whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.
Advertisement

Igas 2024: छोटी और बड़ी दिवाली के बाद क्यों मनाई जाती है बूढ़ी दीपावली? जानें 11वें दिन का राज

Budhi Diwali Kab Hai 2024: इस बार 12 नवंबर 2024 को बूढ़ी दिवाली है और इसे बड़ी दीपावली के अमावस्या से अगली अमावस्या को मनाया जाता है। आइए बूढ़ी दिवाली क्या है? कैसे मनाते हैं? कहां मनाते है? इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
10:40 AM Nov 08, 2024 IST | Simran Singh
igas 2024  छोटी और बड़ी दिवाली के बाद क्यों मनाई जाती है बूढ़ी दीपावली  जानें 11वें दिन का राज
बूढ़ी दिवाली

Igas 2024: हर तरफ दीपक से लेकर अलग-अलग रंग की लाइट के चलने से अमावस्या की रात में भी उजाला रहता है। ये नजारा दिवाली की रात का होता है। इस अवसर पर हर घर में दीप जलाए जाते हैं। भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में छोटी और बड़ी दिवाली पर दीपक जलाकर खुशी मनाई जाती है। देशभर में बड़े धूमधाम के साथ मनाई जाने वाली छोटी और बड़ी दिवाली के बारे में सभी जानते हैं लेकिन एक दिवाली, बूढ़ी दीपावली के नाम से भी जानी जाती है।

Advertisement

जी हां, बूढ़ी दीपावली भी एक खास पर्व है जो हिमाचल और उत्तराखंड में बेहद प्रसिद्ध है। दिवाली से 11वें दिन इस पर्व को मनाया जाता है, लेकिन क्यों? आइए जानते हैं।

क्या है बूढ़ी दिवाली?

पहाड़ की अनूठी परंपरा में से एक बूढ़ी दिवाली (Budhi Diwali) है, जिसे इगास पर्व कहा जाता है। ये छोटी और बड़ी दिवाली से थोड़ा अलग पर्व है। इस बार 12 से 15 नवंबर तक बूढ़ी दिवाली को मनाया जाएगा। इस दौरान लोग पटाखे नहीं जलाते हैं बल्कि 3 दिन लगातार रात को मशालें जलाकर बूढ़ी दिवाली का त्योहार मनाते हैं। कृष्ण पक्ष की अमावस्या को बूढ़ी दिवाली मनाई जाती है जिसे दिवाली के 11वें दिन मनाया जाता है।

Advertisement

ये भी पढ़ें- Public Holidays: 12, 13 और 15 नवंबर को यहां रहेगी सरकारी छुट्टी

Advertisement

क्या है 11वें दिन का राज?

इगास पर्व जिसे बूढ़ी दिवाली भी कहा जाता है ये दीपावली से 11वें दिन मनाया जाता है। इस पर्व को बुड्ढी दियावड़ी भी कहा जाता है जिसमें दयावड़ी का अर्थ संघर्ष है। दीपावली से 11वें दिन बूढ़ी दिवाली मनाने के पीछे का राज ये है कि हिमाचल और उत्तराखंड तक भगवान श्री राम के अयोध्या पहुंचने की खबर पहुंची थी जिसके चलते ये पर्व इगास या बूढ़ी दिवाली के नाम से जाने जाना लगा है।

धूमधाम से मनाई जाती है बूढ़ी दिवाली

असल में दिवाली की अमावस्या से अगली अमावस्या को बूढ़ी दिवाली को मनाया जाता है। इस दौरान अलग तरह से लगातार तीन दिनों तक ये पर्व मनाया जाता है। स्वांग के साथ परोकड़िया गीत, रासा, नाटियां, विरह गीत भयूरी, हुड़क नृत्य और बढ़ेचू नाच के साथ बूढ़ी दिवाली का जश्न मनाते हैं।

कहां मनाई जाती है बूढ़ी दीपावली?

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में बूढ़ी दीपावली को मनाया जाता है। हिमाचल प्रदेश के गिरिपार क्षेत्र, शिमला के कुछ गांव, कुल्लू के निरमंड और अन्य कुछ पहाड़ी इलाकों में बूढ़ी दिवाली मनाई जाती है। एक अलग तरह के जश्न के साथ बूढ़ी दिवाली को मनाया जाता है।

ये भी पढ़ें- Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा पर चमकेगी 12 राशियों की किस्मत! 

Open in App Tags :
Advertisement
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो