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Bhadrapada Chaturthi 2024: हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी और बहुला चौथ एक साथ, जानें महत्व, पूजा मुहूर्त और विधि

Bhadrapada Chaturthi 2024: इस साल की भाद्रपद चतुर्थी बहुत महत्वपूर्ण है। इस बार एक साथ तीन व्रत- हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी, कजरी तीज और बहुला चतुर्थी पड़ रहे हैं। इसलिए यह दिन बेहद खास बन गया है। आइए जानते हैं, इन व्रतों के महत्व, पूजा मुहूर्त और विधि।
08:10 AM Aug 22, 2024 IST | Shyam Nandan
bhadrapada chaturthi 2024  हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी और बहुला चौथ एक साथ  जानें महत्व  पूजा मुहूर्त और विधि

Bhadrapada Chaturthi 2024: हिन्दू धर्म में प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है और यह संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानी जाती है। भाद्रपद माह में विघ्नहर्ता श्री गणेश को समर्पित यह तिथि आज 22 अगस्त को है। साथ ही इस दिन कजरी तीज और बहुला चौथ का त्योहार भी मनाया जाएगा। बता दें कि भादो में आने वाली चतुर्थी को हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं।

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हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त

भाद्रपद चतुर्थी 2024 की हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी के दिन महिलाएं अपनी संतान के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य और दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत भी करती हैं। इस बार भाद्रपद माह की हेरंब संकष्टी चतुर्थी बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिन व्रत और बप्पा की पूजा करने वालों को विशेष फल की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं पूजा कर मुहूर्त:

पूजा मुहूर्त: शाम 05.17 - रात 09.41

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चंद्रोदय समय: रात 08.51

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हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

  • हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से पहले जलाभिषेक करें।
  • भगवान श्री गणेश को फूल, फल और पीला चंदन अर्पित करें।
  • इन सब चीजों को अर्पित करने के बाद भगवान गणेश को तिल के लड्डू या मोदक अर्पित करें।
  • मोदक अर्पित करने के बाद भगवान गणेश की कथा का पाठ करें।
  • उसके बाद ‘ॐ गं गणपतये नम:’ मंत्र का जाप भी करें।
  • उसके बाद आरती करें और चंद्र देव की भी पूजा करें।
  • चंद्र देव की पूजा करने के बाद मन से प्रार्थना करें और उन्हें देखकर अपना व्रत खोले। साथ ही अपनी गलतियों की माफी के लिए झमा याचना करें।

बहुला चौथ 2024

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन ही बहुला चौथ व्रत रखा जाता है। यह व्रत संतान की सुरक्षा के लिए मनाया जाता है। स्त्रियां इस दिन गायों की पूजा करती हैं। साथ ही मिट्‌टी से बने शिव-पार्वती, कार्तिकेय और गणेश जी की प्रतिमा की उपासना की जाती है। यह पर्व ख़ास कर पश्चिमी भारत में मनाया जाता है, जिसे बोल चतुर्थी भी कहते हैं। बहुला चौथ की पूजा शाम के समय की जाती है।

बहुला चौथ की पूजा: शाम 06.40 - शाम 07.05

चंद्रोदय समय: रात 08.51

बहुला चौथ व्रत विधि

दिन भर व्रत करके संध्या के समय गौ की पूजा की जाती है। कुल्हड़ पर पपड़ी आदि रखकर भोग लगाया जाता है और पूजन के बाद उसी का भोजन किया जाता है। गाय के दूध पर उसके बछड़े का अधिकार समझना चाहिए। बहुला चतुर्थी के दिन गाय के दूध से बनी हुई कोई भी सामग्री नहीं खानी चाहिए। मान्यता है कि इस दिन दूध से बनी चीजों का सेवन करने पर पाप के भागी बनते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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