Mahabharat Story: भगवान श्री कृष्ण को क्यों करना पड़ा एकलव्य का वध? जानिए एकलव्य वध का रहस्य
Mahabharat Story: वहां पहुंमहाभारत ग्रन्थ के अनुसार जब एकलव्य पांच साल का था, तभी से वह धनुर्धर बनना चाहता था। जब वह बड़ा हुआ तो एक दिन उसके पिता उसे गुरु द्रोणाचार्य के पास ले गए।चकर एकलव्य के पिता ने गुरु द्रोण से एकलव्य को धनुर्विद्या सीखाने को कहा। परन्तु गुरु द्रोण ने एकलव्य को धनुर्विद्या सिखाने से मना कर दिया। इसके बाद एकलव्य ने गुरु द्रोण के आश्रम के समीप ही वन में गुरु द्रोणाचार्य की मूर्ति बनाई।
उसी मूर्ति को अपना गुरु मान कर वह धनुर्विद्या सीखने लगा। जल्द ही धनुर्विद्या में पारंगत हो गया। उसके बाद जब गुरु द्रोण एक दिन उस वन में आये तो उन्होंने देखा कि एकलव्य ने अपनी बाणों से कुत्ते का मुंह बंद कर दिया। उनके लिए हैरानी कि बात यह थी कि कुत्ता घायल भी नहीं हुआ। उसके बाद गुरु द्रोण ने एकलव्य से गुरु दक्षिणा में दाएं हाथ का अंगूठा मांगा। एकलव्य ने बिना किसी देरी के गुरु द्रोण को अंगूठा काटकर दे दिया।
कौन था एकलव्य?
महाभारत काल में श्रृंगवेरपुर नाम का एक राज्य हुआ करता था। यह राज्य प्रयाग के समीप स्थित था। उस समय श्रृंगवेरपुर राज्य के राजा निषादराज हिरण्यधनु थे। एकलव्य निषादराज हिरण्यधनु का ही पुत्र था। निषादराज हिरण्यधनु के मरने के बाद एकलव्य श्रृंगवेरपुर राज्य का राजा बना। राजा बनने के बाद एकलव्य राज्य की सीमा का विस्तार करने लगा। सबसे पहले एकलव्य पौंड्रक वायसुदेव का मित्र बना। पौंड्रक वासुदेव स्वयं को असली कृष्ण समझता था। फिर जब श्री कृष्ण ने पौंड्रक वासुदेव का वध कर दिया तो एकलव्य जरासंध के साथ मिल गया।
एकलव्य का वध
जरासंध बार-बार मथुरा पर आक्रमण करता था। लेकिन वह मथुरा को जीत नहीं सका। उसके बाद जब एकलव्य जरासंध के साथ आया तो, उसने फिर मथुरा पर आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में जरासंध के साथ एकलव्य भी था। युद्ध में एकलव्य मथुरा की सेना को अपनी बाणों से एक-एक कर मारने लगा। देखते ही देखते हजारो सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए। यह देख मथुरा की सेना में हाहाकार मच गया। उसके बाद जब श्री कृष्ण को पता चला कि कोई धनुर्धर मथुरा की सेना का सफाया कर रहा है तो,वे स्वयं एकलव्य से युद्ध करने आ पहुंचे। लेकिन श्री कृष्ण यह देख हैरान हो गए कि एकलव्य केवल चार अंगुलियों से धनुष-बाण चला रहा है।
पहले तो श्री कृष्ण को विश्वास नहीं हुआ कि कोई योद्धा चार अंगुलियों के सहारे धनुर्विद्या में इतना निपुण कैसे हो सकता है। जबकि श्री कृष्ण जानते थे कि एकलव्य से गुरु द्रोणाचार्य ने अंगूठा ले लिया था। फिर जब श्री कृष्ण को ज्ञात हुआ कि आने वाले महाभारत युद्ध में एकलव्य पांडवों के लिए खतरा बन सकता है तो, उन्होंने उसका वध करने का निश्चय कर लिया। उसके बाद काफी समय तक एकलव्य और श्री कृष्ण में भयंकर युद्ध हुआ। लेकिन अंत में श्री कृष्ण एकलव्य का वध करने में सफल हो गए।
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