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Masik Shivratri Vrat Katha: आश्विन मासिक शिवरात्रि पर करें इस व्रत कथा का पाठ, मनचाही मुराद होगी पूरी!

Masik Shivratri Vrat Katha: भगवान शिव के भक्तों के लिए मासिक शिवरात्रि का खास महत्व है। इस दिन व्रत और पूजा-पाठ करने से महादेव से मनोवांछित फल पाया जा सकता है। हालांकि व्रत की पूजा कथा के बिना अधूरी मानी जाती है। चलिए जानते हैं मासिक शिवरात्रि व्रत की तिथि और सही कथा के बारे में।
12:48 PM Sep 23, 2024 IST | Nidhi Jain
masik shivratri vrat katha  आश्विन मासिक शिवरात्रि पर करें इस व्रत कथा का पाठ  मनचाही मुराद होगी पूरी
मासिक शिवरात्रि व्रत की कथा

Masik Shivratri Vrat Katha: आश्विन माह चल रहा है, जिसे हिंदी कैलेंडर का सातवां महीना कहा जाता है। इस साल आश्विन मास में कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसकी वजह से इस दौरान आने वाले व्रत और त्योहार का महत्व और बढ़ गया है। आश्विन के पवित्र मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान शंकर को समर्पित मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। हालांकि इस दिन व्रत की कथा पढ़ना या सुनना जरूरी होता है, नहीं तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है।

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आइए जानते हैं आश्विन माह में किस दिन मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा। इसी के साथ आपको आश्विन मासिक शिवरात्रि व्रत की सही कथा के बारे में भी जानने को मिलेगा, जिसके पाठ से आप भगवान शिव से मनचाही मुराद पूरी होने का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

कब है मासिक शिवरात्रि?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल 30 सितंबर को शाम 07:06 मिनट से आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन रात 09:39 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर 30 सितंबर 2024 को आश्विन मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा। 30 सितंबर 2024 को निशा काल में भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11:47 मिनट से लेकर 1 अक्टूबर 2024 को प्रात: काल 12:35 मिनट तक है।

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मासिक शिवरात्रि व्रत की कथा

मासिक शिवरात्रि व्रत की कथा का संबंध भगवान शिव की अनुग्रह दृष्टि से है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक श्रद्धालु था, जिसका नाम ब्राह्मण था। वो अपनी पत्नी के साथ एक गांव में खुशी-खुशी रह रहा था। ब्राह्मण की पत्नी की धार्मिक कार्यों में ज्यादा रुचि थी। वो हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मासिक शिवरात्रि का व्रत रखती थी। अपनी पत्नी से प्रेरित होकर ब्राह्मण ने भी ये व्रत करने का निश्चय किया।

अगली बार दोनों ने मासिक शिवरात्रि का व्रत साथ में रखा। शिव जी की विधिपूर्वक उपासना की और उनसे आशीर्वाद मांगा कि, 'वो अपनी कृपा सदैव उनके ऊपर बनाए रखें।' व्रत का समापन करने के बाद ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने गांववालों के लिए भोजन का इंतजाम किया और अपनी क्षमता अनुसार पुजारियों को दक्षिणा दी। इस दिन ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने अपने अछूत और पवित्र भाग्य को दूसरे लोगों के साथ साझा किया था, जिसे भिक्षाटन कहा जाता है।

महादेव ने दिया मनोकामना पूर्ण का आशीर्वाद

इसी दिन गांव में एक गरीब ब्राह्मण आया, जो देखने में कमजोर लग रहा था। ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने उस गरीब को भी आदरपूर्वक भोजन कराया। माना जाता है कि जिस प्रकार ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने गांववालों को भोजन कराया, व्रत रखा और भगवान शिव की उपासना की, उनकी भक्ति को देखकर महादेव बेहद प्रसन्न हुए। भगवान ने ब्राह्मण और उसकी पत्नी की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया। इसी के बाद से हर साल लोग भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मासिक शिवरात्रि का व्रत रखते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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