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Garud Puran: कम उम्र में क्यों हो जाती है लोगों की मृत्यु? जानिए गरुड़ पुराण क्या कहता है

Garud Puran: शास्त्रों में बताया गया है कि युग के हिसाब से मनुष्यों की आयु निर्धारित की गई है। ऐसा माना जाता है कि सतयुग में मनुष्य अपनी इच्छा के अनुसार मृत्यु को प्राप्त होता था। विधाता के द्वार त्रेता युग में मनुष्यों की आयु दस हजार वर्ष निर्धारित है। वहीं त्रेता युग में मनुष्यों की आयु एक हजार वर्ष निर्धारित की गई है। श्रीमद भागवत पुराण में कलयुग में मनुष्यों की औसत आयु सौ वर्ष बताई गई है। इस लेख में जानेंगे कि आखिर मनुष्य कम उम्र में ही क्यों मृत्यु को प्राप्त हो जाता है?
06:29 PM Sep 22, 2024 IST | Nishit Mishra
garud puran  कम उम्र में क्यों हो जाती है लोगों की मृत्यु  जानिए गरुड़ पुराण क्या कहता है

Garud Puran: गरुड़ पुराण के मुताबिक कलयुग में मनुष्यों की आयु सौ वर्ष निर्धारित है।  लेकिन आज- कल देखने को मिलता है कि अधिकतर लोग कम उम्र में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। इसके बारे में गरुड़ पुराण कहता है वर्ण के हिसाब जो गलत कर्म करता है वह अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है।

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गरुड़ पुराण में स्पष्ट बताया गया है कि  ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र की अकाल मृत्यु क्यों होती है? गरुड़ पुराण के अनुसार जब व्यक्ति अपना जीवनकाल पूरा करके सामान्य तरीके से मरता है तो उसे सामान्य मृत्यु  कहा जाता है। वहीं दुर्घटना, बीमारी, हत्या, हादसे आदि के कारण होने वाली मृत्‍यु को अकाल मृत्यु कहा जाता है। गरुड़ पुराण में अकाल मृत्यु से जुड़े कई रहस्‍य बताए गए हैं। जैसे- अकाल मृत्‍यु क्‍यों होती है, इसके पीछे क्‍या कारण हैं। साथ ही अकाल मृत्यु के बाद आत्मा को कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नर्क भोगना पड़ता है ये भी बताया गया है।

गरुड़ पुराण क्या कहता है?

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गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु पक्षीराज गरुड़ से कहते हैं कि विधाता द्वारा निश्चित की गई आयु के बाद मृत्यु प्राणी के पास आती है और शीघ्र ही उसे लेकर यहां यानि मृत्युलोक से  चली जाती है। वेदों में बताया गया है कि कलयुग में मनुष्य सौ वर्ष तक जीवित रहता है, किन्तु जो व्यक्ति निन्दित कर्म करता है वह शीघ्र ही नष्ट हो जाता है,जो वेदों का ज्ञान न होने के कारण वंश परंपरा के सदाचार का पालन नहीं करता है, जो आलस्यवश कर्म का परित्याग कर देता है,जो सदैव गलत कर्म को सम्मान देता है,जो जिस-किसी के घर में भोजन कर लेता है और जो परस्त्री में अनुरक्त रहता है, इस प्रकार के अन्य महादोषों से मनुष्य की आयु क्षीण हो जाती है।

वर्ण के हिसाब से होती है अकाल मृत्यु

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श्रद्धाहीन, अपवित्र, नास्तिक, मंगल का त्याग करनेवाले, परद्रोही, असत्यवादी ब्राह्मण को मृत्यु अकाल में ही यमलोक ले जाती है। प्रजा की रक्षा न करनेवाला, धर्माचरण से हीन, क्रूर, व्यसनी, मूर्ख, वेदानुशासन से पृथक और प्रजा पीड़क क्षत्रिय को यम का शासन प्राप्त होता है। ऐसे दोषी ब्राह्मण और क्षत्रिय मृत्यु के वशीभूत हो जाते हैं और यम-यातना को प्राप्त करते हैं। जो अपने कर्मों का परित्याग तथा जितने मुख्य आचरण हैं, उनका परित्याग करता है और दूसरों के कर्म में निरत रहता है वह निश्चित ही यमलोक जाता है। जो शूद्र द्विज-सेवा के बिना अन्य कर्म करता है, वह यमलोक जाता है।

अकाल मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है?

गरुड़ पुराण में कहा गया है, जिस किसी भी मनुष्य की अकाल मृत्यु होती है, वह महापाप का भागीदार माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि ऐसी आत्माओं को  जीवन चक्र पूरा नहीं करने के कारण स्वर्ग या नरक कहीं भी स्थान नहीं मिलता। यदि कोई पुरुष अकाल मृत्यु मरता है तो उसकी आत्मा भूत, प्रेत, पिशाच योनि में भटकती रहती है। वहीं यदि कोई शादी शुदा स्त्री अकाल मृत्यु को प्राप्त होती है तो उसकी आत्मा चुड़ैल की योनि में भटकती रहती है। जबकि कुंवारी स्त्री अकाल मृत्यु होने के बाद देवी योनि में भटकती रहती है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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