whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.
Advertisement

इन 5 मंदिरों में प्रसाद के रूप में मिलता है चिकन, मटन और मछली !

आंध्र प्रदेश के सीएम ने कहा है कि तिरुपति बालाजी मंदिर में भक्तों को देने वाले प्रसाद में मछली का तेल और जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है। चंद्र बाबू नायडू के इस बयान ने बवाल मचा दिया। लेकिन कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जहां सदियों से भक्तों को मांसाहारी प्रसाद दिया जाता रहा है।
08:35 PM Sep 20, 2024 IST | Nishit Mishra
इन 5 मंदिरों में प्रसाद के रूप में मिलता है चिकन  मटन और मछली

शास्त्रों में पशु बलि को पाप माना गया है फिर भी देश के कई मंदिरों में जानवरों की बलि आज भी दी जाती है। लोगों का मानना है कि देवी-देवता पशुओं की बलि से प्रसंन्न होते हैं। कई ऐसे मंदिर भी हैं जहां बलि के बाद पशुओं के मांस को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। चलिए जानते हैं 5 मंदिरों के बारे में जहां प्रसाद में चिकन, मटन और मछली दिया जाता है।

Advertisement

1.कामाख्या देवी मंदिर

कामाख्या देवी मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां माता सती की योनि आकर गिरी थी। इस मंदिर को विश्वभर में तंत्र विद्या के केंद्र के रूप में भी जाना जाता है। यहां भक्तों द्वारा देवी को भोग में मांस और मछली दिया जाता है। भक्तों का मानना है कि मांस और मछली के भोग से देवी प्रसन्न होती हैं और उनकी सारी मनोकामना पूर्ण करती हैं। भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में कुछ भक्तों के बीच ही बांटा जाता है।

Advertisement

2. कालीघाट मंदिर,कोलकाता

कालीघाट मंदिर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्थित है। इस मंदिर में भक्तों द्वारा देवी काली को प्रसाद के रूप में बकरा चढ़ाया जाता है। बकरे की बलि के बाद उसके मांस को भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि बकरे का प्रसाद खाने से माता काली की कृपा भक्तों पर बनी रहती है।

Advertisement

3. मुनियांदी स्वामी मंदिर

मुनियांदी स्वामी मंदिर तमिलनाडु के मदुरई में स्थित में स्थित है। यह मंदिर भगवान मुनियांदी को समर्पित है। यहां हर साल एक तीन दिवसीय वार्षिक आयोजन होता है जिसमें भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में बिरयानी और चिकन दी जाती है। सबसे ख़ास बात यह कि इस वार्षिक मेले में हजारों भक्त भाग लेते हैं और मंदिर ट्रस्ट द्वारा सभी भक्तों को यह प्रसाद दिया जाता है। पुजारियों का मानना है कि ऐसा करने से मुनियांदी  देवता साल भर अपने भक्तों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं।

4. तरकुलहा देवी मंदिर

गोरखपुर में स्थित तरकुलहा देवी मंदिर का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि यह क्षेत्र पहले घना जंगल हुआ करता था। यहां के राजा बाबू बंधू सिंह उस समय ताड़ के पेड़ के निचे देवी की पिंडी रखकर उनकी पूजा किया करते थे। मंदिर के आस-पास जब भी कोई अंग्रेज उन्हें दिखाई देता, तो वह उसके सर को काटकर देवी के चरणों में चढ़ा दिया करते थे। लेकिन देश की आजादी के बाद देवी को बकरे की बलि दी जाने लगी। तभी से इस मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप में मटन दिया जाता है।

5.दक्षिणेश्वर काली मंदिर

कोलकाता का दक्षिणेश्वर काली मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। यहां हर वर्ष हजारों श्रद्धालु माता का दर्शन करने आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण रानी रासमणि के द्वारा 1854 में करवाया गया था। कुछ लोगों का कहना है एक समय स्वामी रामकृष्ण, दक्षिणेश्वर काली मंदिर के मुख्य पुजारी हुआ करते थे। इस मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप में मछली दिए जाते हैं।

ये भी पढ़ें-Navratri 2024: नवरात्रि में इन 5 मंदिरों में माता के दर्शन से पूरी होती है हर मनोकामना, नहीं रहती है धन की कमी!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App Tags :
Advertisement
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो