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Kaalchakra: 36 साल तक रहता है योगिनी दशाओं का असर! पंडित सुरेश पांडेय से जानें महत्व और उपाय

Kaalchakra News24 Today: वैदिक ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि कुंडली में योगिनी दशाओं का खास महत्व है। कुंडली में योगिनी दशा के बिना सटीक भविष्यवाणी करना कठिन होता है। चलिए पंडित सुरेश पांडेय से जानते हैं योगिनी दशाओं के प्रकार और महत्व आदि के बारे में।
10:55 AM Dec 05, 2024 IST | Nidhi Jain
योगिनी दशाओं का महत्व
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Kaalchakra News24 Today, Pandit Suresh Pandey: शास्त्रों में 64 से ज्यादा योगिनियों का उल्लेख है, जिनमें से अष्ट योगिनियों का ज्योतिष में खास महत्व है। अष्ट योगिनियों के अलावा योगिनी दशा का भी वर्णन ज्योतिष शास्त्र में किया गया है, जिसका शुभ व अशुभ प्रभाव 36 वर्ष तक रहता है। कभी न कभी आपने लोगों को कहते सुना होगा कि जब किसी का अच्छा समय चल रहा होता है, तो कहा जाता है कि उसकी योगिनी दशा अच्छी चल रही है। वहीं जब व्यक्ति अपने मुश्किल दौर से गुजर रहा होता है, तो उसका दोष योगिनी दशा को दिया जाता है।

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माना जाता है कि योगिनी दशा का गहरा प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। आज के कालचक्र में पंडित सुरेश पांडेय आपको बताने जा रहे हैं कि आमजन के ऊपर योगिनी दशाओं का कैसे प्रभाव पड़ता है। साथ ही आपको इससे जुड़े उपाय भी पता चलेंगे।

योगिनी दशा कितनी प्रकार की है?

ज्योतिषियों के अनुसार, योगिनी दशा आठ प्रकार की होती है।

  • मंगला
  • पिंगला
  • धान्या
  • भ्रामरी
  • भद्रिका
  • उल्का
  • सिद्ध
  • संकटा

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मंगला दशा

मंगला दशा के स्वामी चंद्रमा हैं। ये दशा एक साल की होती है। जिन लोगों का जन्म आर्द्रा, चित्रा और श्रवण नक्षत्र में होता है, उन पर मंगला दशा होती है। ये दशा व्यक्ति के संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। मंगला दशा में व्यक्ति को जीवन में हर प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं। व्यक्ति को सुख, संपत्ति और यश की प्राप्ति होने के योग बनते हैं। यात्राओं से सुख मिलता है और परिवार में मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं।

मंगला में जब संकटा या उल्का की अंतर्दशा आती है, तो मंगला दशा बहुत अशुभ फल देती है। इस समय व्यक्ति किसी न किसी कारण से परेशान रहता है। मंगला में धान्या की अंतर्दशा बहुत शुभ होती है। मंगला में सिद्ध की अंतर्दशा आने पर कला के क्षेत्र में सफलता मिलती है। आप पर मंगला योगिनी दशा चल रही है, तो अपनी मां की खूब सेवा करें।

पिंगला दशा

ये योगिनी दशा में दूसरी दशा होती है। पिंगला दशा के स्वामी सूर्य हैं। पिंगला दशा दो वर्षों की होती है और शुभ नहीं मानी जाती है। इस दशा में व्यक्ति के संघर्ष बढ़ने लगते हैं। धन का नाश होता है। संपत्ति के कार्यों में दिक्कतें आती हैं। कानूनी विवाद भी होते हैं। पिंगला दशा में व्यक्ति का क्रोध भी बढ़ जाता है। शरीर में पित्त की अधिकता होती है और व्यवहार में भी बदलाव आता है। फैसले लेने की क्षमता में कमी आती है, जिससे आए दिन कोई न कोई घटनाएं होने लगती हैं।

पिंगला में पिंगला दशा का अंतर हो, तो उससे धान्या अंतर्दशा का आरंभ सकारात्मक परिणाम लाता है। व्यक्ति को विदेश से लाभ मिलता है। इसके अलावा अटके काम पूरे होते हैं, स्थान परिवर्तन होता है और संतान सुख मिलता है। लेकिन पिंगला में उल्का दशा का अंतर होने पर कष्टों में वृद्धि होती है। इस समय व्यक्ति को कोई नया काम शुरू करने से बचना चाहिए।

अन्य योगिनी दशाओं के बारे में यदि आप जानना चाहते हैं, तो इसके लिए ये वीडियो जरूर देखें। 

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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