whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.
Advertisement

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ स्नान का फल हो जाएगा कई गुना अधिक, संगम में स्नान के बाद जरूर करें ये 3 काम!

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में शाही स्नान न केवल पवित्रता और भक्ति को दर्शाता है, बल्कि यह आत्मा को शांति और जीवन में समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त करता है। यह परंपरा प्राचीन भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं का अद्भुत उदाहरण है। आइए जानते हैं, वे 3 काम कौन-से हैं, जो महाकुंभ स्नान के बाद जरूर करना चाहिए?
07:36 PM Jan 03, 2025 IST | Shyam Nandan
maha kumbh 2025  महाकुंभ स्नान का फल हो जाएगा कई गुना अधिक  संगम में स्नान के बाद जरूर करें ये 3 काम

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ वह दिव्य अवसर है, जहां सिद्धि और साधना दोनों का संगम होता है। महाकुंभ मेले की शुरुआत सोमवार 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा के दिन होगी। इसके अगले दिन यानी 14 जनवरी को मकर संक्रांति है। ये दोनों दिन महाकुंभ स्नान के लिए विशेष माने जाते हैं। साथ ही मकर संक्रांति के दिन शाही स्नान का दिन भी है। बता दें कि महाकुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म की मान्यता है कि इस महास्नान से मनुष्य मात्र के हर प्रकार के पाप धुल जाते हैं और वह मोक्ष का भागी हो जाता है। यदि साल 2025 की प्रयागराज महाकुंभ में स्नान या शाही स्नान का प्लान कर रहे हैं तो कुछ आपको कुछ खास उपाय भी जान लेने चाहिए, जो आपके पुण्यफल को कई गुण अधिक कर देंगे।

Advertisement

सूर्य को अर्घ्य दें

वैदिक ज्योतिष के एक्सपर्ट के मुताबिक, महाकुंभ का संबंध सूर्यदेव से है। इसलिए जिस दिन भी महाकुंभ में स्नान करें, चाहे वह स्पेशल शाही स्नान ही क्यों न हो, स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य जरूर दें। मान्यता है कि आपके हाथों का एक छोटा अर्घ्य सीधे सूर्यदेव को समर्पित होता है। इससे न केवल आपके करियर में तरक्की होगी, बल्कि धन-दौलत में वृद्धि होने के साथ ही दुर्भाग्य भी दूर होता है। यदि तांबे के लोटे में लाल फूल के साथ अर्घ्य देते हैं, सूर्य के साथ मंगल ग्रह भी कृपा बरसाते हैं। इसलिए महाकुंभ में स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देकर उनकी कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन को समृद्ध बनाएं।

ये भी पढ़ें: Hast Rekha Shastra: क्या आपकी हथेली पर बने हैं बॉक्स और वर्ग के निशान, तो हो जाइए खुश क्योंकि…

Advertisement

दान का महापर्व

महाकुंभ केवल स्नान का नहीं, बल्कि दान का भी महापर्व है। महाकुंभ स्नान के बाद दान करना शुभ माना गया है। इस पावन पर्व पर हजारों साधु-संत, महात्मा, ब्राह्मण और याचक उपस्थित होते हैं। महाकुंभ में स्नान और दान से आत्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। मान्यता है कि चाहे वह साधारण स्नान हो या फिर शाही स्नान, इसके बाद जरूरतमंदों को दान देकर पुण्य जरूर अर्जित करना चाहिए। यह जीवन में रौनक और खुशहाली लाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दान करने से अशुभ ग्रह भी शुभ फल देने लगते हैं, जिससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

Advertisement

दीपदान का महत्व

न केवल संगम या महाकुंभ बल्कि नदियों में स्नान के बाद दीपदान की शुभ परंपरा बेहद प्राचीन है। महाकुंभ स्नान के बाद दीपदान को अत्यंत पवित्र और शुभ कार्य माना गया है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी बहुत महत्व रखता है। दीपदान का अर्थ है अज्ञान और अंधकार से ज्ञान और प्रकाश की ओर जाना। नदी के किनारे दीप प्रज्वलित करना जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शांति लाने का प्रतीक है। ज्योतिष के अनुसार, दीपदान से ग्रहों की अशुभता कम होती है और शुभ परिणाम मिलने लगते हैं। विशेष रूप से तिल के तेल या गाय के घी से दीप जलाने का अधिक महत्व है।

ये भी पढ़ें: Numerology: 25 से 45 की उम्र में धन का अंबार लगा देते हैं इन 3 तारीखों में जन्मे लोग, इनमें कहीं आप भी तो नहीं!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App Tags :
Advertisement
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो