होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

Mahabharat Story: भगवान श्री कृष्ण को क्यों करना पड़ा एकलव्य का वध? जानिए एकलव्य वध का रहस्य

Mahabharat Story: महाभारत काल में एक ऐसा भी योद्धा था, जिसे युद्ध से पहले ही मार दिया गया। ये योद्धा एकलव्य था। एकलव्य एक महान धनुर्धर था, जिसने गुरु द्रोण को अपना गुरु मानकर धनुर्विद्या सीखी थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध से पहले ही एकलव्य का वध क्यों और कैसे किया था?
12:37 PM Oct 20, 2024 IST | Nishit Mishra
Advertisement

Mahabharat Story:  वहां पहुंमहाभारत ग्रन्थ के अनुसार जब एकलव्य पांच साल का था, तभी से वह धनुर्धर बनना चाहता था। जब वह बड़ा हुआ तो एक दिन उसके पिता उसे गुरु द्रोणाचार्य के पास ले गए।चकर एकलव्य के पिता ने गुरु द्रोण से एकलव्य को धनुर्विद्या सीखाने को कहा। परन्तु गुरु द्रोण ने एकलव्य को धनुर्विद्या सिखाने से मना कर दिया। इसके बाद एकलव्य ने गुरु द्रोण के आश्रम के समीप ही वन में गुरु द्रोणाचार्य की मूर्ति बनाई।

Advertisement

उसी मूर्ति को अपना गुरु मान कर वह धनुर्विद्या सीखने लगा। जल्द ही धनुर्विद्या में पारंगत हो गया। उसके बाद जब गुरु द्रोण एक दिन उस वन में आये तो उन्होंने देखा कि एकलव्य ने अपनी बाणों से कुत्ते का मुंह बंद कर दिया। उनके लिए हैरानी कि बात यह थी कि कुत्ता घायल भी नहीं हुआ। उसके बाद गुरु द्रोण ने एकलव्य से गुरु दक्षिणा में दाएं हाथ का अंगूठा मांगा। एकलव्य ने बिना किसी देरी के गुरु द्रोण  को अंगूठा काटकर दे दिया।

कौन था एकलव्य?

महाभारत काल में श्रृंगवेरपुर नाम का एक राज्य हुआ करता था। यह राज्य प्रयाग के समीप स्थित था। उस समय श्रृंगवेरपुर राज्य के राजा निषादराज हिरण्यधनु थे। एकलव्य निषादराज हिरण्यधनु का ही पुत्र था। निषादराज हिरण्यधनु के मरने के बाद एकलव्य श्रृंगवेरपुर राज्य का राजा बना। राजा बनने के बाद एकलव्य राज्य की सीमा का विस्तार करने लगा। सबसे पहले एकलव्य पौंड्रक वायसुदेव का मित्र बना। पौंड्रक वासुदेव स्वयं को असली कृष्ण समझता था। फिर जब श्री कृष्ण ने पौंड्रक वासुदेव का वध कर दिया तो एकलव्य जरासंध के साथ मिल गया।

एकलव्य का वध 

जरासंध बार-बार मथुरा पर आक्रमण करता था। लेकिन वह मथुरा को जीत नहीं सका। उसके बाद जब एकलव्य जरासंध के साथ आया तो, उसने फिर मथुरा पर आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में जरासंध के साथ एकलव्य भी था। युद्ध में एकलव्य मथुरा की सेना को अपनी बाणों से एक-एक कर मारने लगा। देखते ही देखते हजारो सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए। यह देख मथुरा की सेना में हाहाकार मच गया। उसके बाद जब श्री कृष्ण को पता चला कि कोई धनुर्धर मथुरा की सेना का सफाया कर रहा है तो,वे स्वयं एकलव्य से युद्ध करने आ पहुंचे। लेकिन श्री कृष्ण यह देख हैरान हो गए कि एकलव्य केवल चार अंगुलियों से धनुष-बाण चला रहा है।

Advertisement

पहले तो श्री कृष्ण को विश्वास नहीं हुआ कि कोई योद्धा चार अंगुलियों के सहारे धनुर्विद्या में इतना निपुण कैसे हो सकता है। जबकि श्री कृष्ण जानते थे कि एकलव्य से गुरु द्रोणाचार्य ने अंगूठा ले लिया था। फिर जब श्री कृष्ण को ज्ञात हुआ कि आने वाले महाभारत युद्ध में एकलव्य पांडवों के लिए खतरा बन सकता है तो, उन्होंने उसका वध करने का निश्चय कर लिया। उसके बाद काफी समय तक एकलव्य और श्री कृष्ण में भयंकर युद्ध हुआ। लेकिन अंत में श्री कृष्ण एकलव्य का वध करने में सफल हो गए।

ये भी पढ़ें- Mahabharat Story: महाभारत युद्ध में कैसे बनता था योद्धाओं का भोजन? कैसे पता चलता था आज कितने योद्धा जीवित बचेंगे?

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है

Open in App
Advertisement
Tags :
Mahabharatmahabharat ki katha
Advertisement
Advertisement