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Makar Sankranti 2025: 13 या 14 जनवरी, कब है मकर संक्रांति? जानें सही तिथि और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

Makar Sankranti 2025: सूर्य देव जिस दिन मकर राशि में गोचर करते हैं, उसी तिथि पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। लेकिन इस बार सूर्य गोचर की तिथि और समय को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। चलिए जानते हैं साल 2025 में 13 जनवरी या 14 जनवरी, कब मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा।
04:38 PM Jan 02, 2025 IST | Nidhi Jain
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मकर संक्रांति का महत्व

Makar Sankranti 2025: नए साल का आरंभ हो गया है, जिसके साथ जल्द ही त्योहारों का सिलसिला शुरू होने वाला है। मकर संक्रांति के पर्व को नए साल के पहले प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। धार्मिक और ज्योतिष दृष्टि दोनों के लिहाज से ये पर्व बेहद खास है। वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार, जिस दिन सूर्य देव मकर राशि में गोचर करते हैं, उसी दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन खरमास का समापन हो जाता है, जिसके साथ ही शुभ कार्यों पर लगी रोक हट जाती है।

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चलिए अब विस्तार से जानते हैं मकर संक्रांति के पर्व के महत्व और सही तिथि के बारे में। साथ ही आपको मकर संक्रांति पर स्नान और दान करने के शुभ मुहूर्त के बारे में भी पता चलेगा।

2025 में मकर संक्रांति कब है?

वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार, 14 जनवरी 2025, दिन मंगलवार को सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर सूर्य देव मकर राशि में गोचर करेंगे। इस वजह से 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। मकर संक्रांति की पूजा, स्नान और दान आदि शुभ कार्य पुण्य काल में किए जाते हैं। 14 जनवरी को सुबह 09 बजकर 03 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 46 मिनट तक पुण्य काल है, जबकि इस दिन महा पुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक है।

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मकर संक्रांति का महत्व

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य उत्तरायण यानी मकर रेखा से उत्तर दिशा की ओर जाते हैं। इसलिए इस पर्व को उत्तरायणी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। कई लोग मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा करते हैं। पूजा-पाठ के अलावा मकर संक्रांति के शुभ दिन किसी पवित्र नदी में स्नान और जरूरतमंद लोगों को दान देना फलदायी माना जाता है।

मकर संक्रांति पर पतंग क्यों उड़ाते हैं?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रेता युग में मकर संक्रांति के दिन भगवान राम ने पतंग उड़ाई थी, जो इंद्रलोक तक चली गई थी। इसी के बाद से मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा शुरू हो गई। मकर संक्रांति के दिन घर में तिल के व्यंजन और खिचड़ी भी बनाई जाती है। साथ ही तिल का दान करना शुभ माना जाता है।

मान्यता है कि मकर संक्रांति पर तिल का दान करने और खिचड़ी का सेवन करने से श्रीहरि की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही कुंडली में राहु और शनि ग्रह की स्थिति मजबूत होती है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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