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जब द्रौपदी को लगी प्यास...भीम ने गदा प्रहार से बना दी डेढ़ किलोमीटर से भी लंबी झील, जानें कब और कहां
Mahabharata Story: हिन्दू धर्म के ग्रंथ, पुराण और महाकाव्य मुख्य कथा के साथ उपकथा और भांति-भांति के रोचक और ज्ञानवर्धक प्रसंगों के बेजोड़ स्रोत हैं। ऐसा ही एक रोचक प्रसंग हिमालय की गोद में बने भीमताल झील की उत्पत्ति से जुड़ी है। यह उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित सबसे बड़ी झील है, जो समुद्र तल से लगभग 1375 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कहते हैं, यह झील यहां महाभारत काल से है, जो भीम के गदा प्रहार से बना था। वर्तमान में यह झील नैनीताल से अधिक सुंदर और उत्तराखंड में टूरिस्ट्स के अट्रैक्शन का केंद्र है। आइए जानते हैं, भीमताल झील से जुड़ा प्रसंग और रोचक जानकारी।
पांडवों का वनवास और अज्ञातवास
कौरवों से जुए में सब कुछ हारने के बाद मामा शकुनि की सलाह पर दुर्योधन ने पांडवों को 12 वर्ष वनवास में और एक वर्ष अज्ञातवास में रहने के लिए विवश कर दिया। कहते हैं, अपने वनवास के दौरान पांडवों को कहीं भी टिक कर नहीं रहना था। उसी दौरान वे उत्तराखंड के नैनीताल-भीमताल क्षेत्र में आए थे, तभी यहां पर भीम के गदा प्रहार से यह झील निर्मित हुई थी।
द्रौपदी की प्यास बुझाने के लिए बनाई झील
कहा जाता है कि जहां अभी भीमताल झील है, महाभारत काल में वह जगह एक सपाट पथरीली जमीन थी। जब पांचों द्रौपदी सहित पांडव भाई यहां से गुजर रहे थे, तब द्रौपदी को बड़े जोर की प्यास लगी। भीम सहित सभी भाई वहां जल का कोई भी स्रोत ढूंढ़ने में नाकाम रहे, तब भीम ने अपनी गदा से धरती पर एक प्रहार कर इस एक झील का निर्माण किया और द्रौपदी की प्यास बुझाई। समय के साथ इस झील और जगह का नाम भीमताल पड़ गया।
ऐसे बड़ी हो गई झील
कहा जाता है कि द्रौपदी को प्यास लगने पर भीम ने गदा से जमीन पर इतनी ताकत से प्रहार किया था कि वहां न केवल पानी एक सोता बन गया बल्कि वहां एक विशाल गड्ढा बन गया। समय के साथ इस गड्ढ़े में पानी भर गया और पहाड़ों के बीच एक खूबसूरत झील बन गया। वर्तमान में यह भीमताल झील नैनीताल से लगभग 22 किमी की दूरी पर है और बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी और अट्रैक्ट करती है।
द्रौपदी से सबसे अधिक प्रेम करते थे भीम
महाभारत में ऐसे अनके प्रसंग हैं, जो यह साबित करते हैं कि पांचों भाइयों में से भीम द्रौपदी से सबसे अधिक प्रेम करते थे। उन्होंने द्रौपदी का हर कदम पर साथ दिया था और वे द्रौपदी की हर इच्छा की पूर्ति करते थे। कुबेर के अद्भुत उद्यान से द्रौपदी के लिए दिव्य सुगंध वाले पुष्प लाने वाले भीम ही थे। द्रौपदी का अपमान करने वाले कीचक, दुशासन और दुर्योधन का वध भी भीम ने ही किया था।
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