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सोने की रामायण के किस्मत वालों को होते दर्शन, एक-एक पन्ने की लाखों में है कीमत

Gold Ramayana In Surat: देशभर में भगवान के लिए श्रद्धा और आस्था रखने वाले लोगों की कमी नहीं है। भारत में हर त्यौहार धूम-धाम से मनाया जाता है। इस बीच, क्या आपको पता है कि देश में एक सोने की रामायण है, जिसके दर्शन साल में सिर्फ एक बार होते हैं?
06:51 PM Apr 17, 2024 IST | Prerna Joshi
सोने की रामायण के किस्मत वालों को होते दर्शन  एक एक पन्ने की लाखों में है कीमत
Gold Ramayana In Surat

Gold Ramayana In Surat (भूपेंद्रसिंह ठाकुर): देशभर में भगवान श्री राम के जन्म को भक्तों द्वारा बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है लेकिन रामनवमी का पर्व सूरत के लोगों के लिए एक और वजह से विशेष है। इस दिन राम भक्तों को सोने की रामायण देखने को मिलती है। यह स्वर्ण रामायण भक्तों के दर्शन के लिए सालभर में महज एक दिन ही रखी जाती है। गुजरात के सूरत में 19 किलो सोने की एक दुर्लभ रामायण है, जिसके साल में सिर्फ एक दिन रामनवमी को दर्शन करवाए जाते हैं।

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कितने तोले की है सोने की रामायण

आपको बता दें कि इसपर सोने की स्याही से लिखा हुआ है। अगर आप इस स्वर्ण रामायण को दूसरी बार देखना चाहते हैं, तो आपको एक साल का इंतजार करना होगा। 530 पन्नों की सोने की रामायण 222 तोला सोने की स्याही से लिखी गई है, जिसका वजन 19 किलो है। इसको 10 किलो चांदी, चार हजार हीरे, माणिक, पन्ना और नीलम से सजाया गया है और इसकी कीमत करोड़ों में है।

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लिखने में लगा कितना समय?

दरअसल, स्वर्ण रामायण के मुख्य पन्ने पर एक तोला सोने से भगवान शिव और आधा तोला सोने से हनुमान जी की आकृति बनाई गई है। राम भक्त राम भाई ने साल 1981 में इस स्वर्ण रामायण को विशेष पुष्य नक्षत्र में लिखा था। यह रामायण कुल 9 महीने और 9 घंटे में लिखी गई, जिसे लिखने का काम 12 लोगों ने मिलकर किया। राम के जीवन को 530 पन्नों में दर्शाया गया है। इस रामायण में श्रीराम के नाम को 5 करोड़ बार लिखा गया है।

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जर्मनी से मंगवाए गए खास पन्ने

आपको बता दें कि इस रामायण को लिखने के लिए पेज जर्मनी से मंगवाए गए थे। यहां तक ​​कि इसे पानी से धोने पर भी इस पर कोई असर नहीं होता है। जर्मनी का यह कागज इतना सफेद होता है कि इसे हाथ से छूने पर भी इस पर कोई दाग नहीं लगता। दर्शन के बाद इसे बैंक में रख दिया जाता है। सूरत के भेस्तान इलाके के रामकुंज में रहने वाले दंपत्ति राजेश कुमार भक्त और इंदिराबेन भक्त उनके दादा राम भक्त के स्वर्गवास के बाद इस स्वर्णिम रामायण को इन दिनों सहेज कर रख रहे हैं।

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