Mahabharata Story: पिछले जन्म में कौन थी द्रौपदी, क्यों मिले उसे 5 पति? जानें पांचाली से जुड़े रहस्य
Mahabharata Story: द्रौपदी महाभारत की एक अत्यंत महत्वपूर्ण और केंद्रीय पात्र है। उसका जीवन न केवल महाभारत के सभी प्रमुख घटनाओं से जुड़ा हुआ है, बल्कि वह महाभारत युद्ध की कथा धुरी मानी गई है। उसके 5 पति थे, जो उस समय के समाज के लिए एक अद्वितीय स्थिति थी। यह घटना सामाजिक परिवर्तन की ओर इशारा करता है। आइए जानते हैं, पांचाली के नाम से प्रसिद्ध हुई द्रौपदी के पिछले जन्म की कहानी क्या है और उसे 5 पांडव के रूप में 5 पति क्यों मिले?
पिछले जन्म में कौन थी द्रौपदी?
महाभारत के आदिपर्व में बताया गया है कि द्रौपदी पिछले जन्म में एक गरीब ब्राह्मणी थी। उसका नाम नलयनी था, जिसका पति हमेशा बीमार रहता था। पति के जवानी में ही मर जाने के कारण ब्राह्मणी महिला को पति से कोई भी सुख नहीं मिल पाया। उसकी इच्छाएं अधूरी थी, जो उसे परेशान करती थी। साथ ही, उसे समाज की उपेक्षाएं और यातनाएं सहनी पड़ रही थी। एक दिन उस ब्राह्मणी महिला ने सोचा उसे अगले जन्म में फिर से अधूरी इच्छाओं का बोझ उठाना न पड़े, इसलिए भगवान शिव की तपस्या करनी चाहिए।
भगवान शिव से मांगा सर्वगुण संपन्न पति
गरीब विधवा ब्राह्मणी ने कई वर्षों तक महादेव शिव की कड़ी तपस्या की। उसकी कठिन तपस्या अंततः भगवान शिव प्रसन्न हुए और प्रकट होकर विधवा ब्राह्मणी से वरदान मांगने को कहा। अपन सामने महादेव को साक्षात खड़ा पाकर विधवा ब्राह्मणी अति उत्साहित हो गई। उसे अगले जन्म में कैसा पति चाहिए था, वो सब विशेषताएं बता कर उसने 5 बार सर्वगुण संपन्न पति पाने की बात महादेव से कही। इसपर भगवान शिव ने उसे समझाया कि किसी भी एक मनुष्य में ये सब विशेषताएं होना लगभग असंभव है। लेकिन महिला अपनी मांग पर अडिग रही, उसने कहा, "हे महादेव! अगले जन्म में इन सभी विशेषताओं वाला पति ही मुझे प्रदान करें।" अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करने वाले शिवजी उस महिला के हठ के अनुसार वरदान दे दिया।
पांचाली के रूप में हुआ पुनर्जन्म
अगले जन्म में विधवा ब्राह्मणी का जन्म पांचाल देश के राजा दुपद्र की पुत्री के रूप में एक यज्ञ के माध्यम से हुआ था। पांचाल नरेश की पुत्री होने के कारण जहां उसका एक नाम पांचाली पड़ा, वहीं यज्ञ से उत्पन्न होने के कारण उसे यज्ञसेनी भी कहते हैं। उसके बड़े होने पर राजा दुपद्र ने अपनी बेटी द्रौपदी का स्वंयवर रचाया। इस स्वंयवर की शर्त यह थी कि जो भी राजा या राजकुमार पानी में मछली का प्रतिबिंब देखकर उसकी आंख पर निशाना साधेगा, द्रौपदी उसे अपना वर चुन लेंगी। दूर-दूर से आए वीरों और धनुर्धरों में से अर्जुन ने शर्त को पूरा करते हुए मछली की आंख पर निशाना लगाया और स्वंयवर की प्रतियोगिता जीतकर द्रौपदी को जीवनसाथी के रूप में प्राप्त किया।
अधूरी इच्छाओं ने बना दिया पंचगामिनी
महाभारत कथा के अनुसार, अर्जुन जब सभी भाइयों और द्रौपदी को लेकर वन में पहुंचे, तो अर्जुन ने उत्साहवश अपनी माता कुंती से कहा, "मां! हमलोग आपके लिए कुछ लाए हैं।" कुंती उस समय भोजन बनाने में व्यस्त थी, उन्होंने बिना देखे और बगैर कुछ सोचे-समझे कहा, "जो कुछ भी लाए हो, उस से पांचों भाई आपस में बांट लो।" बाद में जब कुंती को पता चला कि अर्जुन द्रौपदी को लेकर आए हैं, तो उन्हें बहुत क्रोध आया। द्रौपदी भी बेहद नाराज हुई। लेकिन मां ने कह दिया था, तो उनकी बात भी माननी जरूरी थी।
इस तरह द्रौपदी पांचों भाइयों की पत्नी बन गई। बाद में श्रीकृष्ण और व्यासजी ने द्रौपदी को बताया कि यह सब उनके पूर्वजन्म के कर्मों का फल है। दरअसल, पूर्वजन्म की अधूरी इच्छाओं के कारण द्रौपदी अगले जन्म में लालसाओं भरी हुई थी। उसकी अति लालसा की एक भूल ने द्रौपदी के पांच पतियों की पत्नी बना दिया।
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