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एकादशियों में श्रेष्ठ ‘देवशयनी एकादशी’ कब है? जानें तिथि, महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

Devshayani Ekadashi 2024: भगवान विष्णु को समर्पित देवशयनी एकादशी का व्रत आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। आइए जानते हैं, यह कब है, महत्व क्या है और पूजा करने का शुभ मुहूर्त क्या है?
07:13 AM Jun 24, 2024 IST | Shyam Nandan
एकादशियों में श्रेष्ठ ‘देवशयनी एकादशी’ कब है  जानें तिथि  महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

Devshayani Ekadashi 2024: भगवान विष्णु को समर्पित साल की सभी 24 एकादशियों में से देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है। इस एकादशी के दिन जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग पर शयन करते हैं। वे चार महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और इस दिन से चातुर्मास प्रारंभ होता है। यह आषाढ़ माह की एकादशी है, जो शुक्ल पक्ष में पड़ती है। आइए जानते हैं, यह कब है, महत्व क्या है और पूजा करने का शुभ मुहूर्त क्या है?

देवशयनी एकादशी कब है?

आषाढ़ माह में दो एकादशियां होती है। इस माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं, वहीं शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा गया है। साल 2024 में इस पुण्यदायी एकादशी का व्रत 17 जुलाई को रखा जाएगा। बता दें, साल की सभी 24 एकादशियां जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु को समर्पित है।

देवशयनी एकादशी का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवशयनी एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत को करने से जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष प्राप्ति का रास्ता सरल हो जाता है। मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। देवशयनी एकादशी विश्व प्रसिद्ध ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ रथयात्रा के तुरन्त बाद आती है और इसके बाद चातुर्मास शुरू हो जाता है। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु इस एकादशी के बाद चार महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं।

जगत के पालन कर्ता के सो जाने के बाद हिन्दू धर्म में कोई मांगलिक कार्य, जैसे सगाई, मंगनी, रोका, शादी-विवाह, उपनयन, मुंडन, कर्ण-नासिका छेदन, भूमि पूजन, गृह प्रवेश और अन्य 16 हिन्दू संस्कार नहीं किए जाते हैं। बता दें, देवशयनी एकादशी के चार महीने के बाद बाद भगवान् विष्णु प्रबोधिनी एकादशी के दिन जागते हैं।

देवशयनी एकादशी का पूजा मुहूर्त

आषाढ़ माह की एकादशी तिथि की शुरुआत 16 जुलाई की रात 10 बजकर 3 मिनट से हो रही है, जो 17 जुलाई की रात 10 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी, वहीं पूजा का शुभ मुहूर्त 17 जुलाई को दिन सुबह 8 बजकर 35 से शुरू होकर पूरे दिन बना रहेगा। इस एकादशी का पारण 18 जुलाई को किया जाएगा, जिसका शुभ समय सुबह में 5 बजकर 53 मिनट से 8 बजकर 25 मिनट तक है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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