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आज से अग्नि पंचक शुरू, जानें पंचक काल में मृत्यु होने पर कैसे होता है दाह संस्कार?

June 2024 Panchak: हिन्दू मान्यता के अनुसार, पंचक लगने पर शुभ काम नहीं किए जाते हैं। 25 जून, 2024 से अग्नि पंचक शुरु हो रही है। आइए जानते हैं, यह कब से कब तक है और और यदि पंचक काल में किसी की मृत्यु हो जाती है, तो उनका दाह संस्कार किस प्रकार किया जाता है?
10:46 AM Jun 25, 2024 IST | Shyam Nandan
आज से अग्नि पंचक शुरू  जानें पंचक काल में मृत्यु होने पर कैसे होता है दाह संस्कार

June 2024 Panchak: आज 25 जून, 2024 को आषाढ़ कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी है, वहीं इस महीने का 'पंचक' भी शुरू हो रहा है, जो कि 'अग्नि पंचक' है। हिन्दू परंपरा के अनुसार, पंचक में शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों को भी करने की मनाही होती है। आइए जानते हैं, कब से कब तक है यह 'अग्नि पंचक' और यदि पंचक काल में किसी की मृत्यु हो जाती है, तो उनका दाह संस्कार किस प्रकार किया जाता है?

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कब से कब तक है पंचक?

हिन्दू पंचांग के अनुसार, मंगलवार 25 जून, 2024 को कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन शुरू होने वाला अग्नि पंचक सूर्योदय होने से पहले लगभग 3 बजकर 19 मिनट से शुरू हो रहा है। यह पंचक 5 दिनों के बाद रविवार 30 जून, 2024 को सुबह्र 9 बजकर 4 मिनट पर समाप्त होगा। बता दें, पंचक का मतलब है, पांच दिनों की अवधि, जिसे हिन्दू धर्म में अशुभ माना जाता है।

'अग्नि पंचक' क्या है?

ज्योतिष शास्त्र में पंचक का नामकरण दिन यानी वार के अनुसार किया गया है। रविवार से शुरू हुए पंचक को 'रोग पंचक', सोमवार से आरंभ हुए पंचक को 'रज पंचक', मंगलवार को पड़ने वाले पंचक को 'अग्नि पंचक', शुक्रवार को पड़ने वाला पंचक को 'चोर पंचक' और शनिवार से शुरू होने पंचक को 'मृत्यु पंचक' कहते हैं। वहीं, बुधवार और गुरुवार से शुरू पंचक 'दोषरहित पंचक' कहलाते हैं।

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पंचक काल में मृत्यु होने पर कैसे होता है दाह संस्कार?

पंचक काल में हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों को करना वर्जित माना गया है, यह विधान 'अन्त्येष्टि' यानी दाह संस्कार भी लागू होता है। लेकिन मृत्यु पर किसी का वश नहीं है। यह कभी भी किसी की भी किसी घर-परिवार में हो सकती है। हिन्दू परम्परा में मृत्यु के बाद जल्द से जल्द 'अन्त्येष्टि' यानी दाह संस्कार करना अनिवार्य है। यह 16 संस्कारों में सबसे अंतिम संस्कार है। सवाल उठता है कि पंचक काल में दाह संस्कार भी करने की मनाही है, तो क्या शव को घर में ही रहने दिया जाएगा? जबकि इसे किसी हालात में टाला नहीं जा सकता है, तो आखिर इसका हल क्या है?

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गरुड़ पुराण में बताया गया है समाधान

बता दें, जाने-अनजाने में पंचक काल में किए गए दाह संस्कार से मृतक की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है। वे प्रेत योनि भटकते रहते हैं। इसका समाधान गरुड़ पुराण में बताया गया है। सभी 18 पुराणों में केवल गरुड़ ऐसा पुराण है, जो मृत्यु, पारलौकिक जीवन और मोक्ष की विस्तार से चर्चा करता है। इस विशेष पुराण के अनुसार, ये विशेष उपाय किए जाते हैं:

  • गरुड़ पुराण के अनुसार, मृतक के नाम से कुश घास की चार पुतलों को बनाकर शव पर रखने के बाद उन सभी पुतलों में थोड़े-थोड़े तपाए हुए स्वर्ण (सोना) डाल देना चाहिए। फिर मृतक का विधि-विधान से अंत्येष्टि कर देनी चाहिए। भारत के कुछ भागों में कुश उपलब्ध नहीं होने से आटे के पुतले से यह विधि की जाती है।
  • गरुड़ पुराण के मुताबिक दाह संस्कार संपन्न होने बाद मृतक के पुत्र या रिश्तेदारों को आत्मा की शांति के लिए योग्य पंडित या पुरोहित से नदी या जलाशय के किनारे विशेष हवन करवाना चाहिए। अशुभ प्रभाव के निदान के लिए ब्राह्मणों को भोज और दान देना चाहिए।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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