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Gita Jayanti 2024: भगवान श्रीकृष्ण के टॉप 10 मोटिवेशनल गीता कोट्स, दूर कर देगा हर तनाव!

Gita Jayanti 2024: श्रीमद्भगवद्गीता, भगवान श्रीकृष्ण का दिया हुआ दिव्य ज्ञान है, जो जीवन के हर पहलू को स्पर्श करता है। गीता के उपदेशों को जीवन में उतारकर हम एक सार्थक जीवन जी सकते हैं। गीता जयंती के मौके पर आइए जानते हैं, 10 ऐसे गीता कोट्स जो जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सक्षम हैं।
03:16 PM Dec 11, 2024 IST | Shyam Nandan
gita jayanti 2024  भगवान श्रीकृष्ण के टॉप 10 मोटिवेशनल गीता कोट्स  दूर कर देगा हर तनाव

Gita Jayanti 2024: श्रीमदभगवद्गीता सनातन धर्म का एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें जीवन के हर पहलू पर प्रकाश डाला गया है। इसमें दिए गए उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने पहले थे। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने जो उपदेश दिए हैं, दरअसल वे कालातीत हैं यानी समय के साथ इनकी प्रासंगिकता कम नहीं होती, बल्कि बढ़ती जाती है। इसके नियमित पाठ से मन में सकारात्मकता बढ़ती है, यह हमें जीवन के उतार-चढ़ावों का सामना करने की शक्ति देता है।

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भगवद्गीता भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकली अमर दिव्य वाणी है, जिसे पढ़ने, सुनने और स्मरण मात्र से रोग और शोक मिट जाते हैं। यह ग्रंथ हमें कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्ति योग का मार्ग दिखाता है। गीता जयंती के मौके पर आइए जानते हैं, 10 ऐसे गीता कोट्स जो जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सक्षम हैं।

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टॉप 10 गीता कोट्स

1- भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि तुम्हें केवल कर्म करने का अधिकार है, उसके फल पर नहीं। कर्मफल को प्राप्त करने का इच्छुक मत बनो और न ही कर्म से मोह या लगाव रखो।

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2- शरीर की यात्रा को त्यागना नहीं चाहिए। तुम अपने शरीर से गुणों और कर्मों का विभाजन करो, अपनी प्रकृति का पालन करो। कर्म करने का अधिकार तुम्हारा है, फल पर नहीं।

3- न तो कर्म से, न संतान से, न स्वर्ग से और न ही धन से, धर्म में ही रति प्राप्त करनी चाहिए। जो ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, उसी का नजरिया सही है।

4- यदि परिस्थितियां आपके हक़ में नहीं है, तो विश्वास कीजिए कुछ बेहतर आपकी तलाश में है।

5- किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि अपना काम करें, भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े।

6- भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि सभी धर्मों को त्याग कर केवल मुझ पर आश्रय लो। मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूंगा, तुम्हें चिंता या संदेह करने की कोई जरूरत नहीं है।

7- कर्म का आदि यानी आरंभ नहीं है, यह नित्य है और आत्मा से भिन्न है। इसलिए तत्वज्ञानी ने ऐसा कहा है।

8- सफलता उसी व्यक्ति को मिलती हैं, जिसका स्वयं की इन्द्रियों पर बस हो। जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है।

9- हर प्राणी के जीवन में परीक्षा का समय आता है, इसका अर्थ यह नहीं कि निराश हुआ जाए। जो कार्य में निष्क्रियता और निष्क्रियता में कार्य देखता है वह एक बुद्धिमान व्यक्ति है।

10- जब मनुष्य का इन्द्रिय विषयों यानी काम, वासना, सुख, स्वार्थ आदि से मन हट जाता है, तभी योग की प्राप्ति होती है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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