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Gurpurab 2024: गुरुनानक देव जी का 555वां प्रकाश पर्व आज, जानें उनकी 10 शिक्षाएं, जो बदल देंगी जिंदगी!

Gurpurab 2024: पूरी दुनिया को समानता, सहिष्णुता, मानवता और ईमानदारी की महान सीख देने वाले और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानकदेव जी का आज 555वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। आइए इस शुभ मौके जानते हैं, उनकी 10 प्रमुख शिक्षाएं, जो किसी की भी जिंदगी बदल सकती हैं।
11:37 AM Nov 15, 2024 IST | Shyam Nandan
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Gurpurab 2024: हर साल की तरह गुरु नानकदेव जी का जन्मोत्सव यानी प्रकाश पर्व कातिक मास में पूर्णिमा तिथि को यानी आज शुक्रवार 15 नवंबर, 2024 को पूरे उमंग और उल्लास से मनाया जा रहा है। गुरु नानकदेव जी प्रकाश पर्व केवल भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान और जहां-जहां सिख समुदाय के लोग हैं, वहां भी मनाया जाता है। बता दें कि ननकाना साहिब, जहां गुरु नानकदेव जी का जन्म हुआ था, पाकिस्तान में ही है।

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नानकदेव जी का 555वां प्रकाश पर्व

भारत की संत परम्परा के संत शिरोमणि और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानकदेव जी जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक एक गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में स्थित है। साल 2024 में आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानकदेव जी की 555वीं जयंती मनाई जा रही है।

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गुरु नानक की 10 प्रमुख शिक्षाएं

गुरु नानक देव जी ने एक नए सिख धर्म की नींव रखी थी, जिसे आज दुनिया का सबसे प्रगतिशील धर्म माना जाता है। उन्होंने मानवता, एकता, सेवा और सच्चे प्रेम जैसे उच्च आदर्शों को दुनिया के सामने रखा। उनके उपदेशों ने करोड़ों लोगों के जीवन को बदल दिया। नानकदेव जी का प्रकाश पर्व हमें आध्यात्मिक जागरण और आत्म-साक्षात्कार के लिए प्रेरित करता है। आइए इस शुभ मौके पर जानते हैं उनकी 10 प्रमुख शिक्षाएं।

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1. एक ओंकार: परम पिता परमेश्वर एक हैं। वह सभी जगह विद्यमान हैं। हमेशा एक ईश्वर की साधना में मन लगाना चाहिए।

2. सतनाम: सतनाम का अर्थ है सत्य का नाम। गुरु नानक जी ने सत्य, ईमानदारी, और धर्म के मार्ग पर चलने की महत्वपूर्णता को बताया है।

3. नाम जप: गुरु नानक जी ने नाम जपने की सलाह दी, जिससे आत्मा को शांति और आनंद मिलता है। नाम जप से मनुष्य ईश्वर के करीब पहुंचता है।

4, कीरत करो: जीवन में कर्म के बिना कुछ भी नहीं मिलता है। मानव जीवन का उद्देश्य है कि अच्छे कर्म करते रहिए। हमेशा ईमानदारी और मेहनत से धन कमाकर अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण करना चाहिए। इससे ही कीर्ति बढ़ती है।

5. वंड छको: वंड छको का अर्थ है साझा करना और दूसरों की मदद करना। गुरु नानक जी ने सामाजिक न्याय, एकता और सहयोग की विशेषता को समझाया। इसलिए मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से कुछ हिस्सा गरीब लोगों को दान करना चाहिए।

6. समानता: सभी को समान नजरिये से देखें। जाति, जन्म, हैसियत आदि के कारण और स्त्री-पुरुष में भेदभाव करना गलत है। गुरु नानक की यह सीख सिख धर्म की स्थापना का आधार है।

7. सरबत दा भला: सरबत दा भला का मतलब है, सबकी भलाई के लिए काम करना। गुरु नानक जी ने सभी मनुष्य मात्र के हित के लिए काम करने की बात की है।

8. संतोख: गुरु नानक जी ने संतोख यानी संतोष को जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण को बताया है। संतोषरूपी धन जिसके पास होता है, वह परम सुखी होता है। कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए, जब कोई दूसरों का हक छीनता है, तो उसे सम्मान नहीं मिलता है।

8. करुणा और दया: गुरु नानक जी ने अपनी शिक्षाओं में दयालुता और करुणा को बेहद महत्वपूर्ण बताया है और दूसरों के प्रति दया रखने की सीख दी है।

10. हमेशा खुश रहे: मनुष्य को हमेशा खुश रहना चाहिए और ईश्वर से अपनी गलतियों के लिए क्षमा-याचना करना चाहिए। जीवन में लोभ का त्याग करें और मेहनत से ही धन और आजीविका जुटाएं।

इसके अलावा नानकदेव जी ने कहा है कि संसार को जीतने से पहले खुद की बुराइयों और गलत आदतों पर विजय पाने की कोशिश करनी चाहिए।कभी किसी का बुरा करने और सताने के बारे में सोचना भी पाप है। पैसा का स्थान हमेशा जेब में ही रहना चाहिए। यह हाथ का मैल है। इसे अपने हृदय से लगाकर नहीं रखना चाहिए यानी धन से अधिक प्यार नहीं करना चाहिए।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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