whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.
Advertisement

Kaalchakra: श्राद्ध में 12 राशियों को प्राप्त होगी पूर्वजों की विशेष कृपा! पंडित सुरेश पांडेय से जानें पूजा के निमय-महत्व

Kaalchakra News24 Today: पितृ पक्ष का आरंभ 17 सितंबर से हो गया है, जिसका समापन 2 अक्टूबर 2024 को सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा। इस दौरान विशेष नियमों का पालन करना जरूरी होता है, जिसके बारे में आज पंडित सुरेश पांडेय बताने जा रहे हैं। इसी के साथ आपको आज के कालचक्र में श्राद्ध में दान करने के महत्व और लाभ के बारे में भी जानने को मिलेगा।
11:47 AM Sep 20, 2024 IST | Nidhi Jain
kaalchakra  श्राद्ध में 12 राशियों को प्राप्त होगी पूर्वजों की विशेष कृपा  पंडित सुरेश पांडेय से जानें पूजा के निमय महत्व
कालचक्र

Kaalchakra News24 Today, Pandit Suresh Pandey: सनातन धर्म में पितृपक्ष यानी श्राद्ध को पूर्वजों और पितरों को प्रसन्न करने के लिए उत्तम समय माना गया है। माना जाता है कि इस समय पूर्वजों और पितरों की पूजा, तर्पण और श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। जब कुल के पूर्वज और पितर खुश व संतुष्ट होते हैं, तो वो अपनी कृपा परिवार के हर एक सदस्य के ऊपर बनाकर रखते हैं, जिनके आशीर्वाद से वंश आगे बढ़ता है। परिवारवालों की आर्थिक स्थिति मजबूत रहती है।

Advertisement

हालांकि इस दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी होता है, जिसके बाद ही श्राद्ध पूजा को सफल माना जाता है। इसके अलावा इस समय शास्त्रों में बताए गए उपायों को सच्चे मन से करके पितरों और पूर्वजों को प्रसन्न किया जा सकता है।

आज के कालचक्र में पंडित सुरेश पांडेय आपको श्राद्ध पूजा के महत्व, नियम और लाभ के बारे में बताने जा रहे हैं। इन नियमों का पालन यदि 12 राशियों के जातक करते हैं, तो उनके ऊपर सदा पूर्वजों और पितरों का आशीर्वाद बना रहेगा।

Advertisement

श्राद्ध के नियम

  • जिस दिन आप श्राद्ध कर रहे हैं, उस दिन दातुन का इस्तेमाल न करें।
  • श्राद्ध पूजा के दिन दूसरे के घर का भोजन न खाएं। इसके अलावा एक दिन में बार-बार भोजन न करें और यात्रा करने से भी बचें।
  • श्राद्ध पूजा में गोरोचन, कस्तूरी और रक्तचंदन निषेध माने गए हैं।
  • पितरों को केवड़ा, कदंब, मौलसिरी, बेलपत्र, लाल और काले फूल न चढ़ाएं। इसके अलावा तेज गंध वाले फूलों का भी प्रयोग पूजा में न करें।
  • श्राद्ध पूजा में बैंगन और नशीली चीजों का त्याग करना जरूरी होता है। इसके अलावा मसूर की दाल, राजमा, अरहर की दाल, गोल लौकी, हींग, शलजम, प्याज-लहसुन, काला नमक, काला जीरा, सिंघाड़ा, जामुन, पिप्पली, कुलथी, कैथ, महुआ, अलसी और चना भी वर्जित है।

ये भी पढ़ें- Pitru Paksha 2024: श्राद्ध का खाना घर पर नहीं बना पा रहे हैं तो क्या करें? जानें खाने से जुड़े जरूरी नियम

Advertisement

तर्पण के नियम

  • श्राद्ध के दौरान हर दिन पितरों का तर्पण करना चाहिए।
  • मिट्टी और लोहे के बर्तन में तर्पण के लिए जल नहीं भरना चाहिए। सप्तमी, रविवार और किसी के जन्मदिन पर तर्पण नहीं करना चाहिए।
  • शास्त्रों के अनुसार, गलत आचरण वाले व्यक्ति को तर्पण का अधिकार नहीं है।
  • प्रतिपदा, षष्ठी, एकादशी तिथि, शुक्रवार और रविवार को कृत्तिका, मघा, भरणी नक्षत्र, गजछाया योग में पितरों का जल से कभी भी तर्पण नहीं करना चाहिए।

श्राद्ध में दान करने के लाभ

  • बिना दक्षिणा के श्राद्ध अधूरा माना जाता है। इसलिए पूजा के बाद ब्राह्मणों को अपनी जेब अनुसार दक्षिणा जरूर दें।
  • मंत्रों, पंचबलि या ब्राह्मण भोजन में यदि कोई गलती हो जाती है, तो ऐसे में उसकी पूर्ति श्राद्ध का दान ही करता है।
  • श्राद्ध के दौरान जरूरतमंद लोगों को राशन और कपड़े का दान कर सकते हैं।
  • श्राद्ध में जो लोग दान देने में असमर्थ हैं, वो अमान्य दान दे सकते हैं। इसके तहत नमक, घी, गुड़ और अन्न का दान कर सकते हैं। अन्न का दान करने से जीवन में मनचाही सफलता मिलती है।
  • श्राद्ध में गाय का दान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
  • किसी जरूरतमंद व्यक्ति को जमीन का दान करने से संतान और संपत्ति का लाभ प्राप्त होता है।

श्राद्ध पूजा से जुड़े अन्य नियमों के बारे में यदि आप जानना चाहते हैं, तो इसके लिए ये वीडियो जरूर देखें।

ये भी पढ़ें- Weekly Panchang 20 to 26 September 2024: पितृ पक्ष, बुध-गुरु गोचर से लेकर 7 दिन के राहुकाल का समय; पढ़ें साप्ताहिक पंचांग

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App Tags :
Advertisement
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो