जन्माष्टमी के 15 या 16 कितने दिन बाद मनाया जाता है राधा अष्टमी का पर्व? जानें तिथि
Radha Ashtami 2024: सनातन धर्म के लोगों के लिए जितना महत्व जन्माष्टमी के पर्व का है। उतनी ही खास मान्यता राधा अष्टमी के त्योहार की भी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, राधा रानी के बिना कृष्ण जी की पूजा पूरी नहीं मानी जाती है। इसलिए हर साल कृष्ण जन्माष्टमी के बाद राधा रानी को समर्पित राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। राधा रानी की पूजा करने से घर-परिवार में सुख, शांति, खुशहाली, समृद्धि और ऐश्वर्य का वास होता है। साथ ही रिश्तों में मिठास और प्रेम बरकरार रहता है।
हालांकि राधा अष्टमी की तिथि को लेकर कुछ लोगों को कन्फ्यूजन रहती है। जहां कुछ लोग जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा अष्टमी का व्रत रखते हैं। वहीं कुछ लोग कृष्ण जन्मोत्सव के 16 दिन बाद राधा अष्टमी का पर्व मनाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जन्माष्टमी के 15 या 16 कितने दिन बाद राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है, आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं।
जन्माष्टमी के बाद राधा अष्टमी कब?
जन्माष्टमी के 15 दिन बाद हर साल राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन देशभर में राधा जी के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ राधा रानी की पूजा करना शुभ माना जाता है।
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राधा अष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार भाद्रपद मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी का आरंभ 10 सितंबर 2024 को देर रात 11:11 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 11 सितंबर 2024 को रात 11:26 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर राधा अष्टमी का पर्व 11 सितंबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन राधा जी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 32 मिनट तक है।
राधा अष्टमी व्रत की पूजा विधि
- राधा अष्टमी के दिन प्रात: काल उठें। स्नान अधिक कार्य करने के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर में पांच रंग के चूर्ण से अपने हाथों से मंडप बनाएं। मंडप के भीतर कमल यंत्र बनाएं। कमल के बीचों-बीच आसन पर श्री कृष्ण और राधा रानी की जोड़े में मूर्ति को स्थापित करें।
- राधा रानी और कृष्ण जी की प्रतिमा का पंचामृत से स्नान कराएं। मूर्तियों का सुन्दर श्रृंगार करें।
- राधा रानी और भगवान कृष्ण की उपासना करें।
- साथ ही उन्हें भोग के रूप में दीप-धूप, फूल और फल अर्पित करें। इस दौरान राधा चालीसा का पाठ करें।
- व्रत का संकल्प लें।
- अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।