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Muharram 2024: इस्लाम धर्म में कब मनाया जाता है नया साल? जानें मुहर्रम का खास महत्व
Muharram 2024: इस्लाम धर्म के लोगों के लिए मुहर्रम का विशेष महत्व होता है। इस दिन रोजा रखने के साथ-साथ अल्लाह की इबादत भी की जाती है। इसके अलावा मुहर्रम को नए साल के रूप में भी मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, मुहर्रम को इस्लाम धर्म का पहला माह माना जाता है, जिसकी शुरुआत बकरीद के 20 दिनों के बाद से होती है। हालांकि भारत में हर साल मुहर्रम की तारीख बदलती रहती है, क्योंकि चांद निकलने पर मुहर्रम की तिथि तय की जाती है। आइए जानते हैं इस बार मुहर्रम और आशूरा कब मनाया जाएगा।
कब रखा जाएगा आशूरा का रोजा ?
उत्तर प्रदेश में मोहर्रम का चांद 6 जुलाई को नजर नहीं आया था। ऐसे में इस बार मोहर्रम की शुरुआत 7 जुलाई से नहीं बल्कि आज यानी 8 जुलाई 2024 से हो रही है। वहीं यौम-ए-आशूरा यानी आशूरा 17 जुलाई को मनाया जा रहा है। इस्लामिक मान्यता है कि मुहर्रम में इबादत करना शुभ होता है। इससे अल्लाह का आशीर्वाद मिलता है।
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The Moon of 1st Muharram, 1446 AH. pic.twitter.com/wrQM8GXTbj
— Anas (@_anassaeed) July 7, 2024
मुहर्रम का इस्लामिक महत्व
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, मुहर्रम की 10वीं तारीख यानी आशूरा के दिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे थे। इसलिए इस दिन को लोग हजरत इमाम हुसैन की शहादत के रूम में मातम के तौर पर मनाते हैं। साथ ही इस दिन देशभर में जुलूस भी निकाला जाता है।
Happy New Year.
1st of Muharram 1446. pic.twitter.com/lNUeShUZjH
— Suleiman Hashi (@SuleimanHashi) July 6, 2024
रोजा रखने के साथ निकाला जाता है जुलूस
कहा जाता है कि मुहर्रम को लेकर सुन्नी और शिया दोनों समुदाय के लोगों की अपनी अलग-अलग मान्यताएं होती हैं। दोनों ही इस दिन को अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, सुन्नी समुदाय के लोग आशूर के दिन रोजा यानी व्रत रखते हैं। वहीं दूसरी तरफ शिया समुदाय के लोग इस दिन जुलूस निकालते हैं और मातम मनाते हैं। इस दिन कर्बला में ताजिये भी दफ्न किए जाते हैं।
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