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Kalyug Story: श्री कृष्ण के देह त्यागने के बाद कैसे हुई कलियुग की शुरुआत?

Kalyug Story: भागवत पुराण में बताया गया है कि कलियुग का आगमन श्री कृष्ण के पृथ्वी छोड़ने के बाद हुआ था। श्री कृष्ण के चले जाने के बाद पांचों पांडव और द्रौपदी भी अपनी अंतिम यात्रा पर निकल पड़े। उसके बाद राजा परीक्षित हस्तिनापुर के राजा बने। ऐसा माना जाता है कि राजा परीक्षित की एक भूल के कारण ही कलियुग की शुरुआत हुई थी.
04:55 PM Oct 05, 2024 IST | Nishit Mishra
kaise hui thi kalyug ki shuruaat
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Kalyug Story: हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार समय को चार युगों में बांटा गया है। सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग। युग परिवर्तन के साथ ही अधर्म की मात्रा भी बढ़ने लगती है। अभी हम और आप कलियुग में रह रहे हैं। कलियुग में अधर्म 75% रहता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्री कृष्ण के देह त्यागने के बाद कैसे हुई थी कलियुग की शुरुआत? चलिए जानते हैं भागवत पुराण इसके बारे में क्या कहता है?

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भागवत पुराण की कथा

भागवत पुराण में वर्णित कथा के अनुसार महाभारत युद्ध के 36 वर्ष बाद श्री कृष्ण ने अपना देह त्याग दिया। यह बात जब पांडवों को पता चला तो वे भी समझ गए, अब हमारा भी जाने का समय आ गया है। फिर युधिष्ठिर ने अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को हस्तिनापुर का राजा बना दिया। उसके बाद पांचों पांडव द्रौपदी सहित अपनी अंतिम यात्रा पर निकल पड़े। इधर परीक्षित के राजा बनते ही युग परिवर्तन का समय नजदीक आ गया था।

कलियुग और परीक्षित

एक दिन की बात है, राजा परीक्षित शिकार के लिए जंगल गए। वहां उन्होंने देखा कि एक बैल और एक गाय आपस में कुछ बातें कर रहे हैं। भागवत पुराण में बताया गया है कि धर्म के देवता बैल रूप में और पृथ्वी देवी गाय के रूप में वहां मौजूद थी। सरस्वती नदी के तट पर बैल गाय से पूछ रहा है आप इतनी दुखी क्यों हैं? क्या आप मेरा एक पांव देखकर दुखी तो नहीं हो रही हैं? बैल के मुख से ऐसी बातें सुनकर पृथ्वी देवी बोलीं हे धर्म देव! आप तो सब कुछ जानते ही हैं। जब से श्री कृष्ण मुझे छोड़कर गए हैं तभी से मैं दुखी हूं। तभी राजा परीक्षित ने देखा कि एक मुकुट पहना व्यक्ति धर्म रूपी बैल को डंडे से पीट रहा है और गाय को लात मार रहा है।

कलियुग और परीक्षित संवाद

गाय और बैल को इस तरह पीटता देख राजा परीक्षित क्रोधित हो उठे और पास आकर बोले, रे पापी! तुम इन दोनों को क्यों मार रहे हो? रे पापी तू कौन है ? मेरे राज्य में तुम्हे ऐसा करने का साहस कैसे हुआ? मैं इसकी सजा तुम्हें अवश्य दूंगा। इतना कहकर राजा परीक्षित ने तलवार निकाल ली और कहा आज तेरी मौत निश्चित है। अब तू मुझसे से नहीं बच सकता। राजा परीक्षित के हाथों में तलवार को देख वह व्यक्ति डर से कांपने लगा। फिर बोला महाराज मैं कलियुग हूं और यहां वास करने आया हूं।

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इतना कहकर वह राजा के चरणों में गिर गया। तब राजा परीक्षित ने कहा- तुम अब मेरी शरण में हो, अब मैं तुम्हे मारूंगा नहीं, लेकिन इसी समय मेरे राज्य से निकल जा। कलियुग ने कहा, महाराज पूरी पृथ्वी पर तो आपका ही राज्य है मैं कहां जाऊं? तब राजा परीक्षित ने उसे चार स्थान रहने को दिए। राजा ने कहा तुम गंदगी, हिंसा, वेश्यालय और जुए के धन में निवास कर सकते हो। राजा परीक्षित की बातें सुनकर कलियुग ने एक और स्थान रहने को मांगा, तब राजा ने उसे सोने अर्थात स्वर्ण में निवास करने को कहा।

राजा परीक्षित पर कलियुग का प्रभाव 

समय बीतता गया और एक दिन राजा सन्ध्योपासना के समय पवित्र होना भूल गए। उसी समय कलियुग ने उनके मुकुट में प्रवेश कर लिया जो सोने से बना हुआ था। उसके बाद एक दिन राजा शिकार को गए तो उन्हें जोर की प्यास लगी। वह पास ही स्थित एक ऋषि के आश्रम में गए। ऋषि उस समय तपस्या में लीन थे। राजा ने उनसे जल देने को कहा। लेकिन तपस्या में लीन होने के कारण वह राजा की बातें सुन नहीं सके। बार-बार कहने पर भी जब राजा परीक्षित को पानी नहीं मिला तो उन्होंने एक मृत सांप को ऋषि के गले में डाल दिया और वहां से चले गए। ऐसा कलियुग के प्रभाव के कारण हुआ। कलियुग के प्रभाव से राजा परीक्षित की बुद्धि भ्रष्ट हो चुकी थी।

राजा परीक्षित की मृत्यु

कुछ समय बाद जब ऋषि श्रृंगी आश्रम लौटे तो ऋषि के गले में मृत सांप को देख वह क्रोधित हो गए। उसके बाद उन्होंने शाप देते हुए कहा ऐसा अधर्म जिसने भी किया उसकी मृत्यु आज से ठीक सातवें दिन तक्षक नाग के काटने से  हो जाएगी। फिर ऐसा ही हुआ, सातवें दिन राजा परीक्षित को तक्षक नाग ने काट लिया और उनकी मृत्यु हो गई। ऐसा माना जाता है उसी दिन से कलियुग का आरम्भ हो गया।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है

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Tags :
Hindu Mythologykaise hui thi kalyug ki shuruaatmahabharat story
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