Mahakumbh 2025: सिर पर 11 हजार रुद्राक्ष मालाएं, पूरे शरीर में भभूत भस्म... जानें कौन हैं ये हठ योगी नागा सन्यासी
दीपक दुबे,
प्रयागराज: Maha Kumbh 2025: महाकुंभ प्रयागराज में अलौकिक छटा बिखेरते हुए नागा साधुओं के दर्शन मात्र के लिए लोग दूर दूर से आ रहे हैं। आज हम आपको ऐसे नागा सन्यासी के बारे में बताने जा रहे है जिनकी उम्र 65 वर्ष है। यह उत्तराखंड से महाकुंभ में आए हैं। इनका नाम श्री महंत चैतन्य गिरी जी महाराज है। जुना अखाड़ा हरिद्वार माया देवी से आए नागा सन्यासी ने 11 हजार रुद्राक्ष माला पहनी हुई है।
सिर से लेकर शरीर में रुद्राक्ष की मालाएं हैं और धुनी पर हमेशा बैठे रहते है। इतना ही नहीं, पूरे शरीर पर भस्म लगाए भगवान शंकर की साधना में लीन रहते हैं। चैतन्य गिरी जी महाराज का कहना है इन्होंने 12 साल की उम्र में पहाड़ियों में जाकर गुरु के सानिध्य में जाकर सन्यास की दीक्षा ली थी।
यह भारत देश के उत्थान और सनातन धर्म के विकास के लिए फले फुले खूब, भारत हिन्दू राष्ट्र बने इसके लिए धुनी पर हठ योग करते हैं। इनका कहना है जीवन पर्यंत जब तक श्वास रहेगी तब तक रुद्राक्ष की माला पहनेंगे और संख्या भी बढ़ाते रहेंगे। अब तक ये हजारों मालाएं पहन चुके हैं। चैतन्य गिरी जी महाराज का कहना है कि शिव के आंसू से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई है। यह हमारे लिए उनका आशीर्वाद है जो हमने धारण किया है। ईश्वर की शक्ति हमे ऐसे हठयोग के लिए मिलती है।
दिन रात खाते थे सिर्फ पीपल के पत्ते
उन्होंने बताया कि जब नागा सन्यासी बनने के दौरान वो पीपल के पत्ते ही खाकर दिन रात व्यतीत करते थे। एक ही कमंडल पानी पी कर इन्होंने दिन और रात निकला था। 1966 से यह घर बार छोड़ चुके थे आज यह अलग अलग साधना में रहते है। हठयोग तब करते रहेंगे जब तक भारत हिन्दू राष्ट्र नहीं बन जाता है। श्री राम मंदिर बना यह ईश्वर का आशीर्वाद था। धर्म की रक्षा के लिए साधु संतों का यहां जमावड़ा हो रहा है महाकुंभ के दौरान यह जुना अखाड़ा से जुड़े हुए हैं। इनका कहना है कि यह महाकुंभ के दौरान इसी तरह से अपनी तपस्या जारी रखेंगे। यहां तैतीस करोड़ देवी देवताओं का यहां वाश होगा। यही वजह है कि यहां साधु संतों का यहां जमावड़ा हो रहा है ।
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