर दो।

ये भी पढ़े-Navratri 2024 Special Story: महिषासुर का अंत करने के लिए कैसे हुई माता दुर्गा की उत्पत्ति?

श्री कृष्ण ने शिकारी को समझाते हुए कहा किसी भी जीव को मारकर खाना पाप है। मांस खाना पाप है या पुण्य इसका तुझे ज्ञान नहीं है। श्री कृष्ण की बातें सुनकर शिकारी ने कहा मैंने कभी वेदों का अध्ययन नहीं किया है। फिर मैं कैसे जान सकता हूं कि मांस खाना पाप है या पुण्य। राजा लोग भी तो शिकार किया करते हैं क्या उनको पाप नहीं लगता? उसके बाद श्री कृष्ण ने शिकारी को एक कथा के माध्यम से समझाया।

Advertisement

मगध देश की कथा

कथा के अनुसार एक बार मगध राज्य में भारी अकाल पड़ा। अकाल के कारण उस साल मगध में अन्न का उत्पादन नहीं हुआ। राजा मन ही मन सोचने लगे अगर शीघ्र ही इस समस्या का हल नहीं निकाला गया तो प्रजा भूख से मर जाएगी। फिर उन्होंने अपने सभी सलाहकारों को सभागार में बुलाया। राजा ने सबसे पूछा इस समस्या से निकलने का सबसे सरल उपाय क्या है? तभी एक मंत्री ने उठकर कहा महाराज इस समय सबसे सस्ता और उत्तम भोजन मांस ही हो सकता है। चावल, गेंहूं इत्यादि को उगाने में बहुत समय लगता है और लागत भी अधिक लगता है। लेकिन मगध के प्रधानमंत्री चुप थे। राजा के पूछने पर उन्होंने कहा महाराज मेरे हिसाब से मांस न तो सबसे सस्ता और न ही सबसे उत्तम खाद्य पदार्थ है। इस विषय पर मैं अपना विचार कल आपसे कह पाऊंगा मुझे आज का समय चाहिए। राजा ने प्रधानमंत्री की बातें मान ली और अगले दिन आने को कहा।

दो तोले मांस का मूल्य

फिर उसी दिन रात्रि के समय उस मंत्री के घर पहुंचे जिससे राजा के सामने मांस को सबसे उत्तम खाद्य पदार्थ बताया था। प्रधानमंत्री से उस मंत्री से कहा शाम को मर्ज बीमार हो गए। उनकी हालत बहुत ही ख़राब है। वैद्य जी ने कहा है कि अगर किसी शक्तिशाली पुरुष का दो तोला मांस मिल जाए तो महाराज शीघ्र ही स्वस्थ हो जाएंगे। आप महाराज के सबसे निकट हैं और आप अपने शरीर से दो तोला मांस देकर राजा को अभी बचा सकते हैं। अगर आप चाहें तो मैं आपको इस दो तोले मांस के बदले एक लाख स्वर्ण मुद्रा भी दे सकता हूं। साथ ही आपके नाम एक बड़ी से जागीर भी कर दूंगा। प्रधान मंत्री की बातें सुनकर वह तुरंत घर के अंदर गया और एक लाख स्वर्ण मुद्राएं लेकर प्रधानमंत्री के पास आया। एक लाख स्वर्ण मुद्राएं प्रधानमंत्री को देते हुए बोला महाशय इस स्वर्ण मुद्रा से आप किसी और का मांस खरीद लाएं और मुझे जीवनदान दें। उसके बाद प्रधानमंत्री बारी-बारी से सभी मंत्रियों के घर गए और सभी दो तोले मांस देने को कहा। कोई भी मंत्री मांस देने को राजी नहीं हुआ। उलटे सभी ने प्रधानमंत्री को एक-एक लाख स्वर्ण मुद्राएं दी।

मांसाहारी पाप या पुण्य!

अगले दिन सभी मंत्री समय से पहले राजसभा में उपस्थित हो गए। सभी ये जानना चाहते थे कि राजा स्वस्थ हुए या नहीं। कुछ देर बाद राजा अपने सिंहासन पर आकर बैठ गया। राजा को स्वस्थ देख सभी मंत्री हैरान हो गए। उसके बाद प्रधानमंत्री ने राजा के सामने एक करोड़ स्वर्ण मुद्राएं रख दी। राजा ने प्रधानमंत्री से पूछा इतने सारे धन कहां से आए? तब प्रधान मंत्री बोले महाराज ये सारा धन दो तोले मांस के बदले मैंने जमा किया है। सभी मंत्रियों ने अपनी जान बचाने के लिए ये कीमत चुकायी है। अब आप ही बताइए महाराज कि मांस सस्ता है या महंगा। राजा को प्रधानमंत्री की बात समझ में आ गई। फिर मगध के राजा ने प्रजा से मेहनत करने का निवेदन किया। कुछ दिनों बाद लोगों के मेहनत से मगध के खेत फसलों से लहराने लगे और खाद्य संकट भी दूर हो गया। इस कथा को सुनने के बाद उस शिकारी ने मांसाहारी भोजन को त्याग दिया और शिकार करना भी छोड़ दिया।

ये भी पढ़ें- Hindu Temple: उत्तर प्रदेश के इस मंदिर में होती है भेड़ियों की पूजा, दर्शन मात्र से पूरी होती हैं इच्छाएं!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App
Advertisement
Tags :
garud puran kathamansahar khana chahiye ya nahinon veg foodspadam puran ki katha
Advertisement
Advertisement