Hindu Temples: पुरी के जगन्नाथ मंदिर के चौंकाने वाले 10 अनसुलझे रहस्य
Hindu Temples: ओडिशा के पुरी के समुद्र तट पर स्थित भगवान जगन्नाथ का भव्य और विशाल मंदिर अपनी काष्ट (लकड़ी) की मूर्तियों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ सहित उनके बड़े भाई बलभद्र यानी बलराम और बहन सुभद्रा एकसाथ विराजमान हैं। यह मंदिर सदियों से न केवल आस्था का एक महान केंद्र है, बल्कि अपने रहस्यों के लिए भी विख्यात है। यहां इस मंदिर के 10 ऐसे अनसुलझे रहस्यों के बारे में बता रहे हैं, जिसे जानकर निस्संदेह आप चौंक जाएंगे।
हवा की उल्टी दिशा में फहराता ध्वज
जगन्नाथ मंदिर के ध्वज-स्तंभ पर लगा ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में फहराता है। यह एक अद्भुत घटना है जिसके पीछे का रहस्य आज भी अज्ञात है।
मंदिर का सुदर्शन चक्र
यह सचमुच आश्चर्यजनक बात है कि जगन्नाथ मंदिर के शीर्ष पर लगे अष्टधातु से निर्मित सुदर्शन चक्र को, जिसे नीलचक्र भी कहते हैं, आप जहां से देखेंगे, आपको वह सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा।
समुद्र की शांत लहरें
तूफान और तेज हवाओं के दौरान भी, जगन्नाथ मंदिर के पास समुद्र की लहरें शांत रहती हैं। इसे भगवान जगन्नाथ की दैवी शक्ति का चमत्कार माना जाता है।
चक्रतीर्थ कुंड
मंदिर परिसर में चक्रतीर्थ नाम का एक रहस्यमय कुंड है, जिसे समुद्र से जुड़ा हुआ माना जाता है, जबकि वह कुंड समुद्र तल से बहुत ऊपर स्थित है। मान्यता है कि कुंड में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
अदृश्य रसोईघर
यह माना जाता है कि मंदिर में एक अदृश्य रसोईघर है, जहां महाप्रसाद तैयार किया जाता है। इस रसोई को केवल कुछ चुनिंदा पुजारी ही देख सकते हैं।
चमत्कारी महाप्रसाद
जगन्नाथ मंदिर का प्रसाद, जिसे महाप्रसाद कहा जाता है, हर दिन दोपहर में पकाया जाता है। इसे केवल लकड़ी से ईंधन से एक के ऊपर एक रखे गए कुल 7 बर्तनों में एक ही बार में पकाया जाता है। यह काफी हैरान करने वाला है कि प्रसाद सबसे पहले उस बर्तन में पककर तैयार होना चाहिए, जो चूल्हे की अग्नि के सबसे पास होता है, लेकिन यहां उल्टा होता है। यहां सबसे पहले उस बर्तन का प्रसाद पकता है, जो सबसे ऊपर यानी सातवें नंबर पर होता है।
घंटी की पवित्र ध्वनि
जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह से बजाई जाने वाली वाली घंटियों की आवाज, जिसे भगवान जगन्नाथ की दिव्य वाणी माना जाता है, केवल मंदिर परिसर के अंदर ही सुनी जा सकती है। मंदिर के बाहर यह ध्वनि किसी को सुनाई नहीं पड़ती है।
सिंहद्वार और समुद्र की आवाज
जगन्नाथ मंदिर समुद्र तट पर स्थित है, जिसके लहरों की ध्वनि केवल मंदिर के सिंहद्वार तक ही आती है, जैसे ही सिंहद्वार को पार करते हैं, लहरों की आवाज आनी बंद हो जाती है।
गुंबद के ऊपर नहीं उड़ते पक्षी
जगन्नाथ मंदिर का यह रहस्य भी काफी चौंकाने वाला है कि भारत के सभी मंदिरों के ऊपर जहां ढेर सारे पक्षी उड़ते रहते हैं और अपना घर बना लेते हैं, वहीं जगन्नाथ मंदिर के ऊपर गुंबद के ऊपर कभी कोई पक्षी उड़ता हुआ नहीं देखा गया है। इसके ऊपर से विमान उड़ाना भी प्रतिबंधित है।
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प्रतिमा परिवर्तन
जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की लकड़ी की मूर्तियों को प्रत्येक 12 साल, जिसे एक युग कहते हैं, में बदला जाता है। यह प्रक्रिया नवकलेवर (Nabakalebar) के नाम से जानी जाती है। जब मंदिर की प्रतिमाएं बदली जाती हैं, तब मंदिर सहित पूरे नगर की बिजली काट दी जाती है। ऐसा पुरानी मूर्ति से नई मूर्ति में 'ब्रह्म पदार्थ' को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। ब्रह्म पदार्थ को देखना निषिद्ध है यानी आजतक किसी ने इसे नहीं देखा है। कहते हैं, ब्रह्म पदार्थ हृदय जैसी धड़कती हुई कोई वस्तु है।
साथ ही आपको बता दें कि हर दिन मंदिर के पुजारी भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को छूते हैं और उन्हें स्नान कराते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान के स्पर्श से पुजारियों को आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
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