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Kaalchakra: नवरात्रि की पूजा इन 5 नियमों के बिना है अधूरी! पंडित सुरेश पांडेय से जानें व्रत का महत्व

Kaalchakra News24 Today: 3 अक्टूबर 2024 से शारदीय नवरात्रि के पर्व का आरंभ हो गया है। मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करने से साधक की हर इच्छा पूरी होती है। चलिए पंडित सुरेश पांडेय से जानते हैं नवरात्रि पूजा के उन्हीं अहम नियमों के बारे में।
11:07 AM Oct 04, 2024 IST | Nidhi Jain
kaalchakra  नवरात्रि की पूजा इन 5 नियमों के बिना है अधूरी  पंडित सुरेश पांडेय से जानें व्रत का महत्व

Kaalchakra News24 Today, Pandit Suresh Pandey: शारदीय नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा की आराधना के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। नवरात्रि के 9 दिनों के दौरान माता दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। साथ ही व्रत रखना भी शुभ माना जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल शारदीय नवरात्रि का आरंभ 3 अक्टूबर से हो गया है, जिसका समापन 12 अक्टूबर को दुर्गा विसर्जन के साथ होगा। नवरात्रि की पूजा और व्रत के विभिन्न नियम होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है। नहीं तो पूजा-पाठ का पूर्ण फल नहीं मिलता है।

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आज के कालचक्र में पंडित सुरेश पांडेय आपको नवरात्रि की पूजा के मुख्य पांच नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका पालन हर एक साधक को इन 9 दिनों के दौरान करना चाहिए।

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नवरात्रि की पूजा इन 5 कार्यों के बिना है अधूरी!

  • नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा, दुर्गा कवच या सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे मानसिक शांति मिलती है। साथ ही माता दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  • जो लोग नवरात्रि का व्रत रखते हैं, उन्हें सात्विक आहार ही लेना चाहिए। नवरात्रि के भोजन में मसालों का प्रयोग वर्जित होता है। भोजन जितना हल्का और सुपाच्य (सरलता से पचने वाला) होगा, उतना ही उसका सकारात्मक प्रभाव मन और मस्तिष्क पर पड़ेगा। इसके अलावा नवरात्रि के 9 दिनों के दौरान गरिष्ठ फल (जल्दी न पचने वाला) और मूली का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • जो लोग नवरात्रि के 9 दिनों के दौरान पूजा-पाठ और व्रत रखते हैं, उन्हें लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए। किसी से बुरा नहीं बोलना चाहिए और क्लेश से दूर रहना ही अच्छा होता है। यदि आप इन नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो पूजा को पूर्ण फल आपको नहीं मिलेगा। साथ ही माता दुर्गा भी आपसे क्रोधित हो सकती हैं। इसके अलावा नवरात्रि के 9 दिनों के दौरान दोपहर के समय सोना नहीं चाहिए।
  • मां दुर्गा के मंत्रों का जाप नियमित रूप से एक ही संख्या में करना चाहिए। कभी ज्यादा, तो कभी कम मंत्रों का जाप नहीं करना चाहिए। मां दुर्गा की पूजा में मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग ही करें, लेकिन बाजार से लाई माला को शुद्ध किए बिना उस पर मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए। पहले माला को गंगाजल से शुद्ध कर लें।
  • नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा को शहद का भोग जरूर लगाना चाहिए। पूजा के बाद शहद को प्रसाद के स्वरूप ग्रहण करें। नवरात्रि के नौवें दिन मां सरस्वती के प्रतीक स्वरूप किताबों, वाद्य यंत्रों या कलम की पूजा जरूर करें।

शारदीय नवरात्रि के पूजा और व्रत के अन्य अहम नियमों के बारे में यदि आप जानना चाहते हैं, तो इसके लिए ये वीडियो जरूर देखें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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